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कोरोना लॉकडाउन पीरियड में मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य का ध्यान रखना बेहद ज़रूरी है (How To Take Care Of Yourself, Your Children And The Elderly At Home In The corona Lockdown Period)

कोरोना वायरस के डर से इस समय पूरी दुनिया लॉकडाउन हो गई है. सबके मन में डर, चिंता, तनाव, असमंजस, घबराहट, बेचैनी जैसे कई भावनाएं उमड़-घुमड़ रही हैं, जिससे लोगों का मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है. लेकिन इस समय लोगों पर शारीरिक, सामाजिक, आर्थिक समस्याएं इतनी हावी हो गई हैं कि कई लोग अपने मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान ही नहीं दे रहे हैं. बहुत से लोगों के मन में बहुत से सवाल हैं, कई लोगों को समझ नहीं आ रहा है कि इस समय वो अपने बच्चों और घर के बुज़ुर्गों का ध्यान कैसे रखें. ऐसी स्थिति में सभी के लिए ये बहुत ज़रूरी है कि वो अपने और अपने परिवार के मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें. इस समय व्यक्तिगत स्वच्छता और सुरक्षा के साथ सबसे ज़्यादा ज़रूरी है कि हम अपने मानसिक स्वास्थ्य का बैलेंस बनाए रखें. अपने मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य में संतुलन बनाने के बारे में विस्तार से बता रही हैं क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट, काउंसलिंग साइकोथेरेपिस्ट और मल्टीपल डिसएबिलिटीज (रेमेडियल स्पेशलिस्ट) की विशेषज्ञ रिया धीर, जिनके दिए गए कुछ उपायों का उपयोग करके आप सक्षम और सफल हो सक्ते हैं.

How To Take Care Of Yourself, Your Children And The Elderly At Home In The corona Lockdown Period

कोरोना लॉकडाउन अवसर की अवधि को आत्म-वृद्धि के लिए संशोधित करें

इस समय जब पूरे विश्व में डर और नकारात्मकता की दशा छाई हुई है, ऐसे में सकारात्मक सोच आपकी ज़िंदगी बदल सकती है. इस समय आपके मन में भी आनेवाले कल को लेकर असमंजस और डर की भावना घर कर रही होगी. दिनभर घर में बैठना बोझ लग रहा होगा, लेकिन इस समय को यदि आप अच्छे अवसर की तरह देखें, तो आपको कुछ भी नकारात्मक नहीं लगेगा. कोरोना लॉकडाउन पीरियड में नेगेटिव बातों और खबरों से बचने की कोशिश करें. सही सोर्स व स्पेशलिस्ट से जानकारी हासिल करें, ताकि आप उचित सावधानी बरतें और विपरीत परिस्थिति में सही निर्णय लें. दरअसल, परिस्थिति चाहे कितनी ही मुश्किल क्यों न हो, यदि हम उस स्थिति से बाहर निकलने की ठान लें, तो कुछ भी नामुमकिन नहीं. रात चाहे कितनी ही काली, कितनी ही गहरी क्यों न हो, रात के बाद सवेरा होता ही है. इसी तरह जीवन में चाहे कितनी ही तकलीफ क्यों न आए, दुःख के बादल छंट ही जाते हैं और ज़िंदगी खुशियों से मुस्कुराने लगती है.

स्वस्थ और सुरक्षित रहने के लिए जितना ज़रूरी शारीरिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना है, इस कठिन समय से जूझने के लिए उतना ही ज़रूरी है मानसिक रूप से स्वस्थ और संतुलित रहना. यदि आप मानसिक रूप से मज़बूत हैं, तो आप इस मुश्किल समय को भी पॉज़िटिव तरीके से देख सकेंगे. कई लोग मुंह से भले ही कुछ न कहें, लेकिन जाने-अनजाने उनके मन में डर, चिंता, तनाव बढ़ सकता है. इस मुश्किल दौर में जो लोग घर से काम कर रहे हैं तथा बड़े-बुज़ुर्गों व बच्चों के साथ घर में हैं, उनके लिए इस स्थिति को संभालना बहुत मुश्किल हो रहा है. इस स्थिति में वो घर और ऑफिस की ज़रूरतों को पूरा करते हुए इतना स्ट्रेस महसूस करते हैं कि मानसिक रूप से थक जाते हैं. शारीरिक रूप से भले ही वो एक्टिव नज़र आते हैं, लेकिन मानसिक रूप से वो थकान और तनाव महसूस करते हैं.

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How To Take Care Of Yourself, At Home In The corona Lockdown Period

कोरोना लॉकडाउन पीरियड में ये मनोवैज्ञानिक उपाय आपके बहुत काम आ सकते हैं 

जीवन के हर पड़ाव पर, फिर चाहे बचपन हो या बुढ़ापा, आपका मानसिक रूप से स्वस्थ होना बहुत आवश्यक है, तभी आप हर स्थिति का डटकर सामना कर सकते हैं. इसके लिए हम सब मिलकर प्रयास कर सकते हैं. आइए, इस वैश्विक संकट के समय में एक-दूसरे की मदद करें, इसका सामना करें और इससे साथ में बाहर निकलें.

* इस समय प्रसाशन द्वारा जारी नियमों का पालन करना बेहद ज़रूरी है. स्वच्छ रहें और अपने हाथों को अच्छी तरह से धोएं, अच्छी तरह से सोएं और अच्छी तरह से हाइड्रेटेड रहें, स्वस्थ पोषक तत्वों से भरपूर भोजन करें, शारीरिक स्वास्थ्य बनाए रखें और घर से बाहर केवल आवश्यक चीजों के लिए जाएं अन्यथा कृपया नियमों का पालन करें और बाहर जाने से बचें. ये न भूलें कि इस समय आपका घर में रहना समय की मांग है और इसमें ही आपकी और आपके परिवार की सुरक्षा है.

* ऐसी स्थिति में आमतौर पर मन में ये विचार आते हैं कि, “कहीं ये मुझे न हो जाए, कहीं मैं इसका शिकार न हो जाऊं, अगर मुझे ये हो गया तो क्या होगा, मैं कोरेन्टाइन नहीं होना चाहता, मुझे डर लग रहा है, मैं इसके बारे में सोचे बिना नहीं रह पा रहा हूं”. ऐसी स्थिति में मन में ऐसे विचार आना स्वाभाविक है, जिसके कारण गुस्सा और बेचैनी बढ़ने लगती है. जब हम सोशल डिस्टेंस या कोरेन्टाइन की बात करते हैं, तो इससे मानसिक रूप से उलझने के बजाय ये सोचना ज़रूरी है कि ये आपकी और आप जिन्हें प्यार करते हैं, उनकी सुरक्षा के लिए बहुत ज़रूरी है.

* घर में रहना कुछ लोगों को बंधन लग सकता है, कुछ लोगों के लिए ये फ़्रस्ट्रेशन या कैद हो जाना हो सकता है, लेकिन कई लोगों के लिए ये रिफ्रेशिंग और ‘मी-टाइम’ भी हो सकता है. ये इस बात पर निर्भर करता है कि आप अपने समय का कैसे प्रयोग करते हैं.

* जो लोग बहुत सक्रिय रहते हैं, उन्हें इस समय घबराहट, बेचैनी, चिंता, स्ट्रेस, प्रेशर महसूस हो सकता है, जिसके कारण उनका मूड खराब हो सकता है, वो डिप्रेस्ड हो सकते हैं. यदि आप इस स्थिति का सामना नहीं कर पाते, आपके मन में हर समय डर, घबराहट, चिंता रहती है, तो इससे आपकी मानसिक स्थिति पर जोर पड़ सकता है, जिससे आपका शारीरिक स्वास्थ्य भी प्रभावित हो सकता है, आपकी इम्यूनिटी प्रभावित हो सकती है, इसलिए इस स्थिति का डटकर सामना करें और पॉज़िटिव सोचें.

* गतिविधि जो आप घर पर कर सकते हैं: एक मूड मॉनिटरिंग जर्नल बनाएं, जहां आप एक दिन में अपने सभी नकारात्मक विचारों और प्रतिक्रियाओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं, इसे लिखें. फिर दिन के अंत तक सुधार के साथ बैठें और उसी स्थिति के लिए अपना दृष्टिकोण बदलने के लिए सकारात्मक सुदृढीकरण का उपयोग करने का प्रयास करें.

* नए स्वास्थ्य नियम निर्धारित करें, योग करें, व्यायाम करें और कसरत करें, एक नया आहार चार्ट बनाएं और अपनी जीवनशैली में बदलाव करें. स्वास्थ्य के लिए ध्यान और प्राणायाम सांस लेना आपके श्वसन तंत्र को मजबूत करता है और प्रतिरक्षा का निर्माण करता है

* कोरोना लॉकडाउन पीरियड को अवसर में बदलें और इस समय वो सारे काम करें जो आप कई समय से नहीं कर पा रहे थे. इस समय को अच्छा अवसर मानकर आप इसका सदुपयोग अपनी क्रिएटिविटी बढ़ाने के लिए कर सकते हैं, अपनी कला को बाहर ला सकते हैं.

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कोरोना लोकडाउन में बच्चों और बुज़ुर्गों का ध्यान कैसे रखें

कोरोना के लॉकडाउन के दौरान बच्चों और बुज़ुर्गों के साथ रहना आपके लिए एक चुनौती हो सकती है क्योंकि वे बहुत संवेदनशील हैं, लेकिन ऐसे समय में उन्हें भावनात्मक रूप से समझना और उनकी मदद करना उनके और आपके लिए शांति बनाए रखने में मदद कर सकता है.

कोरोना लोकडाउन पीरियड में बच्चों का ध्यान कैसे रखें

कामकाजी माता-पिता को अपने बच्चों को समय देना चाहिए और उनकी गतिविधियों में शामिल होना चाहिए. आपके बढ़ते बच्चों के मन में कई सवाल होते हैं और बच्चे बहुत सवाल भी करते हैं. उनके मन में बहुत कुछ जान लेने की इच्छा होती है. कोरोना लोकडाउन की स्थिति में आपके बच्चे आपसे एक ही सवाल कई बार पूछ सकते हैं, वो बोर होने के कारण चिड़चिड़े भी हो सकते हैं, ओवर रिएक्ट भी कर सकते हैं. ऐसी स्थिति में आप उनके सवालों के जवाब किस तरह देते हैं, इससे उनके बालमन पर बहुत असर हो सकता है. बच्चों के सवालों का जवाब देते समय आपको बहुत ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि कभी-कभी आपके जवाब या आपकी प्रतिक्रिया उन्हें डर की ओर ले जाती है, बच्चे असुरक्षित भी महसूस कर सकते हैं, इसलिए आपको बच्चों के मासूम सवालों का जवाब बहुत सोच-समझकर देना चाहिए. ऐसी स्थिति में आप घर में क्या बातें करते हैं, इसका भी बच्चों पर बहुत असर होता है.

How To Take Care Of Yourself, Your Children  At Home In The corona Lockdown Period

* ऐसी स्थिति में बच्चों के सामने टीवी, फोन आदि पर कोरोना से जुड़ी ख़बरें ज़्यादा न देखें, बच्चों को ऐसी खबरें अकेले ना देखने दें, क्योंकि जानकारी के अभाव में बच्चे डर सकते हैं, असुरक्षित महसूस कर सकते हैं और बेचैन हो सकते हैं.

* इस समय बच्चों को हाइजीन का महत्व समझाएं और उन्हें वर्तमान स्थिति की सही जानकारी दें. बच्चों के साथ कोई मज़ेदार गेम खेलते हुए आप खेल-खेल उन्हें इसकी जानकारी दे सकते हैं.

* लॉकडाउन पीरियड में बच्चों के साथ बात करें, उनके मन को समझने की कोशिश करें, उनके साथ इनडोर गेम खेलें, उनके साथ किताबें पढ़ें, डांस, ड्रॉइंग जैसी गतिविधियों में बच्चों को बिज़ी रखकर उनकी क्रिएटिविटी बढ़ाएं.

* स्पेशल बच्चे जिन्हें ज़्यादा देखभाल की ज़रूरत होती है, कृपया उनकी ख़ास देखभाल करें. यदि आपको किसी तरह की सहायता और गाइडेंस की ज़रूरत हो, तो कृपया अपने स्पेशलिस्ट या हम जैसे साइकोलॉजिस्ट और चाइल्ड स्पेशलिस्ट को कभी भी फोन कर लें. आपकी मानसिक ज़िम्मेदारियों में आपकी मदद करना हमारा कर्तव्य भी है. स्पेशल चाइल्ड को इस समय आपकी स्पेशल केयर की ज़रूरत होती है इसलिए उनका ख़ास ध्यान रखें.

* कोरोना लोकडाउन पीरियड में घर बैठे-बैठे आपकी और आपके बच्चों की मानसिक सुरक्षा आपके हाथ में है, अतः ये आपकी ज़िम्मेदारी है कि आप अपने बच्चों को आपका समय और प्रयास देकर बच्चे को भावनात्मक रूप से सुरक्षित महसूस कराएं.

कोरोना लोकडाउन पीरियड में बुज़ुर्गों का ध्यान कैसे रखें

* कोरोना लोकडाउन पीरियड में बुज़ुर्गों के लिए अलग से समय निकालें. वे भावनात्मक रूप से बहुत संवेदनशील हैं और कुछ मामलों में पहले से मौजूद स्वास्थ्य सम्मेलनों के आधार पर आपके लिए एक पूर्णकालिक जिम्मेदारी हो सकते हैं. ऐसी स्थिति में उनके मन में अनजाना डर बैठ सकता है, वो असुरक्षित महसूस कर सकते हैं, इसलिए आपका उन्हें समय देना बहुत ज़रूरी है. इस समय अपने घर के बुज़ुर्गों से बात करके आप न सिर्फ उनका डर दूर कर सकते हैं, बल्कि उन्हें सुरक्षित महसूस करा सकते हैं और उनके साथ अपने रिश्ते को और ज़्यादा मज़बूत बना सकते हैं.

How To Take Care Of Yourself, Your Children And The Elderly At Home In The corona Lockdown Period

* उन्हें स्थिति से अवगत कराएं, उन्हें बताएं कि इस समय उन्हें अपना और ज़्यादा ध्यान रखने की ज़रूरत है. अपने घर के बुज़ुर्गों को बताएं कि उनके लिए सोशल डिस्टेंस क्यों ज़रूरी है. आपकी बातों से वो डर सकते हैं, चिढ़ सकते हैं, आपसे कई तरह के सवाल या बहस कर सकते हैं. ऐसे में उनके साथ शांति से पेश आएं. उन्हें डेली ब्रीदिंग एक्सरसाइज़ कराएं, उन्हें पौष्टिक भोजन दें, उनकी दवाओं पर नज़र रखें, उन्हें समग्र अभ्यास का अनुभव दें, ताकि उनके मन की शांति बनी रहे. उनके मन के डर को हटाने के लिए उन्हें स्वस्थ बातचीत में शामिल करें और उनसे उनके जीवन के अनुभवों के बारे में पूछें जो उन्हें खुश करते हैं, उन्हें प्रेरित महसूस करने के लिए उनकी उपलब्धियों पर चर्चा करें. उनके साथ वो चीज़ें करें जो उन्हें पसंद हैं.  

* हर किसी को यह मौका नहीं मिलता, तो अपने माता-पिता को आप आज वो समय दें जो उन्होंने आपकी परवरिश, आपकी ज़रूरतों पर दिया था. उन्हें भी आज आपकी जरूरत है.

सरकार अपने काम को सही तरीक़े से निभा रही है. आपको सही जानकारी से अवगत करा रही है. इस जागरूकता को समझना आवश्यक है और ये समझना ज़रूरी है कि लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंस आपकी मजबूरी नहीं, परंतु आपका सामाजिक कर्तव्य है, ताकि आप अपने परिवार को और अपने समाज को सुरक्षित रखें. ऐसा करके आप अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा कर सकते हैं, प्रसाशन और देश को सहयोग कर सकते हैं और एक ज़िम्मेदार नागरिक होने का फर्ज़ निभा सकते हैं.

“अपनी समस्याओं के बारे में सोचकर दुखी होते समय, हम ये भूल जाते हैं कि हमें जो ज़िंदगी मिली है, कई लोगों ने अपनी जान गंवाई और जीवन का वो अवसर भी खो दिया है, इसलिए हमें अपने जीवन के प्रति हमेशा आभारी होना चाहिए. मेरी तरफ से मैं आप सभी के लिए टेलीफोन पर किसी भी तरह के रिकमन्डेशन और सलाह के लिए उपलब्ध हूं. जो लोग अपने बच्चों, घर के बुज़ुर्गों के बारे में चिंतित हैं, जो लोग अपनी लाइफस्टाइल में आए बदलावों, मनोवैज्ञानिक परिवर्तनों में संतुलन नहीं बना पा रहे हैं, जो लोग डर, चिंता, चिड़चिड़ापन, स्ट्रेस, डिप्रेशन महसूस कर रहे हैं, ऐसे सभी लोगों की मदद करने की मैं पूरी कोशिश करूंगी. आप मुझे अपनी समस्याएं बता सकते हैं, आपकी समस्याओं को दूर करने में मैं आपकी हर संभव सहायता करूंगी.”
- रिया धीर
मुंबई स्थित क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट, काउंसलिंग साइकोथेरेपिस्ट और मल्टीपल डिसएबिलिटीज (रेमेडियल स्पेशलिस्ट) की विशेषज्ञ
Contact: (+91) 750-608-8917

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