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मेनोपॉज के बाद पोषण और जीवनशैली में लाएं बदलाव (Make changes in nutrition and lifestyle after menopause)


मेनोपॉज (रजोनिवृत्ति) किसी महिला के जीवन की एक संक्रमणकालीन अवधि है, क्योंकि इस दौरान उसका मासिक धर्म आना बंद हो जाता है. यह अंतिम बार पीरियड आने के लगभग 12 महीने बाद माना जाता है. मतलब एक साल तक पीरियड न आए, तो इसे मेनोपॉज मानते हैं. मेनोपॉज के साथ गर्मी महसूस होना, रात को पसीना आना, अनिद्रा, मूड में अचानक से बदलाव होना और थकान जैसे लक्षण देखने को मिल सकते हैं. मेनोपॉज के बाद वजन कम करना मुश्किल हो सकता है. इसके अलावा, इस दौरान हड्डियों को भी नुकसान हो सकता है. इसको रोकने का कोई तरीका तो नहीं है, लेकिन स्वस्थ आहार और जीवनशैली अपनाकर इसके लक्षणों को काफी हद तक कम किया जा सकता है और इन बदलावों से निपटा जा सकता है.
स्वस्थ भोजन और नियमित व्यायाम करने से महिलाएं न सिर्फ बेहतर महसूस कर सकती हैं, बल्कि लंबी अवधि में ये उनके समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में भी मददगार साबित हो सकते हैं. मेनोपॉज से महिलाओं को कुछ अल्पकालिक और दीर्घकालिक स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हो सकती हैं, जिनके बारे में महिलाओं को अवगत होना चाहिए. इनमें से अधिकांश को सही मेडिकल केयर के साथ ठीक किया जा सकता है. यहां कुछ लक्षण दिए गए हैं जिन पर मेनोपॉज वाली महिलाओं को ध्यान देना चाहिए. इस संदर्भ में फिटनेस एंड न्यूट्रीशन एक्सपर्ट रोहित शेलातकर, वीपी, वीटाबायोटिक्स ने कई उपयोगी बातें बताई.
● धूम्रपान, शराब, उच्च कैलोरी वाले खाद्य पदार्थ और फ़िज़ी ड्रिंक्स का सेवन मेनोपॉज के लक्षणों को बढ़ा सकते हैं.
● सोया उत्पादों का सेवन मेनोपॉज के लक्षणों में मददगार हो सकते हैं, क्योंकि सोया में आइसोफ्लेवोन्स नामक एक यौगिक होता है, जो एस्ट्रोजन के एक्शंस की नकल करता है.
●  लंबे समय में, मेनोपॉज के बार-बार आने वाले लक्षण, ऑस्टियोपोरोसिस और हृदय संबंधी समस्याओं का कारण बन सकते हैं.
●  अच्छी नींद के साथ भरपूर आराम करना बहुत आवश्यक है.
● केगेल एक्सरसाइज जैसे व्यायाम पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों को मजबूत बनाते हैं, जो पेशाब/दस्त (बॉविल इनकॉन्टीनेन्स) को रोकने या कम करने में मदद करते हैं.
● मेनोपॉज चिंता की वजह बन सकता है. मेडिटेशन और ब्रीदिंग एक्सरसाइज शरीर और दिमाग को आराम देने में मददगार हो सकते हैं.
● मेनोपॉज के दौरान एस्ट्रोजन में गिरावट से हड्डियों का नुकसान हो सकता है, क्योंकि महिलाओं में हड्डियों की सुरक्षा के लिए हार्मोन महत्वपूर्ण है. इस नुकसान की भरपाई के लिए मेनोपॉज वाली महिला को ऐसा आहार लेना चाहिए, जो हड्डियों को मजबूत बनाने के साथ ही ऑस्टियोपोरोसिस को रोकते हैं. उसे कैल्शियम, विटामिन डी और मैग्नीशियम से भरपूर भोज्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए.

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इन खाद्य पदार्थों को भोजन में शामिल करें
जामुन (बेरीज): ये प्राकृतिक एंटी-इंफ्लामेटरी पावरहाउस हैं. बेरीज मस्तिष्क को स्वास्थ्य बनाते हैं, ब्लड प्रेशर को कम करते हैं और दिल की सेहत के लिए भी अच्छे हो सकते हैं. मेनोपॉज के दौरान खत्म हो जाने वाले एस्ट्रोजन के कार्डियो प्रोटेक्टिव बेनेफिट्स के साथ, दिल के स्वास्थ्य को मजबूत बनाने में बेरीज बहुत लाभकारी है. बेरीज एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर होते हैं, जो तनाव से निपटने में मदद करते हैं, मेनोपॉज वाली महिलाओं की एक आम बीमारी, अनिद्रा को दूर करने में भी मददगार हो सकते हैं.
सैमेन मछली: विटामिन डी, ओमेगा -3 और अन्य फैटी एसिड का एक भरपूर स्रोत, सैमेन रक्तचाप को कम करने और हृदय को स्वस्थ रखने में मददगार होती है. अनेक शोधों से पता चला है कि चिंता, अवसाद को दूर करने और मध्यम आयु वर्ग की महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में संभावित रूप से मदद करने में ओमेगा -3 फैटी एसिड के बहुत फायदेमंद है. शाकाहारी महिलाएं विकल्प के तौर पर ओमेगा-3 सप्लीमेंट्स ले सकती हैं.
फलियां: चने, काली बीन्स और राजमा जैसी फलियां ब्लड शुगर को कम करने और इंसुलिन सेंस्टिविटी को बढ़ाने में मददगार हैं. कैल्शियम और विटामिन डी प्रदान करने के अलावा, फलियां हड्डियों के घनत्व के नुकसान को कम करने में भी मददगार हो सकती हैं.
साबुत अनाज: साबुत अनाज, मेनोपॉज वाली महिलाओं के स्वस्थ आहार का हिस्सा होना चाहिए. बकव्हीट और क्विनोआ जैसे साबुत अनाज में प्रोटीन, फाइबर, विटामिन बी और मैग्नीशियम होता है. ये अनाज भी ग्लूटेन-फ्री होने के साथ ही अधिकांश पारंपरिक अनाज की तुलना में अधिक पोषण से भरपूर होते हैं. इनकी फाइबर और प्रोटीन कंटेंट सैटिटी फैक्टर में मददगार हो सकते हैं. दूसरे शब्दों में, यह लंबे समय तक ऊर्जा से भरपूर रहने में मदद करता है.
योगर्ट: यह कैल्शियम का एक अच्छा स्रोत है, जिसकी ज्यादातर महिलाओं में कमी होती है और जो ऑस्टियोपोरोसिस का प्राथमिक कारण है. योगर्ट में मौजूद विटामिन, इम्युनिटी-बूस्टिंग और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण ऑस्टियोपोरोसिस के खतरे को दूर करने के लिए बेहतर अवशोषण में मदद करते हैं. विटामिन डी के अलावा, योगर्ट भी एक प्रोबायोटिक फूड है, जो आंत में अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ाने में मदद करता है, जो आमतौर पर थायराइड की गड़बड़ी से खत्म हो जाते हैं .
एक डेली मल्टीविटामिन को भी भोजन में शामिल किया जा सकता है.
मेनोपॉज के दौरान महिलाओं के शरीर में होने वाले बदलाव कुछ के लिए परेशानी का सबब साबित हो सकते हैं. इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि इन परिवर्तनों का स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक असर हो सकता है. हालांकि ये आहार और जीवनशैली में बदलाव इसके प्रभाव को कम कर सकते हैं. वहीं यह भी जरूरी है कि मेनोपॉज वाली महिलाएं अपने मानसिक स्वास्थ्य पर भी अधिक ध्यान दें.

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Photo Courtesy: Freepik

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