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यू संतुलित रखें व्हाइट ब्लड सेल्स काउंट (How To Maintain White Blood Cells Count)

मानव शरीर के लिए जितनी आवश्यक लाल रक्त कोशिकाएं होती हैं, उतनी ही ज़रूरी होती हैं स़फेद रक्त कोशिकाएं (White Blood Cells). शरीर में मौजूद स़फेद रक्त कोशिकाएं यानी व्हाइट ब्लड सेल्स न स़िर्फ हमारे शरीर को रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करती हैं, बल्कि ये गंभीर संक्रमण से भी शरीर की रक्षा करती हैं. ज़रा सोचिए, अगर शरीर में इन कोशिकाओं की कमी हो जाए तो फिर क्या होगा? ज़ाहिर है इन कोशिकाओं की कमी के चलते शरीर रोगों से लड़ नहीं पाएगा और कई बीमारियां व्यक्ति के शरीर को अपने कब्ज़े में ले लेंगी. ऐसे में इस बात का ख़्याल रखना बेहद ज़रूरी है कि शरीर के भीतर स़फेद रक्त कोशिकाओं की संतुलित मात्रा कम न होने पाए. White Blood Cells क्या हैं इनके प्रमुख कार्य? किसी स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में स़फेद रक्त कोशिकाओं की संख्या 4,000 से 11,000 प्रति माइक्रोलीटर होती हैं. ये कोशिकाएं बाहरी संक्रमण से हमारे शरीर की रक्षा करती हैं. इसके साथ ही ये एंटीबॉडी के उत्पादन को सुविधाजनक बनाने के साथ-साथ संक्रामक एजेंटों और कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने में भी मदद करती हैं. हालांकि कई कारणों से इन कोशिकाओं की संख्या में उतार-चढ़ाव होता है, लेकिन जब संक्रमण से बचाव करने वाली स़फेद रक्त कोशिकाओं की मात्रा में कमी आने लगती है तो शरीर में कई गंभीर बीमारियों का ख़तरा बढ़ जाता है. स़फेद रक्त कोशिकाओं के प्रकार स़फेद रक्त कोशिकाओं को ल्यूकोसाइट्स के नाम से भी जाता जाता है और प्रत्येक व्यक्ति के शरीर में ये कोशिकाएं 5 प्रकार की होती हैं. 1- लिम्फोसाइटः ये शरीर में ऐसे एंटीबॉडी के निर्माण में अहम् भूमिका निभाती हैं, जो आंतों के कीड़े जैसे बड़े परजीवी, बैक्टीरिया, वायरस आदि से शरीर की रक्षा करती हैं. 2- न्यूट्रोफिलः ये शक्तिशाली स़फेद रक्त कोशिकाएं बैक्टीरिया और कवक को नष्ट करके शरीर की रोगों से रक्षा करती हैं. 3- बेसोफिलः ये कोशिकाएं रक्त प्रवाह में रसायनों का स्राव करके शरीर को संक्रमण के प्रति सतर्क करती हैं, साथ ही एलर्जी से लड़ने में भी मदद करती हैं. 4- एओसिनोफिलः ये कोशिकाएं परजीवी और कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए ज़िम्मेदार होती हैं. 5- मोनोसाइटः ये कोशिकाएं शरीर में प्रवेश करने वाले रोगाणुओं या जीवाणुओं पर हमला करने और उन्हें नष्ट करने के लिए ज़िम्मेदार होती हैं. क्यों घटती है इनकी संख्या? जब शरीर में व्हाइट ब्लड सेल्स यानी स़फेद रक्त कोशिकाओं की संख्या बेहद कम हो जाती है, तो व्यक्ति को ल्यूकोपेनिया नामक समस्या हो जाती है. ऐसे में शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और एड्स, कैंसर व हेपेटाइटिस जैसे गंभीर रोगों के होने का ख़तरा बढ़ जाता है. आमतौर पर इन कोशिकाओं की संख्या में गिरावट के पीछे निम्न कारण हो सकते हैं. . एचआईवी. . ऑटोइम्यून डिसऑर्डर. . विषाणु संक्रमण. . जन्मजात विकार. . कैंसर. . एंटीबायोटिक दवाएं. . ख़राब पोषण. . शराब का सेवन. . रेडिएशन थेरेपी. लक्षण . तेज़ बुखार, बदन दर्द. . खांसी और गले में ख़राश. . सांस लेने में तकलीफ़. . वज़न कम होना. . ठंड लगना या पसीना आना. . सूजन और लाल चकत्ते. . मुंह में छाले. ऐसे करें संतुलित कॉपर- शरीर में कॉपर की कमी होने पर स़फेद रक्त कोशिकाओं का संतुलन बिगड़ सकता है और इनकी संख्या में गिरावट आ सकती है. इसे संतुलित करने के लिए कॉपर सप्लीमेंट के साथ-साथ मांस, हरी पत्तेदार सब्ज़ियों और अनाज का सेवन फ़ायदेमंद रहेगा. ज़िंक- शरीर में इसकी संतुलित मात्रा स़फेद रक्त कोशिकाओं के कामकाज को सामान्य बनाए रखने में मदद करती है. शरीर में ज़िंक की कमी को पूरा करने के लिए ओेएस्टर मछली, रेड मीट, सी फूड, सेम और नट्स का सेवन करना चाहिए. विटामिन्स- विटामिन ए, सी और ई स़फेद रक्त कोशिकाओं की संख्या को बढ़ाने में सहायक होते हैं. ये शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद भी करते हैं. इसके लिए गाजर, टमाटर, ऑलिव ऑयल, बादाम, रसीले व खट्टे फल, हरी पत्तेदार सब्ज़ियों आदि का सेवन करें. ये भी पढ़ेंः क्या आप जानते हैं फैट से जुड़े 5 फैक्ट्स? (5 Facts About Fats) कीवी- इसमें शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट्स के साथ पोटैशियम, विटामिन सी और ई भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. ये सभी पोषक तत्व रोग-प्रतिरोधक क्षमता के साथ-साथ स़फेद रक्त कोशिकाओं को बढ़ाने में अहम् भूमिका निभाते हैं. लहसुन- इसमें मौजूद एलिसिन नामक तत्व इंफेक्शन और बैक्टीरिया से लड़ने में शरीर की मदद करता है. हर रोज़ खाने में लहसुन का इस्तेमाल करने से पेट के अल्सर और कैंसर से बचाव होता है. लहसुन शरीर में स़फेद रक्त कोशिकाओं की कमी को दूर करने में भी मदद करता है. दही- इसमेंें मौजूद प्रोबायोटिक्स व पोषक तत्व शरीर के लिए एंटीबायोटिक की तरह काम करते हैं और शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं. इसमें उत्तेजनात्मक गुण भी होता है, जो स़फेद रक्त कोशिकाओं को बढ़ाने में मदद करता है. ग्रीन टी- इसमें भरपूर मात्रा में एंटी-ऑक्सिडेंट पाए जाते हैं, जो शरीर में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट करके इम्यून सिस्टम को मज़बूत बनाते हैं. इसके साथ ही ग्रीन टी स़फेद रक्त कोशिकाओं की संख्या को संतुलित बनाए रखने में मदद करती है. हल्दी- इसका उपयोग लगभग सभी भारतीय घरों में किया जाता है. हल्दी में मौजूद एंटीइंफ्लेमेट्री गुणों के कारण इसका उपयोग औषधि के रूप में भी किया जाता है. इसमें करक्यूमिन की उच्च मात्रा होती है और पर्याप्त मात्रा में इसका सेवन शरीर में स़फेद रक्त कोशिकाओं की संख्या को संतुलित बनाने में मदद करता है. सब्ज़ियां- हरी व पत्तेदार सब्ज़ियों में आयरन, विटामिन ए, विटामिन बी कॉम्प्लेक्स, विटामिन सी, कैल्शियम और फाइबर भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. इनमें मौजूद शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट्स रोग-प्रतिरोधक क्षमता को मज़बूत बनाने के साथ-साथ स़फेद रक्त कोशिकाओं की संख्या को भी बढ़ाते हैं, इसलिए अपने आहार में हरी व पत्तेदार सब्ज़ियों को ज़रूर शामिल करें. न करें नशा- शराब, सिगरेट, गुटखा या तंबाकू जैसी चीज़ें सेहत के लिए नुक़सानदेह होती हैं, इसलिए बेहतर यही होगा कि आप ख़ुद को नशे की लत से दूर रखें. इन चीज़ों में मौजूद हानिकारक रसायन स़फेद रक्त कोशिकाओं को नष्ट करने का कारण बन सकते हैं. ये भी पढ़ेंः स्पनपान से जुड़े 10 मिथकों की सच्चाई (10 Breastfeeding Myths Busted)

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