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फिल्म समीक्षा: द स्काई इज़ पिंक, पर ज़िंदगी इस कदर गुलाबी नहीं होती. (Movie Review: The Sky Is Pink- Emotional And Inspirational Story)

जब भी प्रेरित करनेवाली सच्ची घटना पर फिल्म बनती है, तब वह न केवल दिलोदिमाग़ को झकझोर देती है, बल्कि ज़िंदगी के प्रति हमारे नज़रिए में भी सुधार करती है. कुछ इसी तरह की फिल्म है द स्काई इज़ पिंक. मोटिवेशनल स्पीकर आयशा चौधरी, जो मात्र 18 साल की उम्र में दर्द से जुड़कर ही सही भरपूर जीवन जीकर सभी को प्रेरणा देकर इस जहां से रुख़सत हो गईं. प्रियंका चोपड़ा, फरहान अख़्तर, ज़ायरा वसीम, रोहित सुरेश सराफ अभिनीत यह फिल्म कम ज़िंदगी का फ़लसफ़ा अधिक है. मौत से संघर्ष, बीमारी से लड़ाई, माता-पिता का अपनी बेटी को बचाने की ज़द्दोज़ेहद बहुत कुछ सोचने-समझने पर मजबूर कर देता है. निर्देशिका शोनाली बोस बधाई की पात्र हैं, जिन्होंने गंभीर विषय को सुलझे हुए तरी़के से क़ाबिल-ए-तारीफ़ बनाया. The Sky Is Pink आयशा चौधरी के क़िरदार में ज़ायरा वसीम सूत्रधार के रूप में अपने पैरेंट्स की प्रेम कहानी, उसकी बीमारी और मौत से उसे बचाने को लेकर संघर्ष, भाई रोहित का बहन के प्रति अटूट प्यार आदि के बारे में बताती हैं. आयशा को एससीआईडी  (सिवियर कंबाइन्ड इम्यूनो डेफिशिएंसी) बीमारी है, जिसमें इम्यून सिस्टम बिल्कुल काम नहीं करता और थोड़ा भी एलर्जी व इंफेक्शन होने पर मरीज़ का बचना मुश्किल हो जाता है. आयशा के पहले उसकी बड़ी बहन की भी इससे मृत्यु हो गई है, इसलिए उसके माता-पिता, प्रियंका-फरहान किसी भी तरह से अपनी इस बेटी आयशा को खोना नहीं चाहते. अपनी बेटी को बचाने का उनका संघर्ष दिल्ली से लेकर लंदन तक बदस्तूर चलता रहता है. कहानी में कई भावनात्मक पड़ाव और उतार-चढ़ाव आते हैं. आयशा की दुर्लभ बीमारी, परिवार का सुख-दुख में एक-दूसरे का साथ, मां का बेटी के लिए किसी भी हद तक गुज़र जाना, पिता का सभी को हौसला बढ़ाना पर अकेले में टूटकर बिखरना... ऐसे कई मानवीय संवेदनाओं को बारीक़ी से ख़ूबसूरती के साथ दिखाया गया है. The Sky Is Pink फिल्म की जान इसके सभी पात्र हैं, फिर चाहे वो प्रियंका-फरहान हो या ज़ायरा-रोहित. संवाद-पटकथा सशक्त है, तो गीत-संगीत (प्रीतम) भी मधुर हैं. फिल्म आरएसवीपी मूवीज़, रॉय कपूर फिल्म्स व पर्पल पेबल पिक्चर्स के बैनर तले सिद्धार्थ रॉय कपूर, रोनी स्क्रूवाला व प्रियंका चोपड़ा द्वारा सह-निर्मित है. सच्ची घटनाओं पर आधारित बेहतरीन फिल्मों में से एक है द स्काई इज़ पिंक. दिल में ख़्याल आया कि आसमान तो नीला होता है, फिर गुलाबी से इसका क्या तात्पर्य है. शायद फिल्म का टाइटल ही यह संदेश देना चाह रहा हो कि चमत्कार भी होते हैं और जो दिखता है, ज़रूरी नहीं कि वो ही सच हो... आसमान से आगे जहां और भी है... The Sky Is PinkThe Sky Is PinkThe Sky Is Pink माय लिटिल एपिफैनीज किताब की युवा लेखिका आयशा चौधरी जिन पर यह फिल्म बनी है, ने यूं तो कई प्रेरणादायी भाषण दिए थे, पर उनका यह कहना कि मौत अंतिम सत्य है, पर मैंने अपने जीवन में ख़ुशी को अधिक महत्व दिया. यदि आप अपनी ज़िंदगी नहीं बदल सकते, तो आपके पास हमेशा किसी और की ज़िंदगी बेहतर बनाने का विकल्प होता है. और मैंने ख़ुद के लिए हैप्पी पल्मनरी फाइब्रोसिस को चुना... उनकी ये बातें दिल को छू जाती हैं. इस फिल्म के निर्माता और मुख्य क़िरदार के रूप में प्रियंका चोपड़ा की कोशिश लाजवाब है. शादी के बाद उनका यह कमबैक सराहनीय है. पति निक जोनस ने भी प्रियंका के काम की ख़ूब तारीफ़ की. बकौल उनके प्रियंका ने उन्हें भी इस फिल्म के ज़रिए रुलाया और हंसाया भी है. कुछ फिल्में हिट-सुपरहिट या फिर स्टार रेटिंग से परे बस अच्छी और प्रेरणास्त्रोत होती हैं और वही है द स्काई इज़ पिंक...

- ऊषा गुप्ता

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