सलमान खान अपनी फिल्म 'अंतिम' के लिए तो चर्चा में है ही, साथ ही अपने सोशल वर्क कहें या उनकी उल्लेखनीय राय के लिए भी सुर्ख़ियों में हैं.
दरअसल, सलमान के बहनोई आयुष शर्मा के साथ उनकी फिल्म 'अंतिम' को उनके फैंस द्वारा ख़ूब पसंद की जा रही है. जिस पर कुछ फैंस ने उनके पोस्टर पर दूध चढ़ाते हुए उनका स्वागत किया और अपनी ख़ुशी प्रकट की. इस पर सलमान खान ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर प्रतिक्रिया देते हुए फैंस को ऐसा करने से मना किया.
उन्होंने कहा कि जहां गरीब बच्चों को पीने के लिए दूध नहीं मिलता, वहां पर इस तरह से दूध वेस्ट करना ठीक नहीं है. अगर वह कुछ करना चाहें, तो गरीब बच्चों को दूध पिलाएं... सलमान की यह बात उनके फैंस को बेहद पसंद आई और इस पर जमकर उन्होंने कमेंट्स भी किए.
किसी ने कहा कि भाई आपने बहुत सही कहा है. ऐसा होना नहीं चाहिए... तो किसी ने कहा कि आपकी इसी तरह के नेक कार्य और विचारों से ही तो हम इंप्रेस रहते हैं... तो कोई सलमान का ज़बर्दस्त फैंस बोला कि आप कितनी बार अच्छाई दिखाओगे, एक ही ज़िंदगी है उसमें और कितनी बार आप अच्छे बनोगे... तरह-तरह के लोगों ने अपनी राय रखी. किसी ने मज़ाक भी किया कि भाई खाली 500 ग्राम ही दूध वेस्ट किया है, इसलिए आप इतना परेशान न हों...
इससे पहले भी सलमान खान ने अपने फैंस से थिएटर में पटाखे ना फोड़न के लिए भी रिक्वेस्ट की थी.
एक फैंस ने तो यहां तक कह दिया कि इस तरह दूध बर्बाद करने की जगह यदि बीइंग ह्यूमन के प्रोडक्ट्स ख़रीदें या सोशल वर्क किया जाए, तो ज़्यादा बेहतर है, इससे ज़रूरतमंद लोगों को फ़ायदा भी होगा और दूध की बर्बादी होने से भी बचेगी.
एक बात है कि सलमान खान के जो प्रशंसक उनके अंधे भक्त हैं, उनकी हर बात, उनके हर एक्शन पर अपनी ज़बर्दस्त प्रतिक्रिया देते रहते हैं और वहीं उन्होंने उनके इस पोस्ट पर भी किया है.
एक प्रशंसक ने तो यहां तक कह दिया कि पहली बार सलमान खान को दूध चढ़ाया गया, जैसे कि वे कोई देवता हों और जिस पर दूध चढ़ाकर उन्होंने अपना जीवन सार्थक किया हो.
यह तो रही सलमान खान के पोस्टर पर दूध चढ़ाने पर उनके द्वारा कही गई बातों पर उनके प्रशंसकों का रिएक्शन. लेकिन अपनी फिल्म 'अंतिम' को लेकर भी वे काफ़ी चर्चा में हैं. इस फिल्म में उन्होंने सरदार राजवीर सिंह की भूमिका निभाई है, जिसे लोगों ने ख़ूब पसंद किया.
फिल्म- अंतिमः द फाइनल ट्रूथ
कलाकार- सलमान खान, आयुष शर्मा, महिमा मकवाना, सचिन खेड़ेकर, महेश मांजरेकर, सयाजी शिंदे, उपेन्द्र लिमये, जीशू सेनगुप्ता, निकितन धीर
निर्देशक- महेश मांजरेकर
रेटिंग- 2/5 **
अंतिम फिल्म की बात करें, तो यह मराठी फिल्म 'मुलशी पैटर्न' की रीमेक है, जिसे महेश मांजरेकर ने निर्देशित किया है. लेकिन फिल्म में वह बात नहीं बन पाई, जो 2018 में बनी मराठी फिल्म की थी. महेश मांजरेकर ने इसमें काफ़ी फेरबदल भी किया, जिसकी वजह से यह पूरी तरह से मसालेदार फिल्म बन गई. उसमें कुछ दृश्य जैसे 'जंजीर' फिल्म के लगते हुए दिखते हैं, तो कुछ दयावान, वास्तव और खलनायक फिल्मों के दिखते हैं. इन्हीं महेश मांजरेकर ने वास्तव और हथियार जैसी बेहतरीन फिल्मों का निर्देशन किया था, लेकिन इस फिल्म में वे चूक गए.
फिल्म के हीरो आयुष शर्मा की यह दूसरी फिल्म है. अपनी पहली फिल्म 'लव यात्री' में उन्होंने अपना प्रभाव छोड़ा था. इसमें वे टोटली ही अलग क़िरदार में बदले हुए नज़र आए. उनकी कसावदार बॉडी और एक्शन काबिल-ए-तारीफ़ है. बस, उन्हें थोड़ी और मेहनत करने की ज़रूरत है.
फिल्म की कहानी एक किसान दत्ता भाऊ, जो सचिन खेडेकर बने हैं से शुरू होती है. जिन्हें मजबूरी में अपनी ज़मीन आधे-पौने दाम में बेचकर पुणे आना पड़ता है. पुणे में वे बेटे राहुल यानी आयुष शर्मा के साथ मजदूरी करते हैं, बोरा ढोने का काम करते हैं, पर उनके साथ वहां भी गुंडे काफ़ी अत्याचार करते हैं. तब राहुल को बर्दाश्त नहीं होता और वह उनसे लड़ बैठता है.
फिर कहानी कुछ इस तरह से मोड़ लेती है कि आयुष को जेल हो जाती है. बाद में वह न्याय करने के लिए गुंडों से मारपीट और मर्डर तक कर देते हैं. धीरे-धीरे वे वहां के लोकल माफिया किंग के हाथ का खिलौना बन जाते हैं. भू माफिया और ग़लत क़िस्म के बिल्डर लोग उनसे अपना काम निकलवाते हैं. इसी दौरान उनकी भिड़ंत पुलिस ऑफिसर राजवीर से होती है, जो सलमान खान है. फिल्म में एक तरह से दो गैंगवार को आपस में एक-दूसरे से भिड़ा दिया गया है, जैसा कई फिल्मों में दिखाया गया है. राहुल के अपराधी बनने पर उसके पिता और उसकी प्रेमिका उससे दूर हो जाते हैं.
प्रेमिका बनी महिमा मकवाना की यह पहली हिंदी फिल्म है. उन्होंने अपना अभिनय ठीक-ठाक किया है. उनके पिता की भूमिका में महेश मांजरेकर ख़ुद हैं. वह एक शराबी व्यक्ति की भूमिका निभाते हैं और बीच-बीच में लोगों को उपदेश भी देते रहते हैं.
विलेन की भूमिका में उपेंद्र लिमये ने अच्छा काम किया है.
फिल्म की कहानी अभिजीत देशपांडे , सिद्धार्थ साल्वी और महेश मांजरेकर ने मिलकर लिखी है पर बात नहीं बन पाई. रवि बसरूर और हितेश मोदकी का संगीत औसत दर्जे का है. केवल भाई का बर्थडे है... गाना थोड़ा ठीक-ठाक है और लोग पसंद भी कर रहे हैं. सलमान खान की यह फिल्म एक आम फिल्म है, इसमें कोई दो राय नहीं है.
यह एक बेहतरीन फिल्म बन सकती थी, लेकिन इसे अस्सी-नब्बे की हिट मसाला फिल्मों की तरह बनाने की कोशिश में एक स्तरीय फिल्म बना दिया गया.
अभिनेता और क्रिटिक्स कमाल आर. खान ने भी इस फिल्म की धज्जियां उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. उन्होंने तो सलमान और आयुष शर्मा को एक्टिंग न करने तक की सलाह दे दी.
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