Close

#birthanniversary ‘लूडो’ की तरह ही ‘कभी नरम तो कभी गरम रही’ भगवान दादा की भी ज़िंदगी, जानें उनकी लाइफ से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें… (#BirthAnniversary Like ‘Ludo’ Life Of Bhagwan Dada Was Too ‘Kabhi Naram Kabhi Garam’, Know Some Interesting Facts About Bhagwan Dada)

अनुराग बसु द्वारा निर्देशित फिल्म 'लूडो' अपने बेहतरीन सब्जेक्ट, बेहतरीन परफॉर्मेंस को लेकर काफी चर्चा में रही. हालांकि पंकज त्रिपाठी, आदित्य रॉय कपूर, सान्या मल्होत्रा, अभिषेक बच्चन सभी एक्टर्स इसमें अपनी बेस्ट एक्टिंग से दर्शकों का दिल जीत रहे हैं, लेकिन फ़िल्म ने बीते ज़माने के कॉमेडियन भगवान दादा के एक पॉपुलर गाने को दोबारा बेहद पॉपुलर बना दिया है और यंगस्टर्स की ज़बान पर ये गाना चढ़ गया है.

Ludo

अगर आपने फिल्म 'लूडो' देखी है तो आपको पता होगा कि इसमें पंकज त्रिपाठी अक्सर भगवान दादा की फिल्म 'अलबेला' का गाना #किस्मत की हवा कभी नरम, कभी गरम...' सुनते और इसमें मज़ेदार एक्सप्रेशन देते नज़र आते हैं और दर्शकों को न सिर्फ पंकज त्रिपाठी का ये अंदाज पसन्द आ रहा है, बल्कि ये गाना अब लोगों का हॉट फेवरेट बन गया है.

Ludo

इस फ़िल्म ने एक बार फिर भगवान दादा जैसे ग्रेट एक्टर को याद करने का मौका मिल गया है. उनका गाना तो ये जनरेशन खूब गुनगुना रही है, लेकिन भगवान दादा के बारे में शायद ही कुछ जानती हो. तो आइए भगवान दादा के बारे में कुछ बातें जानते हैं, जिनकी ज़िंदगी भी 'लूडो' की तरह कभी नरम कभी गरम ही रही.

Bhagwan Dada

-1913 में जन्मे भगवान दादा का असली नाम भगवान आभाजी पलव था. फिल्मों में भगवान दादा अपनी अलग डांस स्टाइल और कॉमेडी के लिए जाने जाते थे.
- उनके पिता एक टेक्सटाइल मिल में काम करते थे. घर की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने की वजह से भगवान दादा को भी कुछ समय तक मजदूरी करनी पड़ी, लेकिन उनकी दिलचस्पी शुरू से ही फिल्मों में थी.

Bhagwan Dada

- उन्होंने मूक सिनेमा के दौर में फिल्म 'क्रिमिनल' से डेब्यू किया था.
- फिल्मों में एक्टिंग के साथ-साथ उन्होंने फिल्में प्रोड्यूस करनी भी शुरू कर दीं. साल 1951 में उन्होंने फिल्म 'अलबेला' प्रोड्यूस की. इस फिल्म का गाना 'शोला जो भड़के' आज भी फेमस है. फ़िल्म 'लूडो' का 'किस्मत की हवा कभी नरम कभी गरम...' गाना भी इसी फिल्म का है.

Bhagwan Dada

- कभी मजदूरी करने वाले भगवान दादा ने फिल्मों से खूब कमाई की.
- भगवान दादा शेवरले कारों के बहुत ज़्यादा शौकीन थे. अपने इसी शौक के चलते उन्होंने 'शेवरले' नाम की फिल्म में भी काम किया था.
- भगवान दादा के पास उस दौर में 7 कारें थीं. हफ्ते के हर दिन वो एक कार से सेट पर पहुंचते थे.
- उनकी रईसी का अंदाज़ा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि उनके डायरेक्शन की एक फिल्म के एक सीन में पैसों की बारिश दिखानी थी. इसके लिए उन्होंने नकली की बजाय असली नोटों का इस्तेमाल किया था.

Bhagwan Dada


-  भगवान दादा को हिंदी फिल्मों का पहला एक्शन हीरो कहा जाता था. फिल्मों में मुक्कों से लड़ाई की शुरुआत उन्होंने की थी.
- भगवान दादा हॉलीवुड एक्टर डगलस फेयरबैंक्स के बहुत बड़े फैन थे. डगलस से प्रेरित होकर भगवान दादा अपनी फिल्मों में अपना स्टंट डुप्लीकेट से कराने की बजाय खुद करते थे. उनके द्वारा किए गए स्टंट इतने असली लगते थे कि राज कपूर तो उन्हें इंडियन डगलस कहकर पुकारते थे.
- 1942 में भगवान दादा का नाम तब सुर्खियों में आया जब एक फिल्म की शूटिंग के दौरान उन्होंने अपनी को-स्टार ललिता पवार को जोर का थप्पड़ जड़ दिया. अनजाने में उन्होंने यह थप्पड़ इतनी जोर से मारा कि ललिता पवार को चेहरे का पैरालिसिस हो गया और उनकी आंख की नस फट गई. तीन साल उनका इलाज चला, लेकिन आंख सही नहीं हो पाई.

Bhagwan Dada

- अमिताभ बच्चन से लेकर गोविंदा और मिथुन समेत बहुत से स्टार्स के डांस में भगवान दादा का बड़ा असर है. ऋषि कपूर को तो खुद भगवान दादा ने डांस के स्टेप सिखाए थे. बॉलीवुड में आज तक कोरियोग्राफर्स 'भगवान दादा स्टेप' जैसी टर्म का यूज़ करते हैं. 

Bhagwan Dada

- लेकिन उनके गाने की लाइन है न... किस्मत की हवा कभी नरम कभी गरम.... तो लूडो के खेल की तरह ही भगवान दादा की किस्मत ने ऐसी पलटी मारी कि एक पल में वह अर्श से फर्श पर आ गए. एक के बाद एक उनकी कई फ़िल्में फ्लॉप हो गई और उन्हें प्रोडक्शन और डायरेक्शन बंद करना पड़ा.
- फिल्मों से उन्हें इतना नुकसान हुआ कि उन्हें जुहू स्थित 25 कमरों वाला अपना बंगला और सभी कारें बेचनी पड़ीं. उनकी आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो गई कि उन्हें मुंबई के चॉल में गुजारा करना पड़ा.

Bhagwan Dada


- इस बुरे दौर में चंद लोगों को छोड़कर भगवान दादा के करीबियों ने उनका साथ छोड़ दिया.
- 4 फरवरी, 2002 को हार्ट अटैक के चलते वह इस दुनिया को मुफलिसी में ही अलविदा कह गए.

Bhagwan Dada

Share this article