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सोरायसिस से जुड़े मिथकों की सच्चाई (Psoriasis Myths and Facts)

क्‍या आप अपनी त्‍वचा (Skin) के बारे में अनचाहे सवालों को लेकर असहज महसूस करते हैं? लोगों का व्‍यवहार और सोरायसिस (Psoriasis) मरीजों के प्रति लोगों की संवेदना में कमी, इस बीमारी के बारे में लोगों की सीमित जानकारी की वजह से उपजती है. सोरायसिस एक क्रॉनिक, ऑटो-इम्‍यून त्‍वचा संबंधी स्थिति है, यह‍ किसी भी उम्र और जेंडर के लोगों को हो सकती है. इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ सोरायसिस एसोसिएशन (आईएफपीए) के अनुसार, दुनिया में 12.5 करोड़ (125 मिलियन) से ज्‍यादा लोग सोरायसिस से ग्रसित हैं. सोरायसिस के पांच प्रकार होते हैं: .  प्‍लाक .  गटेट . इनवर्स .  पस्‍चलर . एरिथ्रोडर्मिक Psoriasis इन पांचों प्रकारों में प्‍लाक सोरायसिस सबसे आम सोरायसिस माना जाता है. 80 प्रतिशत सोरायसिस मरीज प्‍लाक सोरायसिस से ग्रसित पाये जाते हैं. सोरायसिस को आगे उसकी गंभीरता के स्‍तर, जैसे हल्‍का, मध्‍यम या फिर गंभीर सोरायसिस के आधार पर बांटा जाता है. यदि आप सोरायसिस के साथ जी रहे हैं तो आपको निश्चित रूप से इस बात पर ध्‍यान देना चाहिये कि किस तरह से लोग आपकी त्‍वचा की समस्‍या को गलत रूप में समझते हैं. अजनबियों से मिलने पर त्‍वचा पर इन रैशेज और छिलकेदार पैचेस के बारे में सवालों से आपका आत्‍मविश्‍वास डगमगाना नहीं चाहिए. इस बीमारी से जुड़े मिथकों को तोड़कर सोरायसिस के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये और सोरायसिस के साथ आपको एक सहज जीवन जीने देने की सोच को बदलने के लिये लंबा रास्‍ता तय करना होगा. डॉ. शहनाज़ अर्सीवाला, डर्मेटोलॉजिस्‍ट- सैफी हॉस्पिटल एंड प्रिंस अली खान हॉस्पिटल, फाउंडर और डायरेक्‍टर रीन्‍यूडर्म सेंटर स्किन हेयर लेज़र्स एंड एस्‍थेटिक ने कहा, ‘’सोरायसिस एक ऐसी समस्‍या है, जिसमें कुछ मरीज इसे महत्‍वपूर्ण नहीं मानते और लगातार इलाज नहीं करवाते हैं सोरायसिस को लेकर अक्‍सर इस तरह की लापरवाही और जागरूकता की कमी इसकी जांच और आगे इलाज में देरी करवाती है. त्‍वचा से जुड़ी बाकी अन्‍य समस्‍याओं और कॉस्‍मैटिक स्थितियों से अलग, सोरायसिस का कोई इलाज नहीं है, लेकिन जीवनशैली में प्रभावी बदलाव और उपचार के विकल्‍प से इसका प्रबंधन किया जा सकता है. इससे इस समस्‍या के बारे में और जो लोग इन लक्षणों के लिये उपचार करा रहे हैं उनके लिये जागरूकता बढ़ाना महत्‍वपूर्ण हो जाता है. यहां सोरायसिस के बारे में सबसे ज्‍यादा प्रचलित पांच मिथकों की चर्चा की गयी है: 1. सोरायसिस संक्रामक होता है: सोरायसिस इम्‍यून सिस्‍टम की सामान्‍य कार्यप्रणाली में होने वाली  समस्‍या के परिणामस्‍वरूप होता है, इसलिये यह छूने, हाथ मिलाने या किसी को गले लगाने से या फिर उनके साथ खाना खाने या उनके कपड़े पहनने से नहीं होता है. 2. साफ-सफाई नहीं रखने की वजह से सोरायसिस होता है: सोरायसिस के बारे में प्रचलित यह एक और मिथक है कि साफ-सफाई नहीं रखने या स्‍वच्‍छता की कमी की वजह से यह होता है, इसके विपरीत यह शरीर के बाहरी कारणों की बजाय उसके आंतरिक कारणों की वजह से होता है. यह बीमारी अनुवांशिक कारणों के परिणामस्‍वरूप हो सकता है, हॉर्मोनल बदलावों, चोट लगने या फिर संक्रमण की वजह से हो सकता है. 3. सोरायसिस का पता लगाना आसान होता है: सोरायसिस का पता लगाना कई बार मुश्किल हो  जाता है, क्‍योंकि इसके लक्षण त्‍वचा से जुड़ी अन्‍य समस्‍याओं जैसे एक्जिमा से मिलते-जुलते हैं. सबसे पहला काम यह करना है कि त्‍वचा रोग विशेषज्ञ के पास जायें, वह विस्‍तार से शरीर की जांच करेंगे, इसके साथ ही बीमारी की पुष्टि करने के लिये विशेष क्‍लीनिकल टेस्‍ट करेंगे. 4. सोरायसिस केवल त्‍वचा होने वाला रैश होता है: सोरायसिस एक ऑटो-इम्‍यून बीमारी है. यह त्‍वचा पर होने वाले रैश या पैच से कहीं ज्‍यादा होता है. आमतौर पर हर 30 दिनों पर हमारी त्‍वचा निकलती है और नई परत पुराने के स्‍थान पर आ जाती है. लेकिन सोरायसिस में यह प्रक्रिया कहीं ज्‍यादा तेज होती है और त्‍वचा की नई कोशिकाएं हर 3 से 4 दिन में बनती हैं. 3 इससे पुरानी त्‍वचा को निकलने का पर्याप्‍त समय नहीं मिल पाता, जिससे सतह पर त्‍वचा के ऊपर त्‍वचा की परत चढ़ती जाती है, जिसकी वजह से सोरायसिस होता है. 5. सोरायसिस धीरे-धीरे अपने आप चला जाएगा: हालांकि, सोरायसिस का कोई उपयुक्‍त इलाज नहीं  है, लेकिन आपके डर्मेटोलॉजिस्‍ट द्वारा बताये गये उपचार और जीवनशैली में कुछ बदलाव करके इसे पूरी तरह से नियंत्रित रखा जा सकता. लोगों में जागरूकता और संवदेना के अभाव के कारण, अपने अनुभवों को साझा करके इससे निपटा जा सकता है, जी हां, आपने बिलकुल सही पढ़ा है। कुछ खास तरह के व्‍यवहार पूर्व धारणाओं की वजह से होते हैं, जिससे तथ्‍यात्‍मक आधार में कमी हो सकती है. इसलिये, लोगों में जागरूकता फैलाकर इस व्‍यवहार में बदलाव लाया जा सकता है और सोरायसिस के बारे में लोगों की पूरी धारणा को बदला जा सकता है. एक नया इलाज  सोरायसिस के बारे में बात करने से ना केवल लोग जागरूक होंगे, बल्कि यह आपको अपनी त्‍वचा की समस्‍या के साथ और भी ज्‍यादा सहज बनायेगा और आपके आत्‍मविश्‍वास को बढ़ाने में मदद करेगा. सोरायसिस के मरीजों को बेहतर परिणाम देने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए, मेडिकल साइंस उपचार का एक नया विकल्‍प लेकर आया है, जिसे बायोलॉजिक्‍स कहा जाता है. बायोलॉजिक्‍स प्रोटीन आधारित दवाएं हैं, जोकि इम्‍यून सिस्‍टम के उन खास स्‍थानों पर टारगेट करती हैं, जो इस बीमारी को ट्रिगर करने के लिये जिम्‍मेदार होते हैं, इसे इंजेक्‍शन या इंटरवीनस (आईवी) इनफ्‍यूजन के जरिये दिया जाता है. सोरायसिस के इलाज में बायोलॉजिक्‍स के सकारात्‍मक परिणाम पाये गये हैं, इससे सोरायसिस के मरीजों के लिये और भी साफ त्‍वचा पाना संभव हो पाया है. नैशनल सोरायसिस फाउंडेशन के अनुसार, ऐसा देखा गया कि एक-तिहाई सोरायसिस मरीजों को तीन महीने के इलाज में ही ज्‍यादा साफ त्‍वचा पाने में सफलता मिली है. आपका आत्‍मविश्‍वास ही आपकी आंखें और कान होंगे और इस बार निश्चित रूप से सकारात्‍मक होंगे. इसलिये, अपनी सोरायसिस की समस्‍या को अब और ना छुपायें और अधिक आत्‍मविश्‍वास के साथ अपनी त्‍वचा व अपने बारे में बात करें. ये भी पढ़ेंः जानिए कैल्शियम की कमी के लक्षण और उन्हें दूर करने के आसान उपाय (Calcium Deficiency Symptoms That Will Surprise You)  

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