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जानें कोलेस्ट्रॉल के रिस्क फैक्टर्स, ट्राई करें ये होम रेमेडीज़(Risk factors of Cholesterol: Try these home remedies)

हृदय रोगियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए तक़रीबन हर डॉक्टर मरीज़ों को कोलेस्ट्रॉल से बचने की सलाह देते हैं. दिल के मरीज़ों के लिए कोलेस्ट्रॉल अभिशाप के समान है. आइए, शरीर में पर्याप्त मात्रा में कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल में रखने के तरीक़ों और इससे जुड़े विभिन्न पहलुओं के बारे में जानें. Risk factors of Cholesterol कोलेस्ट्रॉल रक्त में पाया जानेवाला वसा (फैट) है. स्वस्थ जीवन के लिए यह बहुत ज़रूरी हैे, परंतु जब रक्त में इसकी मात्रा सामान्य से अधिक हो जाती है, तो रक्त में थक्के जम जाते हैं, जो हृदय के लिए घातक होता है. डॉक्टर्स के अनुसार, किसी भी उम्र के स्त्री-पुरुष में कोलेस्ट्रॉल का स्तर 200 एमजी/डीएल से कम ही रहना चाहिए. हाई कोलेस्ट्रॉल व्यक्ति के स्वास्थ्य और जीवन दोनों को ही ख़तरा व नुक़सान पहुंचा सकता है, क्योंकि रक्त में बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल कोरोनरी धमनियों में अवरोध पैदा करके हार्ट प्रॉब्लम व हार्ट अटैक जैसी घातक स्थिति को जन्म देता है.  
कोलेस्ट्रॉल क्यों ज़रूरी है?
कोलेस्ट्रॉल शरीर के क्रियाकलाप में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है. यह कोशिकाओं की दीवारों का निर्माण करने और विभिन्न हार्मोंस को बैलेंस करने के लिए भी ज़रूरी होता है. इनमें एचडीएल को अच्छा कोलेस्ट्रॉल तथा एलडीएल को बुरा कोलेस्ट्रॉल कहते हैं. एलडीएल को बुरा इसलिए कहते हैं, क्योंकि यह कोरोनरी धमनियों में अवरोध उत्पन्न करता है, जिससे रक्त संचार में बाधा होती है और हार्ट अटैक की स्थिति पैदा होती है. एचडीएल कोलेस्ट्रॉल इसलिए अच्छा है, क्योंकि यह धमनियों में अवरोध बनने से रोकता है.  
कोलेस्ट्रॉल के रिस्क फैक्टर्स
- हाई कोलेस्ट्रॉल से ग्रस्त लोगों में कोई लक्षण तब तक दिखाई नहीं देते, जब तक कोलेस्ट्रॉल दिल व दिमाग़ की तरफ़ जानेवाली धमनियों को काफ़ी संकरा नहीं कर देता है. इसके परिणामस्वरूप सीने में दर्द होता है. - रक्त में कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाने से पथरी रोग, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और गुर्दे की बीमारी हो सकती है. - हाई कोलेस्ट्रॉल होने पर ये बढ़ते-बढ़ते नसों में उतर आता है, जिससे चलना-फिरना कठिन हो जाता है. - हार्ट अटैक, किडनी डिसऑर्डर, थायरॉयड, लकवा जैसे रोग कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ने से हो सकते हैं. इनसे बचने के लिए दवा के साथ-साथ अपने खानपान पर ध्यान देना भी ज़रूरी है. कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करके हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक जैसी बीमारियों की वजह से होनेवाली अकाल मृत्यु को रोका जा सकता है.
कोलेस्ट्रॉल के कारण और लक्षण
रक्त में कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के कारणों को तीन भागों में बांटा गया है. - कोलेस्ट्रॉल बढ़ानेवाले आहार यानी वसायुक्त खाद्य पदार्थ का अधिक मात्रा में लगातार सेवन करना. - मेटाबॉलिक सिस्टम जब एलडीएल की मात्रा को पर्याप्त रूप में रक्त से बाहर नहीं कर पाता, तो रक्त में एलडीएल का स्तर बढ़ जाता है. - तीसरी स्थिति वह होती है, जब लिवर कोलेस्ट्रॉल को अधिक मात्रा में बनाने लगता है. उपरोक्त कारणों को यदि नियंत्रण में रखा जाए, तो हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या उत्पन्न ही नहीं होगी.जहां तक लक्षणों की बात है, तो थकान, कमज़ोरी, सांस लेने में तकलीफ़, अधिक पसीना आना, सीने में दर्द, बेचैनी-सी महसूस होना आदि इसके प्रमुख लक्षण हैं.
कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल में रखने के लिए क्या खाएं?
- अपने खानपान में अधिकाधिक मौसमी फल व सब्ज़ियों को शामिल करें. - इनमें संतरे का जूस प्रमुख है, जिसमें भरपूर मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है. - ज़ीरो कोलेस्ट्रॉल वाले पदार्थ, जैसे- ताज़ा फल, सब्ज़ियां और फ़ाइबरयुक्त पदार्थ अपने भोजन में शामिल करें. - सुबह नाश्ते में कॉर्नफ्लैक्स जैसे आहार फ़ायदेमंद रहते हैं.
ये न खाएं
- रेड मीट का सेवन न करें. - दूध, बटर, घी, क्रीम यहां तक कि आइस्क्रीम जैसे पदार्थ, जिनमें भारी मात्रा मेें कोलेस्ट्रॉल होता है, खाने से बचें. - मावा से बनी मिठाइयां स्लो पॉइज़न का काम करती हैं, इनसे दूर ही रहें. प सिगरेट-शराब का सेवन कम करें.
सावधानियां
- दवा के अलावा कुछ सावधानियों और खानपान में सुधार लाकर भी कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल किया जा सकता है, क्योंकि खानपान व रहन-सहन के तौर-तरीक़ों में बिगड़ते संतुलन की वजह से ही शहरी लोग विशेष रूप से हाई कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) के शिकार हो रहे हैं. - डॉक्टर की सलाह के अनुसार अपने खानपान और जीवनशैली में परिवर्तन करें. - शरीर का वज़न बढ़ने न दें. शरीर की एक्स्ट्रा कैलोरीज़ बर्न करें यानी ज़्यादा से ज़्यादा पैदल चलें. - नियमित एक्सरसाइज़ इसमें मददगार है. जॉगिंग, स्विमिंग, डांसिंग और एरोबिक्स नियमित रूप से करें. - बिल्डिंग मेें चढ़ने के लिए लिफ़्ट की बजाय सीढ़ियों का इस्तेमाल करें. - यदि आपको हार्ट से जुड़ी बीमारी होने का ज़रा भी शक है, तो तुरंत हार्ट स्पेशलिस्ट की सलाह लें. - जो लोग चिकनाई वाले आहार कम खाते हैं, उनके शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल का अनुपात कम होता है. - खाद्य पदार्थ ख़रीदते समय उनके लेबल गौर से पढ़ लें. ऐसे ही पदार्थ ख़रीदें, जिनमें वसा और कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम हो.
कोलेस्ट्रॉल की जांच
- 20 साल की उम्र से अधिक आयुवालों को हर 5 साल में कोलेस्ट्रॉल का टेस्ट ज़रूर करवाना चाहिए. - टेस्ट में लिपोप्रोटीन टेस्ट करवाना ज़रूरी होता है, जिससे आपका कोलेस्ट्रॉल लेवल पता चलता है. - यह भी देखा गया है कि मेनोपॉज़ से पहले एक ही उम्र के स्त्री-पुरुषों में कोलेस्ट्रॉल का स्तर अलग-अलग होता है. स्त्रियों में पुरुषों के मुक़ाबले कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होता है. - लेकिन मेनोपॉज़ के बाद स्त्रियों में पुरुषों की अपेक्षा कोलेस्ट्रॉल का स्तर काफ़ी ज़्यादा पाया जाता है. - ऐसे में मेनोपॉज़ के बाद महिलाओं को अपने कोलेस्ट्रॉल स्तर पर ख़ास ध्यान देना चाहिए.
हाई कोलेस्ट्रॉल को कम करने की होम रेमेडीज़
- 1 कप गर्म पानी में 1-1 टीस्पून शहद और नींबू का रस मिलाकर रोज़ सुबह पीने से कोलेस्ट्रॉल का स्तर प्राकृतिक रूप से कम होता जाता है. - 1 ग्लास पानी में 2 टेबलस्पून साबूत धनिया उबाल लें. ठंडा होने पर छान लें. इसे दिन में दो बार पीएं. - प्याज़ का रस न स़िर्फ कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है, बल्कि खून साफ़ करके हृदय को भी मज़बूत करता है. - विटामिन ई से भरपूर डायट लें, जैसे- सूरजमुखी के बीज, सोयाबीन ऑयल, अंकुरित अनाज आदि. - विटामिन बी 6 भी लें. - इसके अलावा रोज़ाना लहसुन खाएं. गुग्गुल भी बहुत फ़ायदेमंद है. - गिलोय और कालीमिर्च पाउडर के मिश्रण को रोज़ाना दिन में दो बार 3 ग्राम की मात्रा में खाएं. - 1 ग्लास पानी में 1 टीस्पून मेथी पाउडर मिलाकर 1 महीने तक रोज़ खाली पेट पीने से कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होता है. - मेथीदाने का नियमित सेवन भी काफ़ी फ़ायदेमंद होता है. - रोज़ाना 1 टेबलस्पून शहद के सेवन से भी कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण में रहता है. - कुकिंग के लिए सनफ्लावर ऑयल का ही इस्तेमाल करें.

- ऊषा गुप्ता

  https://www.merisaheli.com/everyday-habits-that-can-make-you-sick/

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