कहतेे हैं, घर एक मंदिर है. लेकिन क्या इस मंदिर में पूजा घर, देवी-देवताओं के स्थान वास्तु के अनुसार हैं? इसे जानने के साथ क्यों न इससे जुड़ी सुख-समृद्धि के उपायों को भी जानें, ताकि घर के मंदिर में आस्था के दीप के साथ धन-वैभव भी बना रहे.

घर जहां पर हम सुख-शांति और सुकून के पल बिताते हैं. हम सबकी हमेशा ख़्वाहिश रहती है कि हमारे आशियाने में प्यार-अपनापन व आस्था के दीये हमेशा जगमगाते रहें. इसमें हमारे पूजा घर और भगवान के मंदिर का स्थान भी बहुत महत्व रखता है. आइए, जानते हैं वास्तु द्वारा घर के मंदिर से जुड़ी दिशाओं, वास्तु उपायों के बारे में आचार्य डॉ. मधुराज वास्तु गुरु से, ताकि आपके परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहे.

ईशान कोण शुभदायक
ईशान कोण जो उत्तर-पूर्व दिशा है, ज्ञान-बुद्धि के साथ-साथ भगवान का सबसे उत्तम स्थान माना जाता है. यह दिशा आध्यात्मिकता और पवित्रता का प्रतीक है. यह स्थान जल तत्व का प्रतिनिधित्व करता है, जो संतुलन का प्रतीक है. ईशान बृहस्पति ग्रह से जुड़ा है, अतः यहां पर मंदिर रखना शुभ होता है.
ईशान कोण के लाभ
- ईशान कोण को भगवान शिव का क्षेत्र मानते हैं. देवी-देवताओं की पूजा-आराधना के लिए भी इसे आदर्श माना जाता है. यदि आप इस दिशा में मंदिर बनवाते हैं, तो घर में धन-वैभव आता है.
- चूंकि ईशान कोण दिव्य एनर्जी को आकर्षित करता है, इसी कारण यहां मंदिर बनवाने से सकारात्मकता प्राप्त होने के साथ सुख-शांति मिलती है.
- इस दिशा में मंदिर होने से घर से निगेटिविटी भी दूर रहती है.
- यह मानसिक रूप से स्पष्टता भी लाता है.
- ईशान दिशा में ही सूर्य की पहली किरणें पड़ती हैं, जिससे यह एनर्जी से भरपूर होता है और ध्यान व पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है.
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दिशाएं-मंदिर...
* भगवान श्रीराम के लिए पूर्व दिशा सर्वश्रेष्ठ माना गया है. यहां पर मंदिर है और आप आस्था-विश्वास के साथ उनकी पूजा करते हैं तो कामयाबी की बुलंंदियों को छूते हैं.
* यदि पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में मंदिर है, तो यह स्थान राधा-कृष्ण की पूजा-आराधना के लिए आदर्श माना जाता है. यदि इस जगह पर आपका मंदिर है और देवी-देवताओं की पूरे मनोयोग से पूजा-पाठ की जाती है, तो घर से तनाव व परेशानी दूर रहती है.
* दक्षिण व दक्षिण-पूर्व दिशा में मंदिर हो, तो यह हनुमानजी की पूजा के लिए उत्तम है. इससे एनर्जी, शक्ति व आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होती है. * यदि आपका मंदिर पश्चिम या उत्तर-पश्चिम दिशा में है, तो यह यक्षिणी पूजा के लिए श्रेष्ठ है. लेकिन यह अन्य देवी-देवताओं के पूजा के लिए अनुकूल नहीं है.
* क्या आप जानते हैं कि मंदिर पश्चिम दिशा में है और आप स्टॉक ब्रोकर हैं तो यक़ीनन आपको सफलता मिलेगी. लेकिन यह भी उतना ही सच है कि यह कोण बेचैनी व चिंता की वजह भी बनता है.
* दक्षिण-पूर्व दिशा मंदिर के लिए अशुभ है. यहां पर पूजा करना सही नहीं माना जाता. इससे हेल्थ से लेकर फाइनेंस तक की समस्याएं घेर लेती हैं.
* दक्षिण दिशा वास्तु के अनुसार, मेडीटेशन, ध्यान-योग के लिए उपयुक्त माना जाता है. लेकिन अन्य देवताओं की पूजा के लिए यह स्थान उपयुक्त नहीं है.
* यदि आपके घर का मंदिर दक्षिण-पश्चिम दिशा में है तो नौकरी-व्यापार यानी पैसों से जुड़ी बाधाएं और पारिवारिक उलझनों से दो-चार होना पड़ेगा. किंतु यह भी गौर करनेवाली बात है कि पितरों-पूर्वजों के अनुष्ठान करने के लिए यह स्थान श्रेष्ठ है.
* यदि आपके मंदिर का स्थान पश्चिम दिशा है, जो धरती मां व गुरुओं का स्थान माना जाता है, तो यहां पर पूजा-आराधना करने से सुख-समृद्धि प्राप्त होती है.
* यदि आपके घर का मंदिर उत्तर दिशा में है, तो यहां गणेश भगवान और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करना श्रेष्ठ है. इससे आर्थिक स्थिति मज़बूत होती है.
* घर में मंदिर बनाने के लिए अन्य दिशाएं अनुकूल न मिल रही हों, तो वरुण देव द्वारा शासित पश्चिम दिशा को चुनें.

मंदिर से जुड़ी ज़रूरी बातें...
- जब भी पूजा करें, तो आपका मुख पूर्व या उत्तर की दिशा में हो.
- पूजाघर को बार-बार न बदलें. यानी मंदिर का स्थान फिक्स रखें.
- ईशान कोण कटा हुआ न हो, इस बात का ख़्याल रखें, वरना इससे घर में परेशानियां आ सकती हैं.
- मंदिर में मां लक्ष्मी के बाईं तरफ़ गणेश भगवान व दाईं तरफ़ सरस्वती देवी की मूर्ति रखें.
- पूजा घर में हनुमान जी की मूर्ति दक्षिण दिशा में रखें.
- देवी दुर्गा, कुबेर, गणेश भगवान की मूर्तियां उत्तर दिशा में दक्षिण दिशा की तरफ़ मुख करके रखें.
- शिव, ब्रह्मा, विष्णु व सूर्य भगवान को पूर्व दिशा में पश्चिम की तरफ़ मुख करके रखें.
वास्तु अनुसार मंदिर की दिशा चुनते समय निम्नलिखित बातों का रखें ध्यान-
- मंदिर के दरवाज़े, खिड़कियां पूर्व या फिर उत्तर दिशा में खुलें.
- पूजा के लिए तांबा, पीतल और चांदी के बर्तनों का इस्तेमाल उपयुक्त रहता है.
- पूजा घर को हल्के व सूदिंग रंगों से सजाएं. गहरे रंगों का उपयोग कम से कम करें.
- पूजा-पाठ करते समय चौकी, कालीन या फिर चटाई का इस्तेमाल करें.
- ध्यान रहे यदि घर के अंदर मंदिर है तो गुंबद नहीं होना चाहिए. और यदि खुले आसमान, जैसे-बगीचे, छत पर मंदिर है तो गुंबद ज़रूर हो यानी ऊपर की तरफ़ का हिस्सा सपाट न हो.
- ज़मीन के तल से थोड़ी ऊंचाई पर मंदिर बनवाएं. देवी-देवताओं की मूर्तियां ऊंचाई पर हों. - कोई भी मूर्ति छह इंच से ऊपर न हो. यदि है तो उसकी नियमित पूजा-पाठ और प्राण प्रतिष्ठा अनिवार्य है.

वास्तु टिप्स
- हेल्थ व धन-वैभव के लिए उत्तर या पूर्व की दिशा में तेल का दीया जलाएं.
- पूजा घर या लिविंग रूम मंदिर के लिए श्रेष्ठ स्थान है.
- ग्राउंड फ्लोर पर मंदिर रखना उत्तम माना जाता है.
- भगवान की मूर्तियां, चित्र, प्रतिमाएं आदि वास्तु अनुसार उपयुक्त दिशाओं मेें ही रखें.
- मंदिर में शंख अवश्य रखें और उसमें हर रोज़ जल भरकर रखें. जल को प्रतिदिन बदलते रहें. इस जल का पूरे घर में छिड़काव करें.
- दीयों को साफ़ रखें और दीया जलाते समय रुई की बत्ती का ही उपयोग करें.
- भगवान की मूर्तियों और मंदिर को सजाने तथा पूजा के लिए ताज़े फूलों का ही इस्तेमाल करें.
- मंदिर के लिए हल्का पीला, नारंगी, क्रीम, बेज, लैवेंडर व सफ़ेद शुभ रंग हैं.
- मंदिर बनाने के लिए लकड़ी, संगमरमर व ग्रेनाइट उत्तम हैं.
- ब्रह्म स्थान हमेशा खाली रखें. हां, कुछ लगाना चाहते हों तो तुलसी या पाम का पौधा लगा सकते हैं.
ये न करें...
- कभी भी दक्षिण दिशा की तरफ़ दीया न रखें, इससे धन की हानि होती है.
- दक्षिण व आग्नेय (दक्षिण-पूर्व) दिशा में मंदिर स्थापित न करें.
- मंदिर में परिवार के मृतकों की तस्वीरें न रखें.
- बेडरूम में मंदिर बिल्कुल न बनाएं. अगर रखना अनिर्वाय हो तो मंदिर को परदे से ढंक दें.
- मंदिर में टूटी हुई या फिर बेरंग मूर्तियां न रखें.
- मंदिर में एक ही देवता की कई मूर्तियां न रखें.
- मुख्य द्वार के सामने, बेसमेंट, सीढ़ियों के नीचे, टॉयलेट के पास मंदिर बनाने से बचें.
- धार्मिक किताबें पश्चिम व दक्षिण दीवार पर रखें. फटी-कटी किताबें बिल्कुल न रखें. हां, मंदिर परिसर में हर रोज़ पढ़ी जानेवाली किताबें ही रखें. - पूजा घर में देवी-देवताओं के क्रोधित रूप वाली फोटो, चमड़े की चीज़ें, धन-संपत्ति से जुड़ी सामग्री न रखें.
- मंदिर में काले व गहरे भूरे रंगों का इस्तेमाल करने से बचें.
सावधानियां
- कभी भी दक्षिण दिशा में मंदिर न बनाएं. दरअसल, यह पितरों का स्थान माना जाता है. यदि आपका मंदिर इस दिशा में होगा तो निगेटिविटी फैलने के साथ-साथ घर में लड़ाई-झगड़े भी होते रहेंगे.
- मंदिर बनाते समय इस बात का भी ध्यान देना चाहिए कि उस पर सूर्य की किरणें भरपूर पड़ती हों. सूरज की रोशनी हमारे जीवन को प्रकाश से भरपूर करने के साथ एनर्जी की प्रतीक भी है. यदि सूर्य की रोशनी पूर्व दिशा से न आ पाए तो वहां पर सूर्य का घोड़े के साथ फोटो या सूर्य भगवान का सिंबल लगा सकते हैं.
- ऊषा गुप्ता

