बदलती लाइफ़स्टाइल, ग़लत खान-पान की आदतों से बच्चों में मोटापे की समस्या तेज़ी से बढ़ रही है, जिसका नतीज़ा बच्चों को कम उम्र में ही भुगतना पड़ रहा है. ज़रूरत से ज़्यादा वज़न के कारण ये बच्चे छोटी उम्र में ही बड़ी बीमारियों का शिकार हो रहे हैं.
छोटी-सी उम्र में भारी होता शरीर... बचपन में बड़ों जितना वज़न... बड़ों को होनेवाली बीमारियां... ढेर सारी कॉम्प्लिकेशन्स. जहां दूसरे बच्चे इस उम्र में खेलते-कूदते हैं, वहीं मोटापे के शिकार बच्चों को अपना काम करना भी मुश्किल लगता है, आख़िर क्यों होता है मोटापा और बच्चे मोटापे का शिकार ज़्यादा क्यों होने लगे हैं? पिछले कुछ वर्षों में बच्चों में मोटापे की शिकायत बढ़ी है और बच्चों में बढ़ता मोटापा एक गंभीर समस्या के रूप में सामने आ रहा है. भारत में 10 से 12 प्रतिशत बच्चे मोटापे के शिकार हैं. वर्ष 2030 तक देश के लगभग आधे बच्चे इस बीमारी की चपेट में आ सकते हैं. हाल में किए गए सर्वे के अनुसार पिछले 50 सालों में भारतीय बच्चों में तेल पदार्थों का सेवन 20 प्रतिशत बढ़ा है. कैंडी, चॉकलेट, पिज़्ज़ा, फ्रेंच फ्राइज़ और स्वीट्स खानेवाले बच्चों में 11 से 20 वर्ष के बच्चों की संख्या लगभग 80 प्रतिशत बताई जा रही है. कारण कई हैं और अगर समय रहते ध्यान दिया जाए तो इससे छुटकारा भी मिल सकता है.मोटापे का कारण
अनुवांशिक, बायोलॉजिकल, लाइफ़स्टाइल आदि कई कारण मोटापे के लिए ज़िम्मेदार हैं. आमतौर पर मोटापा उन बच्चों को होता है, जो शरीर की ज़रूरत से ज़्यादा कैलोरी खाते हैं. इसके अलावा ये कारण भी ज़िम्मेदार होते हैं- पारिवारिक कारण: जिन बच्चों के माता-पिता मोटे होते हैं, उनके मोटे होने की संभावना ज़्यादा होती है. इसके पीछे जेनेटिक कारण के अलावा माता-पिता के खान-पान और एक्सरसाइज़ की आदत भी होती है. क्रियाशीलता की कमी: आजकल ज़्यादातर बच्चे अपना ़ज़्यादा समय टीवी देखते हुए गुज़ारते हैं. इस वजह से उनमें फिज़िकल मूवमेंट कम होता है. साथ ही टीवी देखने वाले बच्चे टीवी देखते समय कुछ न कुछ खाते रहते हैं, जिस वजह से उनका वज़न बढ़ता ही जाता है. अनुवांशिक कारण: कुछ बच्चे ज़्यादा खाते भी नहीं, न ही घंटों टीवी के सामने गुज़ारते हैं, फिर भी उनका वज़न लगातार बढ़ता ही जाता है. हाल में हुए रिसर्च से पता चला है कि इसके पीछे अनुवांशिक कारण भी होता है. मोटी मांओं से पैदा हुए बच्चे भी मोटे और कम एक्टिव होते हैं. जंक फूड की अधिकता: खाने-पीने में पोषक आहार की जगह जंक फूड ने ले ली है. यानी स्वाद तो बढ़ा है, लेकिन पोषण गायब हो गया है. नतीज़तन सेहत बिगड़ रही है और वज़न बढ़ रहा है. मेडीकल कारण: एन्डोक्राइन या न्यूरोलॉजिकल बीमारी जैसी स्थितियां भी मोटापे का कारण बनती हैं. कुछ दवाइयों से भी मोटापा बढ़ता है. अत्यधिक तनाव: माता-पिता में तलाक़, झगड़े, परिवार में किसी प्रिय की मौत या दूसरी पारिवारिक स्थितियां भी इसके लिए ज़िम्मेदार होती हैं. मोटापे से जुड़े ख़तरे: मोटापे के कारण कई ख़तरे या कॉम्प्लिकेशन हो सकते हैं. छोटी उम्र में ही कई बड़े रोग घेर सकते हैं, जैसे कि- * डायबिटीज़ टाइप 1, जिसमें इंसुलिन लेना ज़रूरी होता है.? * छोटी उम्र में ही उच्च रक्तचाप के शिकार हो रहे हैं. * दिल की बीमारियां उन्हें घेरने लगी हैं. * सांस लेने में तकलीफ़. * नींद संबंधी गड़बड़ियां. इसके अलावा बच्चों और किशोरों में मोटापे के कारण कई भावनात्मक बीमारियां भी हो सकती हैं. ऐसे किशोरों में उत्साह की कमी, हीनभावना आदि समस्याएं भी देखने को मिलती हैं. तनाव, चिड़चिड़ापन आदि लक्षण भी उनमें मिल सकते हैं. उपचार: बच्चे को किसी डॉक्टर को दिखाएं कि कहीं उसमें कोई शारीरिक दोष तो नहीं है और उसका इलाज कराएं. अगर कोई दोष नहीं है तो उसके डायट में से अतिरिक्त कैलोरीज़ घटाएं. शारीरिक क्रिया बढ़ाएं. और यह तभी संभव है, जब बच्चे में वज़न कम करने के लिए उत्साह जगाया जाए.मोटापे को कैसे मैनेज करें?
* वेट मैनेजमेंट प्रोग्राम शुरू करें. * खान-पान की आदतों में बदलाव करें. * अपना खाना प्लान करें और खाने के चुनाव पर भी ध्यान दें (वसायुक्त आहार कम करें. जंक और फास्ट फूड से बचें). * कैलोरी की संख्या घटाएं. * लाइफ़स्टाइल को और ज़्यादा एक्टिव बनाएं. * हमेशा नज़र रखें कि आपका बच्चा स्कूल में क्या खाता है. * परिवार में सब लोग इकट्ठे ही भोजन करें. टीवी देखते हुए या कम्प्यूटर के सामने लंच या डिनर करने की आदत को बदलें. * खाना ज़रूरत के अनुसार खाएं, भूख नहीं लगी है, लेकिन मनपसंद चीज़ सामने आ गई है तो लालच वश खाने की आदत बदलें. * हर व़क़्त कुछ न कुछ खाने की आदत को बदलें.कुछ सवाल...
मोटापे के शिकार बच्चे के माता-पिता के मन में अपने बच्चे को लेकर कई सवाल उठते हैं. कुछ ऐसे ही सवाल और उनके जवाब- अगर मेरा बच्चा अभी मोटा है तो क्या वो हमेशा ही इसी तरह मोटा रहेगा? ज़रूरी नहीं है कि मोटे बच्चे बड़े होकर भी मोटे रहें. लेकिन हां, जैसे-जैसे वे बड़े होते जाते हैं, उनके मोटे ही रहने की संभावना बढ़ती जाती है.और अगर माता-पिता दोनों ही मोटे हों तो यह ख़तरा और भी बढ़ जाता है. इसलिए जितना जल्दी इस पर ध्यान दे दिया जाए, उतना ही बेहतर होता है. क्या मेरे बेटे के मोटापे का कारण हार्मोन्स हो सकते हैं? ज़्यादातर मोटे बच्चों को हार्मोनल असंतुलन नहीं होता. जिन बच्चों को हार्मोन संबंधी शिकायत होती है, उनका विकास आम बच्चों की तुलना में धीमी गति से होता है. उनमें थकान, क़ब्ज़ और त्वचा का रूखापन जैसी शिकायतें भी होती हैं. अगर आपके बेटे में ऐसे लक्षण दिख रहे हों तो उसे डॉक्टर को दिखाएं. मैं अपने बच्चे का वज़न कम करने के लिए क्या करूं? वज़न कम करने का सबसे सही तरीक़ा है स्वस्थ आहार लो और नियमित एक्सरसाइज़ करो. आप अपने बच्चे को इसके लिए प्रोत्साहित करें. अपने डॉक्टर से मिलकर एक बार परामर्श ले लें कि आपके बच्चे के लिए वज़न कम करने का सबसे अच्छा तरीक़ा क्या होगा. धैर्य रखें. इसमें थोड़ा समय लगेगा. अपने बच्चे के खाने-पीने पर रोक मत लगाएं, बल्कि उसे हेल्दी फूड खिलाएं. मैं अपने बच्चे में हेल्दी फूड खाने की आदत डालने के लिए क्या करूं? * बच्चे को ही नहीं, बल्कि पूरे परिवार को हेल्दी फूड खाने की आदत डालें. ये सबके लिए अच्छा भी होगा और आपका बच्चा ख़ुद को अलग-थलग भी नहीं समझेगा. * डायटिशियन या डॉक्टर से मिलकर पूछ लें कि क्या खाएं, क्या नहीं. उसी के अनुसार अपना मेनू तय करें. * बच्चे को स्किम मिल्क देने की आदत डालें. इसमें ़फैट कम होता है. बच्चे में एक्सरसाइज़ की आदत डालने के लिए क्या करूं? * टीवी देखने की आदत को कम करें. * उनमें आउटडोर गेम खेलने की आदत डालें. बिल्डिंग या कॉलोनी के ग्राउंड में दूसरे बच्चों के साथ मिलकर उसे खेलने के लिए भेजें. * अगर आपके घर पर कोई पालतू जानवर है तो उसे घुमाने की ज़िम्मेदारी अपने बच्चे को सौंप दें. * पूरा परिवार वॉकिंग के लिए जाए. क्या वज़न घटानेवाली दवाइयां बच्चे के लिए सुरक्षित होती हैं? * बच्चों का वज़न कम करने के लिए दवाइयों का सहारा कभी न लें, क्योंकि ये ख़तरनाक हो सकती हैं. बेहतर होगा कि अपने फैमिली डॉक्टर से कंसल्ट करके वज़न कम करने का सही तरीक़ा अपनाएं.- प्रतिभा तिवारी
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