बिंदास ज़िंदगी और बेबाक़ नज़रिए के लिए मशहूर हैं नीना गुप्ता. लंबे समय से वे रिश्तों व महिलाओं पर खुलकर बोलती रही हैं. यही अलहदा और मुखर अंदाज़ उन्हें अन्य स्त्रियों से अलग बना देता है.
- जहां पुरुष बच्चे को जन्म नहीं दे सकते हैं, लेकिन यह भी उतना ही सच है कि स्त्रियों को हमेशा पुरुषों की ज़रूरत रहती है.
- कभी भी किसी हाउसवाइफ को हीनभावना का शिकार नहीं होना चाहिए. हाउसवाइफ होना एक ज़िम्मेदारीभरा महत्वपूर्ण रोल है. उन्हें अपना स्वाभिमान बनाए रखने के साथ स्वयं के महत्व को भी समझना चाहिए.
- मुझे लगता है एक महिला और एक पुरुष के बीच प्यार जैसा भी कुछ होता है. ये सिर्फ़ अट्रैक्शन होता है.
- औरत की उम्र चाहे जो हो, कोई पुरुष उसे थोड़ा छेड़ भी दे तो वो समझने लगती है कि वो उसे प्यार करने लगा है. मैंने भी अपनी लाइफ में ये गलती की है.
- एक स्त्री और पुरूष में प्यार कम वासना अधिक होती है. उनका मन देह को लेकर अधिक आकर्षित रहता है. कई बार प्रेम कब उस ओर चला जाता है, वे दोनों ख़ुद ही नहीं जान पाते.
- एक औरत अपनी संतान से सबसे ज़्यादा प्यार करती है. बाकी सब तो बस कहने की बातें हैं.
- मैं भी इससे अछूती नहीं. मैं अपने बेटी मसाबा के लिए बहुत कुछ करने को तैयार रहती हूं, लेकिन यही भावनाएं पति को लेकर नहीं होतीं.
मुझे मरने से डर लगता है. मैं अपनी बेटी की ख़ातिर इस दुनिया में रहना चाहती हूं, क्योंकि मैं जानती हूं कि जिस तरह से मैं उसका केयर करती हूं, उस तरह से कोई भी नहीं कर सकता. इसी वजह से कभी-कभी तो मौत की सोच से ही परेशान हो जाती हूं.
मैं मानती हूं कि हमारे दौर में सेक्स उतना महत्वपूर्ण नहीं था. इसे एक कर्तव्य और ज़िम्मेदारी समझा जाता था. पति को संतुष्ट करना है बस. उस समय अपनी ख़ुशियां और संतुष्टि उतना मायने नहीं रखती थीं.
अब बहुत कुछ बदला है, जहां स्त्रियां अपनी ख़्वाहिशों पर ध्यान देने लगी हैं, वहीं पति के बिना भी अपनी सहेलियों-सहयोगियों के साथ ख़ुशियां बांटने व आज़ादी से घूमने-फिरने लगी हैं.
- मैं जब कभी अपनी ज़िंदगी के पन्नों को पलटती हूं, तो शिद्दत से यह महसूस करती हूं कि मैंने हमेशा ग़लत इंसान से प्यार किया.
- मेरे एक क़रीबी हैं, जिन्हें किसी की ज़रूरत नहीं है. वे अपने आप में अकेले में ही मस्त रहते है. मैं भी इसी तरह का जीवन जीना चाहती हूं, जहां पर मुझे किसी की ज़रूरत न हो.
- ऊषा गुप्ता
Photo Courtesy: Social Media