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कहानी- अनोखा प्रस्ताव (Short Story-Anokha Prastav)

जब भी उसकी अपने बच्चे से मिलने की तड़प बढ़ जाती, वह मीना के पास जाकर गिड़गिड़ाता. मगर वह उसे बच्चे से मिलने नहीं देती थी. कहती जब बहुत सारा पैसा कमा ले, तभी मिलने आना बच्चे से.
एक दिन बच्चे का जन्मदिन था. वह उससे मिलने गया, मगर उस दिन भी हर बार की तरह मीना ने उसे दरवाज़े से ही लौटा दिया. उस रात उसके साथ-साथ आसमान भी बहुत रोया. भगवान को कोसा. शिकायत की उनसे. कोई चमत्कार होने की दुआ मांगी.

शिव एक साइकिल मैकेनिक था. पूरे महीने मेहनत करने के बाद भी वह गुज़ारे लायक नहीं कमा पाता था. इसी पैसों की तंगी से तंग आकर उसकी बीवी मीना ने उसे छोड़कर किसी और से शादी कर ली थी. वो एक बड़े व्यापारी का ड्राइवर था. मीना उनके दो साल के बेटे को भी अपने साथ ले गई थी. इस बात को अब पूरे दो साल हो चुके थे. इन दो सालों में कोई भी रात ऐसी नहीं गुज़री थी, जब वो अपने बच्चे के लिए रोया न हो. दिनभर के काम की थकान वो ऐसी ही रात को अपने बच्चे की यादों में खोकर उतारता था. जब भी उसकी अपने बच्चे से मिलने की तड़प बढ़ जाती, वह मीना के पास जाकर गिड़गिड़ाता. मगर वह उसे बच्चे से मिलने नहीं देती थी. कहती जब बहुत सारा पैसा कमा ले, तभी मिलने आना बच्चे से.
एक दिन बच्चे का जन्मदिन था. वह उससे मिलने गया, मगर उस दिन भी हर बार की तरह मीना ने उसे दरवाज़े से ही लौटा दिया. उस रात उसके साथ-साथ आसमान भी बहुत रोया. भगवान को कोसा. शिकायत की उनसे. कोई चमत्कार होने की दुआ मांगी. अपने इस दुख में, वो लड़खड़ा गया और पूरी रात सड़क पर ही पड़ा रहा.
सुबह उठा तो बारिश बंद हो चुकी थी. तभी उसकी नज़र अपने पास पड़ी एक लॉटरी की टिकट पर गई. उसे यह देखकर आश्चर्य हुआ कि पूरी रात बारिश होने के बावजूद टिकट एकदम सूखी थी. उसने जब टिकट के बारे में पूछताछ की, तो उसे पता चला उसका परिणाम आज ही आना है. परिणाम आया और उसे एक करोड़ की लॉटरी लग गई.
वह सीधा भागते हुए मीना के पास गया. उसने मीना से कहा कि मैं तुम्हें अपने बेटे के बदले बीस लाख दूंगा. मीना के पति की नौकरी छूट गई थी. उसने इस डील के लिए हां कर दी. शिव अपने बेटे को अपने घर ले आया. उसके लिए उसने अपने छोटे से घर में एक अलग से कमरा तैयार कर दिया. ढेर सारे खिलौने, कपड़े, उसकी पसंद की तमाम चीज़ें उसे घर में जोड़ दी. बच्चा भी उससे जल्द ही हिलमिल गया. उसे ज़िंदगी अच्छी लगने लगी.
फिर एक दिन उसने देखा कि मीना, बच्चे के स्कूल ख़त्म होने के समय रोज़ उसके सामने आकर खड़ी होने लगी है. बच्चा उसे देखते ही उसके पास जाने को मचलने लगता है. मां के लिए रोने लगता है. यह देखकर शिव मीना से बात करने गया. उसने मीना को और दस लाख रुपए देने का प्रस्ताव दिया, जिसके बदले उसे स्कूल आना बंद करना होगा. मीना मान जाती है. शिव को फिर लगने लगता है कि अब सब ठीक हो गया, मगर कभी कुछ ठीक होता कहां है.
कुछ दिन बाद वो देखता है कि मीना ठीक उसके घर के सामनेवाले घर में आकर रहने लगी है. और सारा दिन छज्जे पर खड़ी रहती है, जिसे देखकर बच्चा फिर उसके पास जाने की ज़िद करने लगता है. शिव दोबारा मीना से बात करने जाता है और उसे और दस लाख रुपए देने की बात करता है, जिसके बदले उसे वो घर छोड़कर कहीं और जाना होगा. मीना दस की जगह बीस लाख मांगती है. शिव अपने बच्चे के मोह में उसे हां कर देता है. मीना वो जगह छोड़कर चली जाती है. शिव को फिर लगने लगा कि सब कुछ ठीक हो गया है. अब उसके पास सिर्फ़ तीस लाख रुपए बचे थे.
कुछ दिन तक ठीक चलता रहा, लेकिन एक दिन अचानक बच्चे को अपनी मां की याद फिर से सताने लगी. शिव ने उसका मन बहलाने की लाख कोशिश की, मगर वो अपनी मां के पास जाने की ज़िद छोड़ ही नहीं रहा था.


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शिव उसकी ज़िद देखकर एक बार उस पर ऊंची आवाज़ में चिल्ला भी पड़ा. उसके इस तरह चिल्लाने से बच्चा डर गया और बीमार हो गया. तीन दिन इलाज के बावजूद उसका बुखार नहीं उतरा. शिव से उसकी हालत देखी नहीं जा रही थी. बहुत सोचने के बाद वो उसे लेकर मीना के पास गया और कहा कि बच्चे को मुझसे ज़्यादा तुम्हारी ज़रूरत है. मैं इसकी याद में जीवनभर तड़प सकता हूं, मगर इसको इस तरह नहीं देख सकता. मीना यह सुनकर मुस्कुराई और बोली कि तुम डील तोड़ रहे हो. इसका हर्जाना देना होगा तुम्हें. उसने और बीस लाख रुपए मांगे. शिव ने उसकी बात मान ली.
फिर जैसे ही वो जाने लगा, तो बच्चे ने उसका हाथ पकड़कर पूछा कि क्या आप भी यहां नहीं रह सकते. यह सुनकर शिव का मन भर आया. उसने मीना से कहा कि वो उसे अपना नौकर बनाकर रख ले. दो टाइम खाने के अलावा उसे कुछ और नहीं चाहिए. वो बस अपने बच्चे के पास रहना चाहता है. मीना ने इसकी भी क़ीमत मांगी. शिव ने बाकी बचे दस लाख भी उसे दे दिए. फिर जैसे ही वो अपने बच्चे से बात करने लगा, मीना ने ये कहते हुए उसे दूर कर दिया कि घर के नौकर होकर तुम मालिक के बच्चे के इतने क़रीब कैसे जा सकते हो. शिव को इस बार अपनी पूरी दुनिया अपनी आंखों के सामने ढहती हुई नज़र आई.
फिर जैसे ही वो मीना को कुछ सुनाने लगा, उसकी आंख खुल गई. रात को बारिश में भीगने के बाद कब वो घर आया उसे कुछ याद ही नहीं था. वो उठकर काम पर जाने की तैयारी करने लगा. वैसे ही आज उसे उठने में देर हो गई थी.

साधना जैन

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