- किशोर कुमार का जन्म खंडवा में हुआ था. उन्हें अपनी जन्मभूमि से इतना प्यार था कि जब भी वो कहीं स्टेज पर परफॉर्म करते थे, तो खंडवा का नाम ज़रूर लेते थे. किशोर दा स्टेज पर जब खड़े होते तो, लेडीज़ एंड जेंटलमैन कहने की बजाय कहते थे- मेरे दादा-दादियों, मेरे नाना-नानियों, मेरे भाई-बहनों, तुम सबको खंडवे वाले किशोर कुमार का राम-राम.
- हार्फ टिकट के मशहूर गाने पांच रुपया बारह आना... के पीछे एक बड़ी ही मज़ेदार कहानी है. जब किशोर दा कॉलेज में पढ़ा करते थे, तब वो कैंटिन में उधार लेकर खाना खाया करते थे. जब उन पर पांच रुपए बारह आने का उधार हो गया और कैंटिन वाला अपने पैसे मांगने लगता तो किशोर दा टेबल पर बैठकर ग्लास और चम्मच बजाकर गाना गाने लगते थे और उसकी बातें अनसुनी कर देते थे.
- किशोर दा ने अपने मुंबई के वार्डन रोड वाले घर के गेट पर 'किशोर से सावधान' का बोर्ड लगाया था. एक बार की बात है जब प्रोड्यूसर एच एस रवैल, किशोर कुमार के घर उनसे लिए हुए पैसे लौटाने गए, तो किशोर दा ने पैसे ले लिए, लेकिन जैसे ही रवैल ने हाथ मिलाने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया तो किशोर कुमार ने उनका हाथ मुंह में दबोच कर कहा कि 'क्या आपने घर के बाहर लगा बोर्ड नहीं पढ़ा?'.
- एक बार किशोर दा फिल्म के सेट पर आधी मूंछ और दाढ़ी लगाकर पहुंच गए. जब डायरेक्टर ने पूछा कि तूम ऐसे क्यों आए हो, तब किशोर दा ने कहा कि प्रोड्यूसर ने मुझे फिल्म के आधे पैसे ही दिए हैं. आधे पैसे, तो आधी दाढ़ी और मूंछ, पूरे पैसे देंगे तो पूरी दाढ़ी-मूंछ में आऊंगा.
- किशोर दा कहा करते थे कि जब वो फिल्मों से संन्यास लेंगे तो खंडवा जाकर रहेंगे और रोज़ दूध-जलेबी खाया करेंगे. किशोर दा की मृत्यु के बाद उनकी आख़िरी इच्छा के अनुसार उनका अंतिम संस्कार खंडवा में किया गया.
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