बशीर बद्र की ग़ज़ल
गाँव मिट जायेगा शहर जल जायेगा ज़िन्दगी तेरा चेहरा बदल जायेगा!! कुछ लिखो मर्सिया मसनवी या ग़ज़ल कोई काग़ज़ हो पानी में गल जायेगा!! अब उसी दिन लिखूँगा दुखों की ग़ज़ल जब मेरा हाथ लोहे में ढल जायेगा!! मैं अगर मुस्कुरा कर उन्हें देख लूँ क़ातिलों का इरादा बदल जायेगा!! आज सूरज का रुख़ है हमारी तरफ़ ये बदन मोम का है पिघल जायेगा!!
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