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रूमेटॉइड आर्थराइटिसः कारण, लक्षण व उपचार (Rheumatoid Arthritis: Symptoms, Causes And Treatment)

आर्थराइटिस (Arthritis) के 100 से अधिक प्रकार हैं और उनमें से एक है रूमेटॉइड आर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis). भारत में क़रीब 1 फ़ीसदी लोग रूमेटॉइड आर्थराइटिस से पीड़ित हैं यानी लगभग 1 करोड़ लोग इस समस्या से जूझ रहे हैं. तेज़ी से पैर फैला रही इस बीमारी के कारण, लक्षण वउपचार के तरीक़ों के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए हमने बात की स्टेमआरएक्स बायोसाइंस सोल्यूशन्स प्राइवेट लिमिटेड के रिजनरेटिव रिसर्चर डॉ. प्रदीप महाजन से. जब हमारे शरीर में किसी भी तरह का बाहरी कीटाणु या जीवाणु प्रवेश कर जाता है तो उसे इंफेक्शन कहते हैं. इस इंफेक्शन को ख़त्म करने के लिए हमारा इम्यून सिस्टम सेल्स इंफेक्शन वाली जगह पर अटैक करता हैै. इसके कारण उस जगह पर दर्द, सूजन या रेडनेस इत्यादि हो जाती है, जिसे इंफ्लामेशन कहते हैं, लेकिन जब बिना इंफेक्शन के इंफ्लामेशन होता है तो उसे ऑटो इम्यून डिज़ीज़ कहते हैंं. ऐसी स्थिति में शरीर की रक्षा प्रणाली ही शरीर के टिशूज़ पर अटैक करना शुरू कर देती है. Rheumatoid Arthritis क्या है यह बीमारी?  रूमेटॉइड आर्थराइटिस एक ऑटो इम्यून डिज़ीज़ है. जैसा कि  हमने बताया कि आमतौर पर हमारा इम्यून सिस्टम किसी भी बाहरी इंफेक्शन से हमारे शरीर की रक्षा करता है. इस बीमारी में इम्यून सिस्टम सेल्स और एंटीबॉडीज़ शरीर का साथ देना बंद कर देती हैं और शरीर की रक्षा करने की बजाय अपने ही जोड़ों के टिशूज़ पर अटैक करना शुरू कर देती हैं, जिसके कारण हड्डियों के जोड़ों में इंफ्लामेशन, दर्द, सूजन और अकड़न की समस्या होती है. यह बीमारी हमारे शरीर के जोड़ों, जैसे कलाई, घुटने और उंगलियों इत्यादि को प्रभावित करती है. रूमेटॉइड आर्थराइटिस होने पर दो हड्डियों के बीच जो कवरिंग है वो कड़क हो जाती है और दबने लगती है, जिसके कारण ज्वॉइंट नहीं हिल पाता और ज्वॉइंट के आस-पास की टिशूज़ में सूजन आ जाती है. Rheumatoid Arthritis Symptoms अन्य अंगों पर प्रभाव यह बीमारी शरीर के जोड़ों के साथ-साथ  शरीर के कई अंगों को भी प्रभावित करती है, जिसके कारण इसे सिस्टमिक डिज़ीज़ कहते हैं. यह बीमारी शरीर के दूसरे अंगों, जैसे-आंख, हृदय, किडनी, फेफड़े और रक्त कोशिकाओं को भी प्रभावित करती है. रूमेटॉइड आर्थराइटिस शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकता है. रूमेटॉइड आर्थराइटिस के कारण अब तक इस बीमारी का मूल कारण पता नहीं चल पाया है. यह ऑटो इम्यून बीमारी है इसलिए यह किसे होगी और किसे नहीं? यह कहना मुश्क़िल है, लेकिन डॉक्टरों के अनुसार जिन लोगों को लंबे समय तक मसूढ़ों में इंफेक्शन की समस्या रही है या जो लोग बहुत ज़्यादा धूम्रपान करते हैं या शराब पीते हैं, उन्हें रूमेटॉइड आर्थराइटिस होने का ख़तरा ज़्यादा होता है. इसके अलावा जिनके शरीर में हार्मोनल चेंजेज़ ज़्यादा होते हैं, उन्हें भी यह बीमारी होने का ख़तरा ज़्यादा होता है. कहने का अर्थ है कि हमारे शरीर का जो मेंटेनेंस सिस्टम शरीर का तापमान, पीएच लेवल इत्यादि मेंटेन करके संतुलित रखता है. अगर उसमें इंफेक्शन या अन्य किसी भी कारण से बार-बार असंतुलन होता है, तो रूमेटॉइड आर्थराइटिस होने का ख़तरा बढ़ जाता है. यह बीमारी पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को ज़्यादा होती है. इसके अलावा अगर माता-पिता या घर के किसी क़रीबी रिश्तेदार को यह बीमारी हो तो इसके होने की आशंका बढ़ जाती है. रूमेटॉइड आर्थराइटिस के मुख्य लक्षण 1. एक या एक से अधिक जोड़ों में दर्द  व सूजन रहना. 2. सुबह उठने पर एक घंटे से ज़्यादा देर तक जोड़ों में जकड़न रहना. 3. जोड़ों के दबाने पर दर्द महसूस होना. 4. जोड़ों को घंटे भर न हिलाने पर उनका जकड़ जाना. .5. पीठ दर्द. 6. त्वचा में कसाव. 7. बुखार. 8. आंखों में जलन 9. हाथों व पैरों का सुन्न होना. ख़तरे की घंटी आमतौर पर हर किसी को कभी न कभी जोड़ों में दर्द की शिकायत होती है और इसमें कोई चिंता की बात नहीं है, लेकिन जब यह दर्द कुछ दिनों या हफ़्तों में ठीक नहीं होता और समय के साथ बढ़ता जाता है, शरीर में सुबह क़रीब आधे घंटे से ज़्यादा समय तक अकड़न महसूस होती है, जोड़ों में सूजन रहती है तो समझ लीजिए कि अब आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. ये भी पढ़ेंः ऑस्टियोआर्थराइटिस के कारण, लक्षण व उपचार (Osteoarthritis: Causes, Symptoms, And Treatments) रूमेटॉइड आर्थराइटिस के लिए टेस्ट वैसे तो ऐसा कोई टेस्ट नहीं है, जिससे रूमेटॉइड आर्थराइटिस की पुष्टि हो सके, लेकिन इसका पता लगाने के लिए डॉक्टर कुछ ब्लडटेस्ट करा सकते हैं. रूमेटॉइड फैक्टर टेस्टः ब्लड टेस्ट की मदद से शरीर में रूमेटॉइड फैक्टर नामक प्रोटीन की जांच की जाती है. शरीर में इसकी अधिक मात्रा होने पर ऑटोइम्यून बीमारियों का ख़तरा बढ़ जाता है. एंटीसिट्रुलिनेटेड प्रोटीन एंटीबॉडी टेस्टः इस टेस्ट की मदद से शरीर में एंटीबॉडीज़ की जांच की जाती है, जिसके कारण रूमेटॉइड आर्थराइटिस की समस्या होती है. जिन लोगों के शरीर में ये एंटीबॉडीज़ होते हैं, उन्हें अमूनन यह बीमारी होती है. एंटीन्यूक्लियर एंटीबॉडी टेस्टः इस टेस्ट की मदद से यह पता लगाया जाता है कि व्यक्ति का इम्यून सिस्टम एंटीबॉडीज़ प्रोड्यूस कर रहा है या नहीं. सी-रिएक्टिव प्रोटीन टेस्टः शरीर में गंभीर इंफेक्शन या सूजन होने पर लिवर सी-रिएक्टिव प्रोटीन बनाना शुरू कर देता है. शरीर में इस प्रोटीन की मात्रा अधिक होने पर रूमेटॉइड आर्थराइटिस हो सकता है. इस टेस्ट की मदद से सी-रिएक्टिव प्रोटीन के स्तर का पता लगाया जाता है. कब होती है यह समस्या? हालांकि यह सच है कि उम्रदराज़ लोगों को रूमेटॉइड आर्थराइटिस होने का ख़तरा ज़्यादा होता है, लेकिन यह किसी भी उम्र में हो सकता है. आमतौर पर यह बीमारी 40 से 60 साल की उम्र में होती है. ढेर सारे शोध और अध्ययन के बाद भी इस बीमारी को जड़ से ख़त्म करने का उपाय नहीं ढूंढ़ा जा सका है, तसल्ली की बात यह है कि नियमित रूप से ट्रीटमेंट व थेरेपी की मदद से इसके प्रभावों को कम किया जा सकता है. रूमेटॉइड आर्थराइटिस के लिए ट्रीटमेंट रूमेटॉइड आर्थराइटिस का ट्रीटमेंट बहुत मुश्क़िल होता है और बहुत लंबा चलता है. ट्रीटमेंट के लिए दवाएं, फिज़ियोथेरेपी व एक्सरसाइज़ का प्रयोग किया जाता है. जल्दी व सही समय पर ट्रीटमेंट शुरू करने से इसके दुष्प्रभावों को कम किया जा सकता है, ताकि जोड़ों को रिप्लेस करने की आवश्यकता न पड़े. शुरुआती इलाज के लिए डिज़ीज़ मॉर्डिफाइड एंटीरोमैडिक ड्रग्स, जैसे-मेथोट्रेजेट लिफोनोमाइड, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन  दी जाती हैं. इसके साथ दर्द व सूजन कम करने के लिए एंटीइंफ्लेमेटरी दवाइयों के साथ-साथ एक्सरसाइज़ करने और आराम करने की सलाह भी दी जाती है. इसके अलावा मरीज़ को स्टेरॉइड भी दी जाती है. रूमेटॉइड आर्थराइटिस के मरीज़ों को डॉक्टर के पास नियमित रूप से जाना चाहिए, क्योंकि दवाओं के साइड इफेक्ट होने की आशंका भी होती है. रूमेटॉइड आर्थराइटिस के लिए डायट इस बीमारी से पीड़ित मरीज़ों को डॉक्टर एंटीइंफ्लेमेटरी डायट लेने की सलाह देते हैं, ताकि इस बीमारी के लक्षणों को कम किया जा सके. इसके लिए मरीज़ को ओमेगा3 फैटी एसिड के भरपूर खाद्य पदार्थ, जैसे-अखरोट, सॉल्मन व ट्यूना मछली, अलसी खाने की सलाह की जाती है. इसके अलावा विटामिन ए, सी, ई और सेलेनियम भी सूजन कम करने में मदद करते हैं. इसके लिए क्रैनबेरी, स्ट्रॉबेरीज़, डार्क चॉकलेट, पालक, राजमा इत्यादि का सेवन करना चाहिए. इस बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए भरपूर मात्रा में फाइबर ग्रहण करना भी बेहद आवश्यक है. फाइबर ग्रहण करने से शरीर में सी-रिएक्टिव प्रोटीन का लेवल कम होता है, जिससे सूजन से आराम मिलता है. इसके लिए साबूत अनाज, हरी सब्ज़ियां, फल इत्यादि का सेवन करना फ़ायदेमंद होता है. फ्लैवोनॉइड्स युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से भी काफ़ी आराम मिलता है. कैसे बचें? रूमेटॉइड आर्थराइटिस से पूरी तरह बचना तो आसान नहीं है, लेकिन कुछ उपायों को अपनाकर इसके ख़तरे को कम किया जा सकता है. एक्सरसाइज़ करेंः नियमित रूप से एक्सरसाइज़ करें. इससे शरीर में रक्त का संचार तेज़ होता है व ज्वॉइंट्स स्वस्थ रहते हैं. पर यदि आपको ज्वॉइंट पेन की समस्या है तो डॉक्टर की सलाह लेकर ही एक्सरसाइज़ करें. धूम्रपान से बचेंः बहुत से शोधों से यह सिद्ध हुआ है कि धूम्रपान के कारण रूमेटॉइड आर्थराइटिस का ख़तरा दोगुना बढ़ जाता है. यदि आप स्वस्थ रहना चाहते हैं तो धूम्रपान छोड़ दें. ये भी पढ़ेंः पीठदर्द की वजह जानने के लिए कराइए स्पाइन फंक्शन टेस्ट (Spine Function Test To Detect Clear Cause Of Back Pain)

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