Close

फिल्म रिव्यूः मुन्ना माइकल और लिपस्टिक अंडर माय बुर्का (Film Review: Munna Michael And Lipstick Under My Burkha)

फिल्मः मुन्ना माइकल स्टार कास्टः टाइगर श्रॉफ, नवाजुद्दीन सिद्दीकी, रॉनित रॉय, निधि अग्रवाल निर्देशकः शब्बीर खान रेटिंगः 2.5 कहानी माइकल (रॉनित रॉय) एक बैकग्राउंड डांसर है, जिसे बढ़ती उम्र के कारण डांस छोड़ना पड़ता है. जिस रात उसे काम से निकाला जाता है, उसी रात उसे कचरे में अनाथ बच्चा मुन्ना (टाइगर) मिलता है, जिसे वह घर लेकर आता है और उसका पालन पोषण करता है. मुन्ना माइकल जैक्सन का बड़ा फैन है और उन्हीं के सपने को देखते बड़ा होता है. किंग ऑफ पॉप बनने के सपने को पूरा करने के लिए वह मुंबई से दिल्ली जाता है और वहां एक गुंडे महिन्दर फौजी (नवाजुद्दीन) को डांस सिखाने के लिए तैयार हो जाता है. जल्द ही दोनों की दोस्ती दुश्मनी में बदलने लगती है. जब दोनों को एक ही लड़की दीपिका उर्फ डॉली (निधि) से प्यार हो जाता है. कमज़ोर स्क्रिप्ट फिल्म की शुरुआत अच्छी होती है, लेकिन बीच में ही यह अपने प्लॉट से भटक जाती है. फिल्म की स्क्रिप्ट कमज़ोर है और कहानी टिपिकल बॉलीवुड मूवीज़ जैसी है. एक रूटीन स्टोरी की तरह आपको समय-समय पर गाने और फाइटिंग सीन देखने को मिलेंगे. टाइगर अपनी पहली फिल्मों की तरह प्रभावित करने में असफल रहे हैं. नवाजुद्दिन का किरदार रोचक है, जो अपने प्यार को आकर्षित करने के लिए डांस सीखता है. अभिनेत्री निधि अग्रवाल अपनी पहली फिल्म में छाप छोड़ने में असफल रही हैं. क्या अच्छा? नवाजुद्दिन, बॉलीवुड के बेहतरीन अभिनेताओं में से एक, टाइगर के डांस व फिल्म के गाने. क्या बुरा? कमज़ोर स्क्रिप्ट व निथि का अभिनय. जाएं या नहीं? यदि आप डांस मूव्स के शौकीन हैं तो मुन्ना माइकल देखने जाएं, हालांकि इस फिल्म में वह कुछ नया दिखाने नहीं जा रहे. यह भी पढ़ें: सिद्धार्थ-जैकलिन का डिस्को डांस देखना न भूलें जब हैरी मेट DJ डीप्लो! अमेरिकन डीजे और शाहरुख खान एक ही गाने में    फिल्मः लिपस्टिक अंडर माय बुर्का स्टार कास्टः कोंकणा सेन शर्मा, रत्ना पाठक, अहाना कुम्रा, प्लाबीता बोर ठाकुर, विक्रांत मैसी, सुशांत सिंह निर्देशकः अलंकृता श्रीवास्तव रेटिंगः 3.5 कहानी लिपस्टिक अंडर माय बुर्का भोपाल में रहनेवाली चार महिलाओं, ऊषा परमार (रत्ना पाठक शाह), रेहाना अबिदी (प्लाबीता बोर ठाकुर), शिरिन असलम (कोंकणा सेन शर्मा) व लीला (अहाना कुम्रा) की कहानी है, जो पड़ोेसी हैं और मिडिल लोअर क्लास एरिया में रहती हैं. रेहाना बुर्का पहननेवाली एक कॉलेज स्टुडेंट है, जो माइली सायरस को पसंद करती है और कॉलेज के बैंड में गाना गाना चाहती है. उसी के पड़ोस में तीन बच्चों की मां शिरिन रहती है, जो सेल्सवुमन का काम करती है, जिसका पति रोज़ उसकी इच्छा के विरुद्ध उससे शारीरिक संबंध बनाता है. लीला एक ब्यूटीशियन है, जो नया बिज़नेस सेट करना चाहती है और उसका अफेयर मुस्लिम फोटोग्राफर विक्रांत मैसी से है. ऊषा परमार (रत्ना पाठक शाह) 55 वर्षीय विधवा महिला है, जिसे सब बुआजी के नाम से जानते हैं, जो समाज के लिए अपनी शारीरिक इच्छाओं को दबा रखा है. दमदार स्क्रिट यह फिल्म चार महिलाओं के सपनो व उनकी दबी हुई इच्छाओं की सुंदर कहानी है. यह बेहद ऑनेस्ट फिल्म है, जिसमें चार महिलाओं की ज़िदगियों के बारें में बताया गया है, जो समाज की बेड़ियों में बंधी होने के कारण अपने सपनों को पूरा नहीं कर पाती हैं. कोई अपनी लाइफ से खुश नहीं हैं. हालांकि चार महिलाएं फिल्म में एक-दूसरे से रिलेटेड नहीं है, लेकिन स्क्रिप्ट इतनी ज़बर्दस्त तरी़के से पिरोई गई है, चारों एक-दूसरे से बंधी हुई लगती हैं. क्या अच्छा? सभी किरदारों का अभिनय बेहद उम्दा है. खासतौर पर रत्ना पाठक का किरदार. क्या बुरा? कमर्शियल फिल्मों के शौक़ीनों को शायद फिल्म स्लो लगें. संगीत बेहद साधारण है. जाएं या नहीं? बॉलीवुड में इस तरह की फिल्में कम बनती हैं, सिनेमा प्रेमियों को यह फिल्म मिस नहीं करनी चाहिए. बॉलीवुड और टीवी से जुड़ी और ख़बरों के लिए क्लिक करें.

Share this article