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काव्य- दिवाली पर जब परिवार जुड़ेंगे… (Kavay- Diwali Par Jab Parivar Judenge…)


श्रद्धा के सुमनों से सजी, पूजा की थाली मुबारक
धनतेरस और दूज सहित, सबको दिवाली मुबारक


खट्टी-मीठी बहस के बीच, चुटकुलों पर ताली मुबारक
धनतेरस और
दूज सहित, सबको दिवाली मुबारक

स्नेह के मधुरिम रंगों से, जब रंगोली मस्त बना लें हम
नोंकझोंक की किरकिरी भी, चटकन समझ सजा दें हम


उससे आभा बढ़ जाएगी, उस आभा की लाली मुबारक
धनतेरस और दूज सहित, सबको दीवाली मुबारक

उत्साह की मधु सामग्री से, पकवान कई बना लें हम
अनबन की मिर्ची को भी, तड़का समझ लगा दें हम

स्वाद कहीं बढ़ ही जाएगा, तारीफ़ों की ताली मुबारक
धनतेरस औ दूज सहित, सबको दिवाली मुबारक

प्यार के उज्ज्वल दीपों की, जब पंक्तियां लगा लें हम
तकरार को भी कंदील समझ, यहां-वहां सजा दें हम


फूलों कांटों से सजी हुई, जीवन की डाली मुबारक
धनतेरस और दूज सहित, सबको दीवाली मुबारक

- भावना प्रकाश

Kavay

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Photo Courtesy: Freepik

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