कपूर खानदान की बहुओं और बेटियों को कई तरह के नियमों का पालन करना पड़ता है. इस खानदान की सालों पुरानी परंपरा के अनुसार बेटियों को फिल्मों में करियर चुनने की आज़ादी नहीं दी जाती है, लेकिन फिल्मों में बेटियों के काम न करने की यह परंपरा करिश्मा कपूर को रास नहीं आई और उन्होंने न सिर्फ इसके खिलाफ अपनी आवाज़ उठाई बल्कि एक सफल अभिनेत्री के तौर पर अपनी पहचान भी बनाई.
हालांकि करिश्मा कपूर से पहले शशि कपूर की बेटी संजना कपूर ने भी इस परंपरा के खिलाफ बग़ावत की थी लेकिन उन्हें इसमें कामयाबी नहीं मिली. बताया जाता है कि मां बबीता चाहती थीं कि उनकी दोनों बेटियां करिश्मा और करीना फिल्मों में काम करें, जिसके लिए उन्होंने कपूर खानदान से बग़ावत की और इसका खामियाज़ा उन्हें परिवार से अलग होकर भुगतना पड़ा.
बबीता ने सबसे पहले अपनी बेटी करिश्मा को फिल्मों में एंट्री दिलवाई और साल 1991 में करिश्मा ने फिल्म ‘प्रेमकैदी’ से अपने फिल्मी करियर का आगाज़ किया. जिसके बाद सालों पुरानी इस परंपरा को तोड़नेवाली करिश्मा ने इस खानदान के सारे नियम और कानून को भी ताक पर रख दिया. करिश्मा भले ही फिल्मों में काम करने लगीं लेकिन इससे ज्यादा वो अपने अफेयर्स को लेकर सुर्खियां बटोरने लगीं.
सबसे पहले करिश्मा का नाम अजय देवगन के साथ जुड़ा, लेकिन काजोल के आ जाने के बाद करिश्मा ने अजय से अपनी राहें अलग कर ली. फिर उनकी जिंदगी में अभिषेक बच्चन आए. कहा तो यह भी जाता है कि दोनों की सगाई तक हो चुकी थी लेकिन शादी से चंद रोज़ पहले ही दोनों का रिश्ता हमेशा के लिए टूट गया. अभिषेक से रिश्ता खत्म होने के बाद अपने टूटे दिल के साथ करिश्मा ने दिल्ली के बिजनेसमैन संजय कपूर से शादी कर ली, लेकिन करीब 13 साल बाद पति संजय से भी उनका तलाक हो गया.
फिलहाल एक फार्मा कंपनी के मालिक संतोष तोषनीवाल को डेट करने को लेकर करिश्मा सुर्खियों में हैं. लेकिन यहां पते की बात तो यह है कि अगर करिश्मा ने कपूर खानदान की परंपरा को तोड़ने का बीड़ा अपने कंधों पर न उठाया होता तो फिर उनकी छोटी बहन करीना भी फिल्मी दुनिया से नदारद रह जातीं.
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