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कैसे पता करें, बच्चा स्ट्रेस में है? (Identifying Signs Of Stress In Your Children)

Signs Of Stress In Your Children बच्चा अगर तनाव में है, तो तीन बातों पर ध्यान देना ज़रूरी है. उसके व्यवहार के साथ उसमें शारीरिक और भावनात्मक बदलाव भी होते हैं. तनाव से घिरे बच्चों के इन तीनों संकेतों को समझना ज़रूरी है, तभी उन्हें स्ट्रेस से बाहर निकाला जा सकता है. व्यवहार पर रखें नज़र अगर बच्चा तनाव में है, तो सबसे पहला असर उसके व्यवहार में नज़र आएगा, जैसे- हर बात में मूड ख़राब हो जाना, छोटी-छोटी बातों पर चिढ़ जाना या कभी अचानक से ग़ुमसुम हो जाना. बिना बात के घंटों रोना या उदास रहना आदि. इन बातों को अनदेखा न करें. बिस्तर गीला करना छोटे बच्चे अक्सर नींद में बिस्तर गीला करते हैं. देखा गया है कि 3-4 साल की उम्र में बच्चे इस पर क़ाबू पा लेते हैं, पर बढ़ती उम्र में इसकी वजह भावनात्मक भी हो सकती है. माता-पिता का अटेंशन न मिलने की वजह से बच्चा तनाव महसूस करता है और नींद में अक्सर बिस्तर गीला कर देता है. पसंदीदा चीज़ों से दूर हो जाना अगर आपका बच्चा अपनी पसंदीदा चीज़ें, जैसे- खिलौने, फेवरिट कॉर्टून्स, पसंदीदा डिश या फिर जिसके बिना वो पूरे दिन नहीं रह सकता, उनसे दूरी बनाने लगे, तो हो सकता है कि वो किसी ना किसी प्रकार के स्ट्रेस में है. स्कूल से बच्चे की शिकायतें आना कभी-कभार स्कूल से बच्चे की शिकायत आना नॉर्मल है, क्योंकि बच्चे स्कूल में मस्ती करते रहते हैं, लेकिन शिकायतों का ये सिलसिला अगर अचानक बढ़ जाए, तो समझ जाइए कुछ गड़बड़ है. स्ट्रेस बच्चों को मानसिक रूप से भी प्रभावित करता है, बच्चा स्कूल में कॉन्संट्रेट नहीं कर पाता, दोस्तों के साथ ठीक से घुल-मिल नहीं पाता. यह भी पढ़े: टीनएजर्स ख़ुद को हर्ट क्यों करते हैं? यह भी पढ़े: कैसा हो 0-3 साल तक के बच्चे का आहार? नाख़ून चबाना बच्चे जब ज़रूरत से ज़्यादा सोचते हैं या परेशान होते हैं, तो अनजाने में अपने नाख़ून चबाने लगते हैं. अगर बच्चा करे ये शिकायतें तनाव का सीधा असर बच्चे की सेहत पर पड़ता है. बच्चे को अक्सर सर्दी-ज़ुकाम होने लगता है. इसके अलावा सिरदर्द और पेटदर्द जैसी परेशानियां भी होती हैं. तनाव में अक्सर बच्चा सुस्त हो जाता है. खाने-सोने की आदतों में परिवर्तन जब बच्चा तनाव महसूस करता है, तो उसकी खाने और सोने की आदतों में बदलाव आ जाता है. कई बार तनावग्रस्त बच्चे बहुत ज़्यादा खाने या सोने लगते हैं जबकि कई बार ऐसा भी होता है कि बच्चे खाना छोड़ देते हैं और उनकी नींद भी कम हो जाती है. हर बात में शिकायत करना स्ट्रेस कई बार बच्चों को इतना चिड़चिड़ा बना देता है कि वो हर छोटी बात में ही शिकायत करने लगते हैं. * ह्यूस्टन यूनिवर्सिटी की स्टडी के मुताबिक़ तनाव में लंबे समय तक रहनेवाले बच्चे अक्सर 18 साल की उम्र तक मोटे हो जाते हैं. * कई बच्चे मां के गर्भ में ही तनाव के शिकार हो जाते हैं. प्रेग्नेंसी के दौरान मां के तनाव का असर गर्भ में बच्चे पर पड़ता है. ऐसे बच्चे अक्सर परेशान रहते हैं और उनमें कॉन्संट्रेशन की कमी होती है. इसलिए डॉक्टर्स गर्भावस्था में स्ट्रेस ना लेने की सलाह देते हैं. तनाव कुछ व़क्त के लिए होता है. विपरीत परिस्थितियों में अक्सर बच्चे तनाव के शिकार होते हैं. लेकिन जहां तक बात है डिप्रेशन की, तो ये तनाव से गंभीर अवस्था है. डिप्रेशन एक सायकियाट्रिक डिसऑर्डर है. लंबे व़क्त तक डिप्रेशन में रहनेवाले कई बच्चे अपनी जान भी ले लेते हैं. डिप्रेशन के शिकार बच्चों को साइकोलॉजिकल मदद की ज़रूरत होती है. साथ ही माता-पिता को भी ऐसे बच्चों का ख़ास ध्यान रखना चाहिए.

- डॉ. धीरेन गाला

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