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फिल्म रिव्यू: ‘टॉयलेट: एक प्रेम कथा’ देगी एक ज़रूरी संदेश (Movie Review: Toilet: Ek Prem Katha)

फिल्म- टॉयलेट: एक प्रेम कथा स्टारकास्ट- अक्षय कुमार, भूमि पेडनेकर, अनुपम खेर, सना खान निर्देशक- श्री नारायण सिंह रेटिंग- 3.5 स्टार फिल्म रिव्यू: 'टॉयलेट: एक प्रेम कथा' देगी एक ज़रूरी संदेश सच्ची घटना पर आधारित फिल्म टॉयलेट: एक प्रेम कथा कहानी है प्रियंका भारती की, जिसने अपने पति का घर सिर्फ़ इसलिए छोड़ दिया था, क्योंकि उसके घर में टॉयलेट नहीं था. इसी कहानी को फिल्म के ज़रिए दिखाने की कोशिश की है फिल्म के निर्देशक श्री नारायण सिंह ने. अक्षय कुमार के लिए ख़ास है ये फिल्म, क्योंकि उन्होंने फिल्म में केवल ऐक्टिंग ही नहीं की है, बल्कि वो इस फिल्म के को-प्रोड्युसर भी हैं. कहानी फिल्म की कहानी है मथुरा के पास एक गांव के रहने वाले 36 साल के केशव (अक्षय कुमार) की, जो मांगलिक है, इसलिए पहले उसकी शादी एक भैंस से कराई जाती है. साइकल की दुकान चलाने वाले केशव को तब प्यार हो जाता है, जब वो साइकल की डिलीवरी देने पहुंचता है कॉलेज टॉपर जया (भूमि पेडनेकर) के घर. केशव को जया से प्यार हो जाता है और दोनों शादी भी कर लेते हैं. यहां से शुरू होती है फिल्म की असली कहानी, जब जया को पता चलता है कि जिस घर में उसकी शादी हुई है, वहां घर में शौचालय ही नहीं है, तब वो अपना ससुराल छोड़ कर मायके चली जाती है. रूढ़िवादी परंपराओं और बातों को दरकिनार कर क्या केशव गांव में शौचालय बनवाकर अपनी पत्नी को वापस ला पाता है? ये जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी. फिल्म की यूएसपी फिल्म का सब्जेक्ट इस फिल्म की सबसे बड़ी यूएसपी है. खूले में शौच करने की समस्या पर पूरी फिल्म बनाने का निर्णय ही काबिल-ए-तारीफ़ है. गांव की रियल लोकेशन कहानी को सपोर्ट करती है. निर्देशन की तारीफ़ किए बगैर ये रिव्यू पूरा नहीं हो सकता है. श्री नारायण सिंह ने फिल्म को वास्तिवकता के क़रीब लाने में कोई कमी नहीं रखी है. यहां तक की गांव के रहने वाले केशव यानी अक्षय कुमार को जो बड़े ब्रांड्स की नकली टी-शर्ट्स पहनाई गई हैं, उसमें भी ह्यूमर भर दिया है. स्वच्छता अभियान को लेकर गावों में क्या नियम-कानून है, इसकी जानकारी भी आपको ये फिल्म दे देगा. यह भी पढ़ें: Family Time!!! मीरा के साथ शाहिद चले छुट्टियां मनाने क्या है कमज़ोरी? कुछ डायलॉग्स, जो सुनने में थोड़े बुरे लगते हैं. इसके अलावा फिल्म का सेकंड हाफ, जो बहुत ही ज़्यादा लंबा और बोरिंग लगने लगता है. किसकी ऐक्टिंग में था दम? अक्षय कुमार एक बेहतरीन ऐक्टर हैं ये उन्होंने फिर साबित कर दिया है. अक्षय ने साबित कर दिखाया है कि अच्छा अभिनय दिखाने के लिए ऐक्टिंग आनी ज़रूरी है, न कि बड़े-बड़े फिल्मों के सेट्स और न ही बड़ा बजट. केशव के किरदार के साथ पूरा न्याय कर रहे हैं अक्षय कुमार. भूमि पेडनेकर की ये दूसरी फिल्म है. इससे पहले दम लगाके हइशा में भी उनकी ऐक्टिंग की सराहना हुई थी. इस बार भी उनका काम अच्छा है. फिल्म के बाक़ी कलाकारों का काम भी अच्छा है. फिल्म देखने जाएं या नहीं? बिल्कुल जाएं ये फिल्म देखने. एक ज़रूरी संदेश देती है ये फिल्म. अगर आप अक्षय कुमार के फैन हैं, तो इस फिल्म को मिस नहीं कर सकते हैं आप. फिल्म को देखने के बाद ऐसा बिल्कल नहीं लगेगा कि आपके टिकट के पैसे बर्बाद हुए हैं. बॉलीवुड और टीवी से जुड़ी और ख़बरों के लिए क्लिक करें.

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