- वहीदा जी ने डॉक्टरी की पढ़ाई शुरू की थी, लेकिन फेफड़ों में इंफेक्शन की वजह से यह कोर्स वह पूरा नहीं कर सकीं.
- माता-पिता के मार्गदर्शन में वहीदा भरतनाट्यम में निपुण हो गईं.
- जब पिता का निधन हो गया, तब घर में आर्थिक संकट के चलते वहीदा ने फिल्मों का रुख किया. उन्हें साल 1955 में दो तेलुगू फिल्मों में काम करने का मौका मिला.
- बॉलीवुड में अभिनेता, निर्देशक व निर्माता गुरुदत्त ने उनका स्क्रीन टेस्ट लिया और पास होने पर उन्हें फिल्म सीआईडी में खलनायिका का किरदार दिया. अभिनय के अपने हुनर से उन्होंने इस किरदार में जान डाल दी, इसके बाद उन्हें एक के बाद एक फिल्में मिलनी शुरू हो गईं.
- गुरुदत्त और उनके प्रेम-प्रसंग के किस्से भी चर्चा में रहे. गुरुदत्त और वहीदा रहमान अभिनीत फिल्म कागज के फूल की असफल प्रेमकथा उन दोनों के जीवन पर आधारित थी. इसके बाद दोनों ने फिल्म चौदहवीं का चांद और साहब बीवी और गुलाम में साथ-साथ काम किया.
- वहीदा जी ने अपने करियर की शुरुआत में गुरुदत्त के साथ तीन साल का कॉन्ट्रैक्ट साइन किया था, जिसमें उन्होंने शर्त रखी थी कि वह कपड़े अपनी मर्ज़ी के पहनेंगी और अगर उन्हें कोई ड्रेस पसंद नहीं आई तो उन्हें वह पहनने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा.
- राज कपूर के साथ फिल्म तीसरी कसम में उन्होंने नाचने वाली हीराबाई का किरदार निभाया था और नौटंकी में गया था- पान खाए सैंया हमार... मलमल के कुर्ते पर पीक लाले लाल जो काफी लोकप्रिय हुआ था. इस फिल्म को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था.
- फिल्म गाइड में वहीदा रहमान और देवानंद की जोड़ी ने ऐसा कमाल किया कि दर्शक सिनेमाघरों में फिल्म देखने को टूट पड़ते थे. वहीदा जी को इस फिल्म के लिए बेस्ट एक्ट्रेस का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला था.
- वहीदा जी को 1972 में पद्मश्री और साल 2011 में पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
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