Close

पहला अफेयर- वो बरसात की रात (Love Story- Woh Barsat Ki Raat)

बेहोश होकर गिरने को ही थी कि किसी की बलिष्ठ बाजुओं ने थाम लिया. वो मेरे साथ पैदल ही चल रहा था. उसे देखा, तो एक पल देखती ही रह गई. उसकी नीली आंखों ने पहली नज़र में ही जादू सा कर दिया.

बचपन से या न जाने कब से मैं बरसात से डरती थी. जैसे ही आसमान पर बादल देखती, तो मां या बड़ी बहन की गोदी में दुबक जाती. बादल गरजते, तो मेरे दिल की धड़कन मुझे बाहर तक सुनाई देती. बंद दरवाज़े या खिड़की के शीशे से देखने में बूंदें बहुत भली लगतीं, दिल करता इन मोतियों को मुट्ठी में समेट लूं, मगर डर इस इच्छा  पर भारी पड़ता.

हमउम्र बच्चे बारिश के पानी में खेलते, शोर मचाते, कूदते-फांदते, काग़ज़ की नाव चलाते. घर के बाहर से मुझे आवाज़ें लगाते. स्कूल में अगले दिन मुझे डरपोक कहकर चिढ़ाते, मगर मुझे बरसात में भीगना पसंद नहीं था. स्कूल घर के पास था. ख़राब मौसम होता, तो घर से कोई न कोई छोड़ने आ जाता. अब कॉलेज जाने लगी थी.

यह भी पढ़ें: पहला अफेयर- मैं, वो और इंटरनेट (Love Story- Main, Woh Aur Internet)

कभी जब सुबह ही बरसात होती, तो घर से ही न निकलती. जब कभी वापसी पर बारिश होती, तो कुछ न कुछ इंतज़ाम हो ही जाता. घरवालों ने मेरा डर दूर करने की बहुत कोशिश की, मगर सब व्यर्थ. अब तो कॉलेज के दोस्त भी मेरा मज़ाक बनाते. कई बार मैंने भी अपने इस बारिश फोबिया से निकलने की कोशिश की, लेकिन सब बेअसर. अब तो अपनी इस बेवकूफ़ी पर मुझे झुंझलाहट भी होती.

कॉलेज का अन्तिम वर्ष था. शाम को साइंस की क्लास में बहुत देर हो गई. लैब से बाहर आई, तो सब जा चुके थे. घने बादल देख बहुत घबराहट हुई. शाम ढलने लगी थी, परंतु बादलों से हल्का धुंधलका-सा छाने लगा था. रिक्शे में मैं बहुत कम बैठती थी, परंतु वो भी नहीं मिली. धीरे-धीरे अंधेरा घिरने लगा था. हल्की बरसात भी शुरू हो चुकी थी.

सिर को ढंकते हुए जल्दी-जल्दी चल पड़ी, तब एकदम से तेज़ बरसात के साथ बादलों की गड़गड़ाट व बिजली की चमक, अब गिरी कि तब गिरी. दिल डूब रहा था. बेहोश होकर गिरने को ही थी कि किसी की बलिष्ठ बाजुओं ने थाम लिया. वो मेरे साथ पैदल ही चल रहा था. उसे देखा, तो एक पल देखती ही रह गई. उसकी नीली आंखों ने पहली नज़र में ही जादू सा कर दिया. लेकिन मेरी स्थिति देख जब उसने घर का पता पूछा, तो मैं हकलाते हुए अस्फुट स्वर में बोली और इशारा किया. उसके साथ चलना अच्छा लग रहा था. दिल कर रहा था कि यह साथ यूं ही बना रहे. वक़्त यहीं रुक जाए. दिल की धड़कनें तेज़ होने लगी थीं. मन बावरा हो चला था.

यह भी पढ़ें: पहला अफेयर- रेत के आंसू (Love Story- Ret Ke Aansu)

काफ़ी दूर जाकर एक रिक्शा मिली, तब उसने उसमें मुझे बैठाया और मेरी हालत देख वो मेरे साथ ही बैठ कर मुझे संभालता रहा. उफ़! वो बरसात की रात कभी न भूलने वाली थी. लगभग बेहोशी की हालत में घर पहुंची. मां घबराई सी बाहर ही खड़ी थीं. मैं ठीक से चल भी नहीं पा रही थी. मॉनसून फोबिया था या उसकी साथ का सुरूर समझ नहीं पा रही थी. उसी ने उठाकर अंदर चारपाई पर लिटाया और मां से कुछ कहकर बाहर बरामदे में जाकर बैठ गया.

कपड़े वगैरह बदलने के बाद मां ने मुझे गरम दूध पिलाया. उसे भी चाय पिलाई, परंतु हड़बड़ाट में मैं उसका पता भी नहीं पूछ पाई. वो चला गया, ढंग से उससे चार बातें भी न हो पाईं, मगर उसके बाद बारिश का डर कम हो गया. शायद इतना ज़्यादा भीगने और बादलों की गड़गड़ाट सुनने के बाद दिल में बैठा डर जाता रहा.

यह भी पढ़ें: पहला अफेयर- सुरों भरी शाम के नगमे… (Love Story- Suron Bhari Sham Ke Nagme…)

लंबा अरसा बीत गया. बरसात के डर से मुक्ति दिलाने वाला वो मसीहा, मेरा पहला प्यार बनकर आज भी गुदगुदाता है. अब बरसात से डर नहीं लगता, परंतु मेरा पहला प्यार भी नहीं भूलता. ज़िंदगीभर नहीं भूलेगी वो बरसात की रात.. एक अनजान महबूब से मुलाक़ात की रात...

- विमला गुगलानी

Photo Courtesy: Freepik

अभी सबस्क्राइब करें मेरी सहेली का एक साल का डिजिटल एडिशन सिर्फ़ ₹599 और पाएं ₹1000 का गिफ्ट वाउचर.

Share this article

https://www.perkemi.org/ Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor Situs Slot Resmi https://htp.ac.id/ Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor https://pertanian.hsu.go.id/vendor/ https://onlineradio.jatengprov.go.id/media/ slot 777 Gacor https://www.opdagverden.dk/ https://perpustakaan.unhasa.ac.id/info/ https://perpustakaan.unhasa.ac.id/vendor/ https://www.unhasa.ac.id/demoslt/ https://mariposa.tw/ https://archvizone.com/