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कृष्ण जन्मोत्सव (Gukul Ashtami) रविवार यानी 2 सितंबर को मनाया जाना ही सही है 3 सितंबर को रात को 7.20 से नवमी तिथि है और मृगशिरा नक्षत्र है, इसमें कृष्ण भगवान का जन्म नहीं हुआ है इसलिए 3 सितंबर को कृष्ण जन्मोत्सव मानना शास्त्र सम्मत नहीं है. ऋषि व्यास नारद जी कहते हैं, "सप्तमी तिथि के साथ अगर अष्टमी तिथि भी लग जाय, तो ऐसे में उस दिन ही व्रत पूजन करना चाहिए." पर इसमें भी वैष्णव मत वाले लोग जैसे कि मथुरा वृंदावन उत्तर प्रदेश महाराष्ट्र बिहार यहां पर यह लोग उदयकालीन अष्टमी तिथि को ग्रहण करते हैं. रात को चाहे नवमी तिथि होअष्टमी हो या न हो इसलिए कैलेंडर में 3 सितंबर की जन्म अष्टमी लिखी है. पर कृष्ण भगवान का जन्म रोहिणी नक्षत्र अष्टमी तिथि को हुआ था इसलिए श्री कृष्णा जन्मोत्सव रविवार को ही मनाना सही है. 2 सितंबर जन्माष्टमी बिल्कुल सही है. रविवार को यह पर्व व्रत करना चाहिए, जो सही भी है. कृष्ण जन्माष्टमी के लिए पूजन सामग्री: एक चौकी, लाल कपड़ा, बालकृष्ण की मूर्ति या चित्र, सिंघासन, पंचामृत, गंगाजल, दीपक, घी, बत्ती, धूपबत्ती, अष्टगंध चंदन या रोली, अक्षत (कच्चे साबूत चावल), तुलसी, माखन, मिश्री, खीर, शृंगार सामग्री, इत्र और फूल माला.
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