मैं शायर तो नहीं… (Hindi Shayari: Main Shayer to nahi…)
मिर्ज़ा ग़ालिब की उम्दा शायरी
चांदनी रात के ख़ामोश सितारों की क़सम,
दिल में अब तेरे सिवा कोई भी आबाद नहीं.
जी ढूंढ़ता है फिर वही फुर्सत के रात दिन,
बैठे रहे तसव्वुर-ए-जहान किये हुए.
आया है बे-कसी-ए-इश्क पे रोना ग़ालिब,
किसके घर जायेगा सैलाब-ए-बला मेरे बाद.
इश्क़ ने ग़ालिब निकम्मा कर दिया
ग़ैर ले महफ़िल में बोसे जाम के
हम रहें यूं तश्ना-ऐ-लब पैगाम के
ख़त लिखेंगे गरचे मतलब कुछ न हो
हम तो आशिक़ हैं तुम्हारे नाम के
इश्क़ ने ग़ालिब निकम्मा कर दिया
वरना हम भी आदमी थे काम के
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मैं शायर तो नहीं... (Hindi Shayari: Main Shayer to Nahi...) | Shayari In Hindi
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मिर्ज़ा ग़ालिब की उम्दा शायरी - चांदनी रात के ख़ामोश सितारों की क़सम, दिल में अब तेरे सिवा कोई भी आबाद नहीं. जी ढूंढ़ता है फिर वही फुर्सत के रात दिन, बैठे रहे तसव्वुर-ए-जहान किये हुए...
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Meri Saheli Hindi Magazine
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Pioneer Book Company Pvt Ltd
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