हर साल 10 दिसंबर ‘अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस’ (Human Rights Day) के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि वर्ष 1948 में इसी दिन संयुक्त राष्ट्र ने ‘यूनिवर्सल डेक्लेरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स’ की घोषणा की थी. इस घोषणा का मुख्य उद्देश्य सभी को मानव अधिकारों के प्रति जागरूक करना था. हर व्यक्ति के कुछ ऐसे मानवाधिकार होते हैं, जो उनसे कभी छीने नहीं जा सकते. ठीक वैसे ही जैसे हर देश में स्त्री-पुरुष के अधिकार समान हैं. हमारे देश के क़ानून में भी स्त्री-पुरुषों के अधिकार समान हैं, पर आज भी पुरुषों का एक बड़ा तबका महिलाओं को कमतर ही समझता है.
आज मानवाधिकार दिवस (Human Rights Day) के मौ़के पर एक संकल्प लें कि न कभी किसी के अधिकारों का हनन करेंगे और न अपने होने देंगे. अगर कहीं अत्याचार होते देखेंगे, तो उसके लिए आवाज़ ज़रूर उठाएंगे. चाहे आप सड़क पर हों, स्कूल में, ऑफिस में, पब्लिक ट्रांसपोर्ट में, वोटिंग बूथ पर या फिर सोशल मीडिया पर, हर जगह अधिकारों के प्रति जागरूकता आपकी अपनी ज़िम्मेदारी है. हम जहां भी हैं, वहां बदलाव ज़रूर लाएं.
‘यूनिवर्सल डेक्लेरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स’ से कई अधिकारों को हमारे देश के संविधान में शामिल किया गया है. स्वतंत्रता, समानता, अपनी बात रखने का अधिकार, बिना भेदभाव सम्मानपूर्वक जीवन जीने का अधिकार, न्याय मांगने का अधिकार जैसे मौलिक अधिकार हर नागरिक के हैं.
- अनीता सिंह
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