आजकल पैरेंट्स इस बात से ज़्यादा परेशान हैं कि उनके बच्चे स्मार्टफोन पर बहुत अधिक समय बिताते हैं. गेम्स खेलना, वीडियो और यूट्यूब देखना- बच्चों का ज़्यादातर समय इन्हीं डिजिटल एक्टिविटीज़ में जाता है, लेकिन उनकी इन डिजिटल एक्टिविटीज़ को मॉनिटर करना पैरेंट्स के लिए बहुत बड़ी चुनौती है.
स्मार्टफोन छोटे बच्चों और किशोरों के लिए एक बड़ी मुसीबत बन गया है. अक्सर जब बच्चे अपने पैरेंट्स को मोबाइल पर व्यस्त देखते हैं, तो वे भी ऐसा ही करते हैं. हालांकि पढ़ाई-लिखाई या काम के सिलसिले में देखी जाने वाली डिजिटल एक्टिविटीज़ बच्चों के लिए बहुत फ़ायदेमंद होती है, लेकिन अधिकतर स्थितियों में बच्चे स्मार्टफोन का इस्तेमाल वीडियो देखने और गेम्स खेलने के लिए ही करते हैं.
एक अध्ययन के अनुसार- अमेरिका में 11 साल या उससे छोटी उम्र वाले बच्चों के 80% पैरेंट्स का कहना है कि उनके बच्चे यूट्यूब पर स़िर्फ वीडियोज़ देखते हैं, बचे हुए लोगों में से 53% पैरेंट्स ने बताया कि उनके बच्चे रोज़ाना ऐसा करते हैं और बाकी बचे हुए 35% पैरेंट्स ने कहा कि ऐसा दिन में कई बार होता है जब वे कई-कई घंटों तक यूट्यूब देखते रहते हैं.
मुद्दा यह है कि पैरेंट्स उस स्थिति में क्या करें, जब उन्हें इस बात का पता चले कि उनका बच्चा ऐसी डिजिटल एक्टिविटीज़ में व्यस्त है, जो उसकी सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है. लेकिन उससे पहले ये सवाल उठता है कि बच्चा डिजिटल डिवाइस में क्या देख रहे हैं? और स्मार्टफोन में व्यस्त बच्चों की डिजिटल एक्टिविटीज़ की जांच पैरेंट्स कैसे करें?
इन तरीक़ों से करें पैरेंट्स अपने बच्चों की डिजिटल एक्टिविटीज़ की निगरानी.
पैरेंटिंग ऐप्स
टेक्नोलॉजी के बढ़ते प्रभाव के चलते बच्चों की साइबरबुलिंग का प्रचलन तेज़ी से बढ़ रहा है, इसलिए पैरेंट्स की ज़िम्मेदारी बनती है कि वे अपने बच्चों की ऑनलाइन गतिविधियों पर पैनी नज़र रखें, ताकि उन्हें महफूज़ रखा जा सके. आजकल बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कई बेस्ट पैरेंटिंग ऐप्स डेवलप किए गए हैं, जिनसे पैरेंट्स अपने बच्चों की डिजिटल एक्टिविटीज़ को मॉनिटर कर सकते हैं-

फैमिली टाइम: इस ऐप में टेक्स्ट मैसेज, कॉल्स और लोकेशन का इस्तेमाल करकेपैरेंट्स अपने बच्चों की ऑनलाइन गतिविधियों पर नज़र रख सकते हैं.
टीनसेफ: इस ऐप को डाउनलोड करके पैरेंट्स अपने बच्चों की मोबाइल फोन गतिविधियों पर नज़र रख सकते हैं. इस ऐप में भी टेक्स्ट मैसेज, ईमेल, फोटो और वेब ब्राउज़िंग जैसी सुविधाएं मौजूद हैं.
किड्स प्लेस: इस ऐप की मदद से पैरेंट्स बच्चों द्वारा इस्तेमाल किए जाने डिवाइस और उम्र के अनुसार पढ़ने वाले कॉन्टेंट को जान सकते हैं.
मोबिसिप: इस ऐप में ऐसे पैरेंटल कंट्रोल फीचर्स हैं, जिनके जरिए पैरेंट्स बच्चों द्वारा देखे जानेवाले ऐप्स, वेबसाइट, फोटोज़ और वीडियोज़ पर नज़र रख सकते है और उन्हें ब्लॉक भी कर सकते हैं.
कस्टोडियो: इस ऐप के जरिए पैरेंट्स बच्चों द्वारा की जानेवाली ऑनलाइन एक्टिविटीज़, जैसे- सोशल नेटवर्क, वेबसाइट और ऐप्स की रियल-टाइम मॉनिटरिंग कर सकते हैं.
ट्रैकिंग ऐप्स के लाभ
उपरोक्त बताए गए ट्रैकिंग ऐप्स की सहायता से पैरेंट्स सही समय पर बच्चों के मोबाइल डिवाइस की गतिविधियों पर नज़र रख कर उनकी सुरक्षा की जांच कर रख सकते हैं. इन ट्रैकिंग ऐप्स के लाभ इस प्रकार हैं:
इनकमिंग कॉल को प्रतिबंधित करें
इन ट्रैकिंग ऐप्स की सहायता से पैरेंट्स अनवांटेड कॉल्स और अनजान नंबर्स को ब्लॉक कर सकते हैं. ऐसे अनवांटेड और अनजान नंबर्स को पैरेंट्स ब्लॉक लिस्ट में डाल सकते हैं, ताकि ये नंबर्स बच्चों से दोबारा संपर्क न कर सकें.
सोशल मीडिया पर आए मैसेज और चैट को पढ़ें
ट्रैकिंग ऐप्स में मौजूद ट्रैकिंग टूल के जरिए कॉन्फेंस कॉल और प्राइवेट मैसेज को आसानी से पढ़ा जा सकता है. इस ट्रैकिंग टूल की सहायता से पैरेंट्स अपने बच्चे की ऑनलाइन गतिविधियों को नियंत्रित कर सकते हैं.
जीपीएस लोकेशन पर नज़र रखें
आपका बच्चा किस वक्त कहां है- पैरेंट्स इस बात का पता जीपीएस ट्रैकर से लगा सकते हैं. ये फीचर पैरेंट्स को बच्चे की लोकेशन के बारे में अपडेट रखेगा, जैसे- बच्चे के स्कूल/कॉलेज और कोचिंग क्लास आने-जाने के समय को दिखाएगा. जिन जगहों पर बच्चा आता-जाता है, उन जगहों का नाम जीपीएस पर डाल दें. फिर सारी अपडेट पैरेंट्स को मिलती रहेगी.

ऐसे कॉन्टेंट को ब्लॉक करें, जो बच्चे के लिए सही नहीं है
अगर पैरेंट्स को लगता है कि कुछ ऐसे कॉन्टेंट, वेबसाइट या ऐसा मटेरियल, जो बच्चे के लिए सही नहीं है, तो पैरेंट्स उन्हें ब्लॉक कर सकते हैं. बच्चे क्या सर्च कर रहे हैं, क्या देख रहे हैं, ट्रैकिंग ऐप से इन सब बातों का पता चलता है. इस तरह से पैरेंट्स बिना किसी परेशानी के बच्चे की गतिविधियों पर नज़र रख सकते हैं.
कॉल हिस्ट्री या कॉल लॉग देखें
पैरेंट्स बच्चे को बिना बताए उसके डिवाइस की कॉल हिस्ट्री/कॉल लॉग चेक करें और ये जानें कि आपके बच्चे को कौन कॉल कर रहा है और क्यों. इन ट्रैकिंग ऐप्स की मदद से पैरेंट्स बच्चे की फ्रेंड लिस्ट जान सकते हैं और अनवांटेड नंबर्स को ब्लॉक कर सकते हैं.
ईमेल रीडिंग का ऑप्शन भी है
पैरेंट्स इन ट्रैकिंग ऐप्स से बच्चों के ईमेल भी पढ़ सकते हैं और चेक कर सकते हैं कि कहीं आपका बच्चा ईमेल और फिशिंग अटैक से परेशान तो नहीं है. हैकिंग ऑनलाइन फ्रॉड और साइबर बुलिंग ऐसी चीज़ें हैं, जो बच्चों के लिए समस्याएं पैदा सकती हैं. इन ऐप्स से पैरेंट्स को इन चीज़ों से निपटने में मदद मिलती है.
इन तरीक़ों से बच्चों के साथ करें डील
- बचपन से बच्चों को ऑनलाइन रिस्क और सेफ्टी के बारे बताएं.
- बच्चों द्वारा इस्तेमाल की जा रही लेटेस्ट टेक्नोलॉजी के बारे में पैरेंट्स को पता होना चाहिए, जिससे पैरेंट्स बच्चों को उससे होनेवाले ख़तरे के बारे में अवगत करा सकें.
- घर का वातावरण ऐसा हो, जहां पर बच्चे अपने अच्छे और बुरे ऑनलाइन अनुभवों और परेशानी को बिना किसी झिझक के बताएं और बताने के बाद उनकी आलोचना न हो.
- बच्चों को ऑनलाइन गतिविधियों के ख़तरे और उसके नतीज़ों के बारे में खुलकर बताएं.
- बच्चों की डिजिटल एक्टिविटीज़ पर नज़र रखें. उनके द्वारा देखी जाने वाली वेबसाइट, उनके साथ चैट करने वाले लोगों और उनके द्वारा देखे जाने वाले कंटेंट के बारे में अलर्ट रहें.
- ऑनलाइन एक्टिविटीज करते हुए बच्चों की समय सीमा तय करें और नियमों का पालन करने के लिए कहें.
- इंटरनेट का उपयोग करते समय बच्चों को सुरक्षित और ज़िम्मेदार विकल्प चुनने के लिए कहें.
- बच्चों को ये भरोसा दें कि जब भी उन्हें मदद या सलाह की आवश्यकता हो, तो वे अपने पैरेंट्स के पास जाएं.

ऐसे रखें बच्चों के डिजिटल डिवाइस पर नज़र
- पैरेंट्स ये तय करें कि उनके बच्चे कब और कितनी देर अपने डिजिटल डिवाइस
का उपयोग कर सकते हैं. - रोज़ाना बच्चों द्वारा फोन पर बिताए जानेवाले समय की सीमा निर्धारित करें.
- इस तरी़के से पैरेंट्स ये जान सकते हैं कि बच्चे डिवाइस पर कितना समय बिता रहे हैं? कहीं वे अनहेल्दी डिजिटल आदतों में फंस तो नहीं रहे हैं.
- पैरेंट्स अपने बच्चों के फोन पर पैरेंटल कंट्रोल ऐप इंस्टॉल करें. इन ऐप्स से पैरेंट्स अपने बच्चों की डिजिटल गतिविधियों पर बारीकी से नज़र रख सकते हैं, जैसे- वे किससे बात कर रहे हैं? वे कौन-सी वेबसाइट देख रहे हैं? वे किस तरह का कॉन्टेंट देख रहे हैं? इन ऐप्स से पैरेंट्स ये जान सकते हैं कि उनके बच्चे ऑनलाइन खतरों का शिकार तो नहीं हो रहे हैं.
टेक्नोलॉजी का विकास जिस तेजी के साथ हो रहा है, उतनी ही गति से उसका दुरुपयोग भी रहा है, जैसे साइबर फ्रॉड, साइबर बुलिंग), साइबर क्राइम. इस सब कारणों से पैरेंट्स के लिए बच्चों के डिजिटल डिवाइस की निगरानी करना आवश्यक है, ताकि बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए उन्हें ग़लत दिशा में भटकने से रोका जा सके.
- देवांश शर्मा