आज अजय देवगन अपना 50 वां जन्मदिन मना रहे हैं. फूल और कांटे फिल्म से शुरू हुआ सफ़र तन्हाजी: द अनसंग वारियर तक सफलता के शिखर को छूता चल गया. कोरोना वायरस की लड़ाई में उन्होंने भी हाथ बढ़ाया है. अजय ने एक्शन, भावनाप्रदान, कॉमेडी, संजीदा हर तरह की भूमिकाओं में बेहतरीन अदाकारी के जलवे दिखाए हैं. अपने जन्मदिन को सार्थक करते हुए उन्होंने भी पीएम केयर्स फंड में 51 लाख रुपए का दान किया है. वे अपने पिता फाइट डायरेक्टर वीरू देवगन को अपना आदर्श, प्रेरणास्रोत व असली सिंघम मानते हैं. उन्हें जन्मदिन की बधाई और ढेर सारी शुभकामनाएं!
उनसे जुड़ी कुछ कही-अनकही बातों के बारे में जानते हैं.
* अजय देवगन का जन्म दिल्ली में हुआ था.
* उनका असली नाम विशाल है.
* अजय रिजर्व नेचर के हैं. कम बोलते हैं और एक फैमिली मेंबर हैं यानी परिवार उनके लिए काफ़ी मायने रखता है.
* उनके पिता वीरू देवगन ने मुंबई आने पर कुछ बनने के लिए काफ़ी संघर्ष किया था. वैसे वे हीरो बनना चाहते थे, लेकिन बन नहीं पाए. यह और बात है कि बेटे ने उनकी इच्छा पूरी की.
* अजय ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत फूल और कांटे से की थी, जो सुपर-डुपर हिट रही थी. फिल्म में उनके एक्शन, स्टाइल और सादगी को लोगों ने बहुत पसंद किया.
* अपनी पहली फिल्म से ही वे सभी के दिलों पर छा गए. जैसे-जैसे करियर आगे बढ़ता गया, वैसे वैसे वे अभिनय की ऊंचाइयों को छूने लगे.
* एक्शन हीरो से शुरू हुआ फिल्मी करियर बाद में सीरियस रोल की तरफ़ बढ़ता गया. ज़ख़्म फिल्म में तो अपनी बोलती आंखों से ही ख़ामोश रहते हुए उन्होंने बहुत कुछ कह दिया.
* हंसाने में भी वे पीछे नहीं रहे. इश्क़, गोलमाल, गोलमाल रिटर्न्स- इसके सभी पार्ट, टोटल धमाल में मज़ेदार कॉमेडी का तड़का दिया.
* उनकी और रोहित शेट्टी की जोड़ी ख़ूब जमी. सिंघम और सिंघम रिटर्न्स ने तो बॉक्स ऑफिस में तहलका मचा दिया.
* लेकिन अजय देवगन की नज़र में उनके जीवन के सिंघम तो उनके पिता थे. पिछले साल ही उनका देहांत हो गया था, जो अजय के लिए सबसे बड़ी क्षति रही. वे अपने पिता से बेहद प्यार करते थे.
* अपने पिता से अजय ने बहुत कुछ सीखा है. उनके अनुसार, आज वे जो कुछ भी हैं, अपने पिता की वजह से हैं. उनके पिता जब मुंबई में आए थे, तब उनके पास मात्र चार रुपए थे.
* वे संघर्ष करते रहे हैं मुंबई में रहने के लिए. कुछ भी छोटा-मोटा काम कर लेना, गाड़ियां धोना, कार में ही सो जाना, स्ट्रीट स्टंट जैसे तमाम संघर्ष होते रहे.
* लेकिन उन्होंने ठान लिया था कि कुछ बनकर दिखाएंगे. एक बार रवि खन्ना की नज़र उन पर पड़ी और उन्होंने कहा कि आप फाइट डायरेक्टर बनना चाहेंगे. यहीं से जो अजय के पिता के फाइट मास्टर के रूप में सफ़र शुरू हुआ, तो वो कामयाबी की बुलंदियों को छूता ही चला गया.
* वीरू देवगन ने कभी सोचा नहीं था कि वे फाइट डायरेक्टर बनेंगे, पर जब हीरो न बन सके, तो सोचा यही सही.
* अपने किसी इंटरव्यू में अजय देवगन ने इस बात का भी ज़िक्र किया था कि उनके पिता संघर्ष के दिनों में कई बार 8-8 दिनों तक खाना नहीं खा पाए थे. उन्होंने जीवन में जाने कितने उतार-चढ़ाव देखें.
* अजय देवगन को परिवार के साथ वक़्त बिताना अच्छा लगता है. पत्नी काजोल और दोनों बच्चे न्यासा और यश उनकी ज़िंदगी हैं.
* फिल्मी दोस्तों की बात करें, तो संजय दत्त और सलमान ख़ान उनके ख़ास मित्रों में से हैं.
* उन्हें फिल्मी पार्टी जाना उतना पसंद नहीं, तो पार्टी में बहुत कम ही दिखाई देते हैं.
* घर पर रहना और अपनों के साथ ख़ुशियों के पल बिताना उन्हें अधिक अच्छा लगता है.
* साल 1991 में आई फिल्म फूल और कांटे, जिसमें उनकी हीरोइन मधु थीं कि जोड़ी को दर्शकों का ख़ूब प्यार मिला. इस फिल्म के सभी गाने भी सुपरहिट रहे थे, ख़ासकर धीरे धीरे प्यार को बढ़ाना है हद से गुज़र जाना है..., प्रेमी आशिक आवारा... गाने तो लोगों की जुबान पर चढ़ गए थे. उस पर कुमार शानू, अलका याग्निक, उदित नारायण व अनु मलिक ने गीत-संगीत का समां बांध दिया था.
* उनकी पहली ही फिल्म सुपरडुपर हिट थी और अपने इतने साल के करियर में उन्होंने तमाम कामयाब फिल्में दीं और संजोग की बात देखें कि उनकी पहली और सौवीं फिल्म तन्हाजी भी एक ज़बर्दस्त हिट साबित हुई है. लोगों ने अजय देवगन को तन्हाजी की भूमिका में बेहद पसंद किया और अपना ढेर सारा प्यार दिया.
* अजय को दो राष्ट्रीय और चार फिल्मफेयर पुरस्कार मिल चुके हैं.
* वे इसी तरह कामयाबी की बुलंदियों को छूते रहें हम यही दुआ करते हैं और उन्हें मेरी सहेली की तरफ़ से जन्मदिन मुबारक हो!..