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मैं शायर तो नहीं… (Hindi Shayari: Main Shayer To Nahi…)

Hindi Shayari

बशीर बद्र की उम्दा ग़ज़ल 

कोई फूल धूप की पत्तियों में हरे रिबन से बंधा हुआ,
वो ग़ज़ल का लहजा नया-नया, न कहा हुआ न सुना हुआ
जिसे ले गई अभी हवा, वे वरक़ था दिल की किताब का,
कहीँ आँसुओं से मिटा हुआ, कहीं, आँसुओं से लिखा हुआ
कई मील रेत को काटकर, कोई मौज फूल खिला गई,
कोई पेड़ प्यास से मर रहा है, नदी के पास खड़ा हुआ
मुझे हादिसों ने सजा-सजा के बहुत हसीन बना दिया,
मिरा दिल भी जैसे दुल्हन का हाथ हो मेंहदियों से रचा हुआ
वही शहर है वही रास्ते, वही घर है और वही लान भी,
मगर इस दरीचे से पूछना, वो दरख़्त अनार का क्या हुआ
वही ख़त के जिसपे जगह-जगह, दो महकते होंठों के चाँद थे,
किसी भूले बिसरे से ताक़ पर तहे-गर्द होगा दबा हुआ

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