
देश स्वतंत्र हुआ तिथि पंद्रह माह अगस्त बड़ा शुभकारी।
मुक्त हुए परतंत्र गया ख़ुशियाँ जनजीवन में अति भारी।
राष्ट्र बने ख़ुशहाल तभी जब हों श्रमशील सभी नर-नारी।
एक रहें तब क्लेश मिटें सब संयत और बनें व्यवहारी।।

दौर नया परिवर्तन का अब उन्नति के पथ देश चलेगा।
आज विपत्ति भयानक है पर राष्ट्र नया इतिहास रचेगा।
दुश्मन चाल चले कितनी उनका अब दर्प विनाश करेगा।
मंत्र न शाति के काम करें पुरुषार्थ भरी हुंकार भरेगा।
घात करे जब भी रिपु तो नवभारत भी प्रतिघात करेगा।
सिंधु, हिमालय, थार, घने वन में खल सैनिक हाथ मरेगा।
उच्च वितान ध्वजा त्रय रंग सलाम उसे हर व्यक्ति करेगा।
केसर रंग सजा निज भाल जवान नये गलवान गढ़ेगा।।
- कर्नल प्रवीण त्रिपाठी

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