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जानें आइब्रूफेन को (Ibuprofen Oral : Uses, Side Effects, Interactions)

एेसी कई दवाइयां हैं जिनका सेवन हम अक्सर करते हैं, लेकिन उनके बारे में हमें ज़्यादा जानकारी नहीं होती. जानकारी के अभाव में हम ग़लत तरी़के से दवा का सेवन कर लेते हैं, जिनके साइड इफेक्ट्स स्वास्थ्य पर बुरा असर डालते हैं. ख़ास इसी बात को ध्यान में रखते हुए आइब्रूफेन (Ibuprofen) से संबंधित जानकारी के लिए हमने बात की ज्यूपिटर हॉस्पिटल, मुंबई के कंसल्टेंट फिजिशियन डॉ. अमित श्रॉफ से.  Ibuprofen Oral , Uses, Side Effects, Interactions क्या है आइब्रूफेन? आइब्रूफेन(Ibuprofen) एक नॉनस्टेरॉइडियल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग (एमएसएआईडी) है. बुखार, पीठदर्द, सिरदर्द, दांत में दर्द, आर्थराइटिस, मासिक धर्म के दौरान दर्द इत्यादि होने पर यह दवा दी जाती है. यह दवा शरीर में दर्द और सूजन देनेवाले हार्मोन्स का स्राव कम कर देती है, जिससे दर्द महसूस नहीं होता. छह महीने से ज़्यादा उम्र के बच्चों से लेकर वयस्क इस दवा का सेवन करते हैं. आवश्यक जानकारी दिल संबंधी बीमारियां होने या लगातार बहुत दिनों तक इस दवा का सेवन करने से हार्ट अटैक व स्ट्रोक का ख़तरा बढ़ जाता है. बायपास सर्जरी के तुरंत बाद इस दवा का सेवन नहीं करना चाहिए. अगर आपको आइब्रूफेन से एलर्जी है या पहले कभी नॉनस्टेरॉइडियल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग या एस्प्रिन लेने पर आपको कभी अस्थमा अटैक या एलर्जिक रिएक्शन हुआ हो तो इस दवा का सेवन करने से बचें. आइब्रूफेन के कारण पेट व आंतों में ब्लीडिंग हो सकती है, जो जानलेवा होता है. इसका ख़तरा अधिक उम्र के लोगों को ज़्यादा होता है. डॉक्टर द्वारा बताए गए डोज़ से ज़्यादा आइब्रूफेन का सेवन न करें, क्योंकि इससे आपके पेट या आंतों के क्षतिग्रस्त होने का ख़तरा रहता है. इसके अलावा अगर आपको निम्न समस्याएं हैं तो आइब्रूफेन(Ibuprofen) लेने से पहले डॉक्टर से अवश्य पूछें. 1- हार्ट डिज़ीज़, हाई ब्लडप्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल     या डायबिटीज़ 2- अगर आप स्मोकिंग करते हैं8 यदि हार्ट अटैक, स्ट्रोक या ब्लड क्लॉट की हिस्ट्री 3- स्टमक अल्सर या ब्लीडिंग की हिस्ट्री 8 अस्थमा8 लिवर या किडनी डिज़ीज़ 4- प्रेग्नेंसी के अंतिम तीन महीनों के दौरान आइब्रूफेन का सेवन करने से बच्चे की सेहत पर बुरा असर पड़ने का ख़तरा रहता है. ये भी पढेंः जानिए कौन-सी दवा के साथ क्या नहीं खाना चाहिए? आइब्रूफेन (Ibuprofen) किस तरह लें? आइब्रूफेन उतनी ही मात्रा में लें, जितनी मात्रा में डॉक्टर ने लेने की सलाह दी है. बताए हुए डोज़ से ज़्यादा लेने की ग़लती बिल्कुल न करें. आइब्रूफेन का ओवरडोज़ आपके स्टमक या इंटेस्टाइन को क्षतिग्रस्त कर सकता है. एक वयस्क व्यक्ति के लिए आइब्रूफेन का अधिकतम  डोज़ 320 एमजी प्रतिदिन (ज़्यादा से ज़्यादा 4 डोज़) होता है. अगर दर्द, फीवर या स्वेलिंग से आराम मिल जाए तो आप डोज़ घटा भी सकते हैं. बच्चों के लिए आइब्रूफेन का डोज़ उनकी उम्र और वज़न पर निर्भर करता है. अतः डॉक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन ध्यानपूर्वक करें. अगर आपके मन में कोई शंका हो तो डॉक्टर से अवश्य पूछ लें. बच्चे को लिक्विड आइब्रूफेन देने से पहले बॉटल को अच्छी तरह हिला लें और दवा को नाप कर ही दें. इसे कमरे के तापमान पर गर्मी व नमी से दूर स्टोर करें. डोज़ मिस करने पर डोज़ को समय पर लेने की कोशिश करें. यदि डोज़ मिस करने के बहुत देर बाद याद आए और दूसरा डोज़ लेने का समय क़रीब आ गया हो तो वो डोज़ स्किप कर दें. एक साथ दो डोज़ लेने की ग़लती न करें. ओवरडोज़ होने पर आइब्रूफेन का ओवरडोज़ होने पर नॉज़िया, उल्टी, मल में रक्त, काला मल, कफ के साथ ख़ून, बेहोशी इत्यादि समस्याएं हो सकती हैं. आइब्रूफेन कोर्स के दौरान किन चीज़ों से परहेज़ करें? अगर आप आइब्रूफेन का सेवन कर रहे हैं तो अल्कोहल लेने से बचें. इसके अलावा यदि आप स्ट्रोक या हार्ट अटैक से बचने के लिए एस्प्रिन का सेवन कर रहे हैं तो आइब्रूफेन न लें. आइब्रूफेन एस्प्रिन के असर को कम कर देती है. अगर आपको दोनों दवाइयां लेनी पड़ें तो एस्प्रिन लेने से आठ घंटे पहले आइब्रूफेन(Ibuprofen) लें. सर्दी, एलर्जी या दर्द की कोई भी दवा लेने से पहले डॉक्टर से अवश्य पूछें, क्योंकि बहुत-सी दवाएं आइब्रूफेन के जैसी होती हैं. ऐसे में दोनों दवाएं साथ लेने पर नुक़सान पहुंच सकता है. दवा का लेबल चेक करके देख लें, कि कहीं उसमें एस्प्रिन, आइब्रूफेन, केटोफ्रेन या नैप्रोज़ेन तो नहीं है. ये भी पढ़ेंः पैरासिटामॉल या आईब्रू़फेन? क्या है बेहतर  आइब्रूफेन (Ibuprofen) के साइड इफेक्ट्स अगर आपको आइब्रूफेन का सेवन करने पर चेहरे, होंठ, जीभ पर सूजन, छींक व सांस लेने में तकलीफ़ हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. इसके अलावा निम्न परेशानियां होने पर आइब्रूफेन खाना तुरंत रोक दें. सांस फूलना शरीर में सूजन या वज़न बढ़ना स्किन रैश लिवर संबंधी समस्या- नॉज़िया, पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द, खांसी के साथ ख़ून आना इत्यादि. एनीमिया, स्किन का पीला पड़ा जाना स्किन रिएक्शन

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