जज़्बात...
कहां मिलते हैं ऐसे लोग
जो बांट दें ख़ुशियां अपने दामन की
चेहरे पर बिना झिझक लाए
समेट लें दर्द किसी अनजान शख़्स की
हर मर्ज़ का इलाज दवा नहीं करती
कुछ दर्द बस जज़्बात को छू लेने से
मिट जाते हैं…
सैलाब...
वह जो तुम्हारी मुस्कुराहट
मेरे सीने में उतर जाती है
ऐसा लगता है
सदियों से बसे मेरे आसुंओं के सैलाब को
अपने भीतर समेट लेगी…
राज़...
तुमने आईना तो देखा होगा
बस आईने को
ख़ुद को देखते नहीं देखा होगा
गर आईने को
ख़ुद को देखते देख लिया होता
तो तुम कितने ख़ूबसूरत हो
यह समझ जाते
क्योंकि आईना मेरा दोस्त है
तुम्हारा नहीं इसलिए
वह चुपके से तुम्हारी ख़ूबसूरती का हर राज़
मुझे बता देता है…
एहसास...
मेरी धड़कनों में
कोई एहसास पल रहा है
तुम अपनी निगाहों को
मेरे एहसास में आ जाने दो
क्या पता मेरे एहसास
तुम्हारी निगाह में पल कर
कुछ और संवर जाएं…
- मुरली मनोहर श्रीवास्तव
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