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कहानी- अनोखा रिश्ता (Short Story- Anokha Rishta)

"आप बेहद ख़ूबसूरत हैं. इस ख़ूबसूरत से चेहरे पर एक लाल सी बिंदी लग जाएगी, तो यह चांद सा चेहरा और भी चमक उठेगा." और वो एक सुंदर सी बिंदी का पैकेट उसके आगे बढ़ा देता है. अब उसका देखना एलीना को भी बुरा नहीं लगता था. कहीं ना कहीं उसकी नज़रें भी युग को देखा करतीं थी.

दो भाइयों एडवर्ड और एरिक एवं मम्मी-पापा की लाड़ली एलीना बेहद प्यारी और ख़ूबसूरत थी. बड़ी-बड़ी आंखें घुंघराले कमर को छूते हुए घने सुनहरे बाल, कमल से गुलाबी होंठ, दूधिया रंग की धनी बिल्कुल जापानी गुड़िया-सी दिखती थी. सुबह की पहली किरण के साथ परी-सी दिखनेवाली एलीना की नींद खुलते ही अपनी डॉल को कोमल से हाथों में थामे, इधर-उधर तितली की तरह मंडराने लगती थी. पूरे घर-आंगन का दौड़-दौड़ कर ऐसे चक्कर लगाती थी, मानो सूर्य देवता के ओझल होते ही चंद्र देव की उपस्थिति में घर के हर एक कोने और आंगन में कोई नई चीज़ उग आई हो या फिर कोई करिश्मा हो गया हो.
एलीना इतनी चंचल थी कि एक पल भी वो शांत नहीं रह पाती थी. उसकी प्यारी-प्यारी हरकतें देखकर उसके मम्मी-पापा हमेशा ख़ुश होते रहते थे. जैसे ही एलीना थोड़ी बड़ी हुई उसके मन में साइकिल सीखने की अभिलाषा जगी. एरिक और एडवर्ड की छुट्टियांं चल रही थी, इसीलिए वो दोनों घर पर ही थे. यह देखकर एलीना भाइयों से ज़िद करने लगी, "मुझे साइकिल सीखनी है. मुझे भी साइकिल सिखा दो भैया…"
परी एलीना की बातें उसके दोनों भाई कभी नहीं ठुकराते थे. उसकी प्यारी-सी आवाज़ एवं बातें सुनकर एरिक और एडवर्ड दोनों भाई एलीना को साइकिल सिखाने के लिए बड़े उत्साह के साथ बड़े से मैदान में ले गए. साइकिल सीखने के दरमियान एलीना साइकिल से गिर गई. तब एलीना को गहरी चोटें आईं. एलीना के चोट लगने से सभी बहुत दुखी हो गए. एलीना के घाव से रक्त पसीज रहे थे और आंसू गिर रहे थे एरिक और एडवर्ड की आंखों से. दोनों भाई एलीना से बेहद प्यार करते थे.
एलीना रोए जा रही थी और उसके दोनों भाई उसके घाव पर फूंक मारे जा रहा थे. जब एलीना को लेकर दोनों घर वापस आए तो, "अरे, ये क्या हो गया? एलीना को चोट कैसे लग गई? इसके सिर से इतना खून कैसे बह रहा है?" घाव देखकर मानो मां का कलेजा मुंह को आ रहा था.
एलीना की मां ऐनी बावली हो गई. रसोई में खाना बनाना छोड़ कर जैसे-तैसे गोद में उठाकर डॉक्टर के पास पहुंची और उसकी अच्छे से मरहम पट्टी करवाकर घर लाई. चोट के कारण एलीना थोड़ी शांत-शांत रहने लगी, तब ऐसा लग रहा था कि घर में चारों ओर सन्नाटा पसरा हुआ है.ना कोई हलचल ना कोई आवाज़ें, एलिना के साथ-साथ मानो सारा घर बीमार हो गया हो.
जैसे-जैसे एलीना का घाव भरा वैसे ही एलीना फिर से उछल-कूद करने लगी और घर में फिर से रौनक़ आ गई.
एलीना का परिवार कोलकाता में रहते थे. वहां पर दुर्गा पूजा बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. इनके बगल में हीं शर्माजी का घर था. शर्माजी की एक बेटी रिद्धि और बेटा रित्विक थे, जो अमूमन एलीना और एडवर्ड के उम्र के थे. दोनों परिवार एक-दूसरे के पर्व-त्योहारों में शामिल होते थे. पर दोनों परिवार अपने-अपने धर्म और रीति-रिवाज़ों के प्रति पूर्णतः वफ़ादार थे, पर हिन्दू कॉलोनी और हिन्दू परिवारों के साथ रहने के कारण एलीना को उनके सारे पर्व-त्योहार को काफ़ी नज़दीक से जानती थी. एलीना को दुर्गा पूजा एवं हिन्दुओं के सारे पर्व बहुत अच्छे लगते थे. एलीना को बिंदी लगाना, चूड़ियां पहनना, एवं हिन्दू रीति-रिवाज़ों से सजना-संवरना बहुत अच्छा लगता था, जो दोनों भाइयों की आंंखो में बहुत खटकता था.
शर्माजी की बेटी रिद्धि की शादी की मेहंदी का बुलावा आया.
"एलीना, आज तुम ही चली जाओ मुझे आज चर्च जाना है. आते वक़्त मैं शर्माजी की बेटी के लिए गिफ्ट पैक करवाकर लेते आऊंगी. मैं अगले दिन या शादी के दिन शर्माजी के यहां चली जाऊंगी." मां ने एलीना से कहा.
एलीना जैसे ही रिद्धि की मेहंदी में पहुंंची वहां सब लोग एलीना को देखकर जहां ख़ुश हुए, वहीं युग तो बस एलीना को देखता ही रह गया. यहां शादी की मेहंदी और संगीत दोनों ही रस्में हो रही थीं. एलीना भी उनमें शामिल हुई. एलीना बहुत सुंदर वेस्टर्न डांस करती थी. सब एलीना से डांस करने की फ़रमाइश करने लगे. एलीना तो चंचल थी ही, तुरन्त डांस करने को राज़ी हो गई. डांस करते-करते एलीना ने नोटिस किया कि एक लड़का मुझे लगातार देखे जा रहा है, जैसे ही एलीना का डांस समाप्त हुआ, वही लड़का एलीना के पास पानी लेकर आया और बड़े प्यार से बोला, "लीजिए पानी पी लीजिए, आप डांस करके थक गई होंगी. वैसे आप बहुत सुंदर डांस कर रहीं थीं." हाथ आगे बढ़ाते हुए बोला, "हेलो, मैं रिद्धि के मामा का लड़का युग हूं. मैं दिल्ली में रहता हूं. वही सॉफ्टवेयर इंजीनियर हूं."
एलीना बिना कुछ बोले सिर हिलाकर दूसरी तरफ़ जाकर बैठ गई. दूसरे दिन जब एलीना रिद्धि के हल्दी में आई, तब फिर वही लड़का एलीना के पास आकर बोलता है.


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"आप बेहद ख़ूबसूरत हैं. इस ख़ूबसूरत से चेहरे पर एक लाल सी बिंदी लग जाएगी, तो यह चांद सा चेहरा और भी चमक उठेगा." और वो एक सुंदर सी बिंदी का पैकेट उसके आगे बढ़ा देता है. अब उसका देखना एलीना को भी बुरा नहीं लगता था. कहीं ना कहीं उसकी नज़रें भी युग को देखा करतीं थी.
रिद्धि की शादी हो गई. सब अपने-अपने घर चले गए.
रिद्धि को युग ने जो बिंदी दी थी, वह अक्सर उसे निकालकर अपने ललाट पर लगाते हुए रूम में शीशे के सामने खड़े होकर अपने चेहरे को निहारा करती थी. एक दिन एडवर्ड ने उसे बिंदी लगाते हुए देख लिया और बहुत ग़ुस्सा किया. बोला, "आज के बाद बिंदी नहीं लगाना… हम लोग के यहांं बिंदी नहीं लगाई जाती है. तुम ये बिंदी कहां से लेकर आ गई हो."
एलीना बिना कुछ बोले बिंदी का पत्ता वापस ड्रेसिंग टेबल में बड़े प्यार से उस प्यार भरे तोहफ़े को संभाल कर रख देती है और एडवर्ड से छुप-छुप कर उस बिंदी को बार-बार निकाल कर देखती है और युग के ख़्यालों में खो जाती है. उधर युग दिल्ली जाकर एलीना को भूल नहीं पाया और वापस कोलकाता आने के बहाने ढूंढ़ता रहता.
एक दिन सुबह-सुबह घंटी बजती है और शर्माजी फोन करते हैं. "प्रणाम दीदी, आप लोग कैसे हैं?"
"हम लोग ठीक हैं. रिद्धि इस बार होली में कोलकाता ही आ रही है. क्यों ना दीदी आप लोग भी सभी मिलकर कोलकाता में ही आकर होली मनाएं. बेटियों का क्या भरोसा है जब ससुराल चली जाएगी, तो पता नहीं अगली होली में आए या ना आए." शर्माजी की बातें सुनकर दीदी अपने आपको रोक नहीं पाई और सभी को साथ में लेकर कोलकाता आ गईं.
युग की तो जैसे मन मांंगी मुराद पूरी हो गई. घर आते ही उसकी नज़रें एलीना को ढूंढ़ने लगीं. घर के बाहर मैदान में होली खेलने के लिए जब सब लोग इकट्ठे हुए तब रिद्धि एलीना को भी घर से पकड़कर बाहर ले आई. जैसे ही युग की नज़रें एलीना पर पड़ी दोनों हाथ में रंग लेकर एलीना के चेहरे पर लगा दिए और बिना सहमति मांगे एलीना को अपनी बांहों में भर लिया. एलीना भी मानो उस ख़ूबसूरत पल का इंतज़ार कर रही थी. उसने भी अपने आपको युग की बांहों में ऐसे छोड़ दिया जैसे अपनी सारी ज़िम्मेदारियांं युग के ऊपर डाल दी हो.
रंग लगने के बाद एलीना का गोरा-गोरा चेहरा गुलाबी होकर और भी ख़ूबसूरत दिखने लगा था. एलीना ने भी हाथों में गुलाल लेकर युग के चेहरे पर लगा दिए और सब लोगों के साथ मिलकर एलीना भी जम कर होली खेली. उसी दौरान युग एलीना की कलाई थाम कर उससे डांस करने की ज़िद करने लगा.
"प्लीज़ एलीना मेरे लिए एक बार डांस कर दो ना." एलीना भी युग की बात टाल न सकी और तेज़ आवाज़ में बज रहे गाने के साथ एक धमाकेदार नृत्य प्रस्तुत की. एलीना का मनोबल बढ़ाने के लिए वहां पर मौजूद सभी लोग डांस करने लगे.
कुछ दिनों बाद युग वापस दिल्ली चला गया, पर एक-दूसरे के बिना दोनों अधूरे महसूस करने लगे. दोनों को जब भी वक़्त मिलता आपस में फोन से बातचीत करते. पर बातें करने के बाद और भी दुखी हो जाते थे कि अलग-अलग धर्म के कारण वे एक-दूसरे से मिल नहीं पाएंगे.
एक दिन हिम्मत करके युग ने अपनी मां से एलीना के बारे में बताया और कहा, "हम दोनों एक-दूसरे से बहुत प्यार करते हैं और एलीना से शादी करना चाहता हूं." युग की बातें सुनकर पहले जाह्नवी ने युग को बहुत समझाने की कोशिश की.
"बेटा, ये रिश्ता हमारे समाज में स्वीकारा नहीं किया जाएगा, पर तुम उसके बारे में सोचना छोड़ दो."
पर युग अपनी बातों पर अड़ा रहा कि उसे एलीना से ही शादी करनी है. युग के ज़िद के आगे मां ने घुटने टेक दिए और सभी मिलकर एक दिन बड़े जोश के साथ मिठाई एवं फल लेकर एलीना के घर उसका हाथ मांंगने आ गए. जैसे ही युग की मां जाह्नवी युग और एलीना के रिश्ते की बात बताई एलीना के परिवार पूरी तरह से भड़क गए. एलीना के पापा ग़ुस्से में जाह्नवी से बोले, "हमें यह रिश्ता मंज़ूर नहीं और ना कभी होगा."
युग की मां जाह्नवी को उनकी हरकतें बहुत बुरी लगी. उसी वक़्त उन्होंने ठान लिया कि बेटे की शादी तो एलीना से ही करवाएंगी. जाह्नवी बिना कुछ कहे चुपचाप चली गईं. युग की मां वापस अपने भाई के पास आईं और एक दिन वहां रुककर वापस दिल्ली चली गईं.
इधर युग का मन बहुत दुखी हो गया. कुछ दिनों बाद मां बहुत सारी सुंदर-सुंदर साड़ियां, लहंगे, मंगलसूत्र, चूड़ियां, बिंदी बहुत सारे साजो-समान ख़रीदकर लाती हैं. युग के पापा आश्चर्य से पूछने लगे, "यह सब किसकी शादी की ख़रीदारी कर रही हो?"
जाह्नवी बोलीं, "यह मेरे बेटे की शादी की ख़रीदारी है."
"पर अभी तो शादी तय नहीं हुई है?"
"हो गई."
"किससे?" युग और शर्माजी दोनों आश्चर्य में पड़ गए.
"कब? किसके साथ?" दोनों हैरानी से सवाल पर सवाल किए जा रहे थे.
युग की मां बिल्कुल शांत अपने ही धुन में मग्न हो कर ख़रीदी हुई चीज़ों को बड़े प्यार से निहार रही थीं और सब को करीने से सजा रही थीं.
इधर एलीना भी अपने घर में शादी के लिए अपने परिवार से ज़िद पर अड़ी हुई थी, "मैं जब भी शादी करूंगी, तो युग से ही करूंगी… अगर युग से मेरी शादी नहीं हुई, तब मैं किसी से भी शादी नहीं करूंगी और नन बन जाऊंगी."
हृदय से बेहद कोमल, किसी के भी बात की अवहेलना नहीं करनेवाली एलीना को ना जाने कहांं से इतनी ऊर्जा आ गई… शायद ये प्रेम की ताक़त हो. एडवर्ड काफ़ी ग़ुस्से में बोला, "भले ही तुम नन बन जाओ, लेकिन तुम्हारी शादी उस लड़के से नहीं होगी."
उधर से एलीना के पापा ऑफिस से घर आए, तब एलीना को उन्होंने बहुत समझाया, "बेटा, हम तुम्हारी शादी हमारे क्रिश्चियन समाज के परिवार में करवा देंगे. वो हिंदू लड़का है. उससे शादी करने की ज़िद क्यों कर रही हो?"
मां ने भी उनकी बातों से सहमति जताई और बहुत समझाने-बुझाने की कोशिश की, पर एलीना ने तो जैसे युग से शादी करने की ठान ली हो.
एलीना लॉन में बैठी हुई थी. एक अनजान नंबर से फोन आता है. "नमस्कार! मैं बोल रही हूं. हेलो एलीना, मैं युग की मां जाह्नवी बोल रही हूं."
"जी नमस्ते आंटीजी."
"सदा सुखी रहो बेटी. कैसी हो?"
"जी ठीक हूं."
"घर में सब ठीक हैं."
"जी."
"क्या तुम युग से सच में प्यार करती हो?"
"जी आंटीजी."
"तुम क्रिश्चियन लड़की हो और हम लोग हिंदू धर्म के हैं. क्या तुम हमारे साथ घुलमिल पाओगी? अच्छे से रह पाओगी?"
"जी."
"तो मेरी बात सुनो. आज से ठीक दस दिन बाद पूर्णिमा की तिथि है. अगर तुम सच में युग से शादी करना चाहती हो, तो ठीक नौ बजे स्टेशन पर आ जाना. मैं तुम्हें वहां लेने आऊंगी."
"किसका फोन था एलीना?" मां ने पूछा.
"युग की मां का फोन था."
"क्या बोल रही थीं?" मांँ का नर्म चेहरा देखकर एलीना युग की मां जाह्नवी से हुई सारी बातें बता दी और बोलने लगी, "प्लीज़ मां, मुझे युग से ही शादी करनी है. युग अच्छा लड़का है. नौकरी भी कर रहा है. उसकी सैलरी भी अच्छी है. मां मैं उसके साथ बहुत ख़ुश रहूंगी. प्लीज मां आप पापा और भैया को मना लो!"
"बेटा, तुम तो डेनियल और भाई को जानती ही हो, वो शादी करने के लिए कभी भी राज़ी नहीं होंगे."
ऐनी उस दिन पूरी रात सो नहीं पाईं. यही सोचती रही की युग अच्छा लड़का है. मेरी बेटी उसके साथ ख़ुश रह लेगी, पर डेनियल को कैसे मनाऊं? इसी ऊहापोह में थी कि सूर्य की रोशनी चेहरे पर पड़ी, सहसा उनका ध्यान टूटा.
सुबह का नाश्ता बनाते-बनाते ऐनी ने तय कर लिया कि मैं मेरी बेटी की शादी युग से करवाऊंगी. मन ही मन उन्होंने निश्चय कर लिया. चुपके से बाज़ार जा कर एनी शादी का जोड़ा लेकर आती है और पूर्णिमा के दिन अपनी बेटी को देकर विदा कर दी और बोली, "जाओ तुम शादी कर लेना. मैं डेनियल को और तुम्हारे भाइयों को मना लूंगी. तुम शादी से पहले फोन नहीं करना. शादी करने के बाद ही फोन करना."
"मगर मां, पापा मेरे बारे में पूछेंगे तो?"
"मैं बोल दूंगी सहेली के पास गई है."
उधर युग की मां घर में बोली कि मैं दो दिनों के लिए बाहर जा रही हूं. ऐसा बोलकर वे दिल्ली से कोलकाता आ गईं. स्टेशन पर बैठी हुई थीं. इधर एलीना अपने मन में बहुत सारे उधेड़बुन लिए शादी के जोड़े का सूटकेस लिए स्टेशन पहुंच गई. जैसे ही युग की मां ने एलीना को देखा, युग की मां ने हाथ हिलाकर इशारा किया. एलीना ने दो कदम आगे बढ़कर झुक कर उनके चरण स्पर्श किए. तब जाह्नवी ने एलीना को गले लगा लिया. इधर जाह्नवी ने दिल्ली वापसी की दो टिकटें करवाई थी, क्योंकि जाह्नवी को पता था कि एलीना ज़रूर आएगी. जिस दिन युग के साथ एलीना डांस कर रही थी, उसी दिन जाह्नवी के मन में एलीना को अपनी बहू के रूप में देखने की अभिलाषा जगी थी, पर उस बात का ज़िक्र किसी से भी नहीं की, बस मन ही मन मुस्कुरा कर रह गई थीं.
एक घंटे बाद उनकी ट्रेन थी और दोनों ट्रेन से दिल्ली पहुंच गए. चर्च पहुंचने के बाद एलीना ने मां से हुई बातचीत के बारे में जाह्नवी को बताया. यह जानकर जाह्नवी बहुत ख़ुश हुई कि एलीना की मां भी इस रिश्ते के लिए मान गईं.
जाह्नवी चर्च में दोनों की शादी की पूरी तैयारी करने के बाद ही एलीना को लेने कोलकाता गई थी. चर्च पहुंचकर जाह्नवी युग के पापा को फोन करती हैं कि युग को तैयार करके साथ में लेकर चले आइए. जाह्नवी ने अपने पति को सारी बातें पहले से ही बता रखी थी.
"यह लो बेटा, तुम्हारी शादी का जोड़ा. इसको पहनकर तैयार हो जाओ."

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"पर क्यों पापा किसकी शादी है?" उस समय उसके पिता ने युग को सारी बातें बताई, तब युग बेहद ख़ुश हुआ और ख़ुशी-ख़ुशी कोट-टाई पहनकर कर तैयार हो गया. दिल तो एलीना से मिलने की ख़ुशी में ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था. चेहरे पर मानो एक अजीब-सी चमक आ गई थी. दोनों चर्च में पहुंचे और पादरी ने दोनों की शादी करवाई. फिर शंकर-पार्वती के मंदिर में जाकर दोनों ने एक-दूसरे को जयमाला पहनाया और सिंदूरदान का रस्म करा कर हिंदू रीति-रिवाज़ से भी शादी करवाई गई.
यहां ऐनी का दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था. पता नहीं दिल्ली में क्या हुआ होगा? इस सोच में बैठी हुई थी कि तब फोन की घंटी बजती है.
"मैं जाह्नवी बोल रही हूं. बधाई हो! बच्चों की शादी हो गई. अब आगे का काम आपका है एलीना के पापा और भाई को मनाने का! नमस्ते अभी मैं रखती हूं." कहकर जाह्नवी ने फोन एलीना को दिया. फिर युग और एलीना दोनों ने मां का आशीर्वाद लिया.
शाम को जैसे ही डेनियल घर आते हैं, ऐनी अपने पति को दोनों के रिश्ते के बारे में बताती है. डेनियल उसकी बातें सुनकर भड़क जाता है. तब समझाते हुए ऐनी बोलती है, "देखो युग अच्छा लड़का है. दोनों एक-दूसरे को पसंद भी करते हैं, जिसके साथ हमारी बच्ची ख़ुश रहेगी, वही लड़का उसके लिए सही है. तुम लोग नाहक ही अड़े हुए हो." पहले तो डेनियल और दोनों भाई बहुत ग़ुस्सा हुए फिर समझाने-बुझाने के बाद मान गए.
शादी के ठीक दो दिनों बाद बहुत बड़ी पार्टी दी गई, जिसमें एनी और युग दोनों रिसेप्शन की कुर्सी पर बैठे हुए थे. अचानक से मम्मी, पापा, एडवर्ड, एरिक को सामने देखकर एलीना बहुत डर गई, तब जाकर डेनियल ने एलीना को बहुत प्यार से, "गॉड ब्लेस यू बेटा…" कहकर आशीर्वाद दिया. एडवर्ड और एरिक ने भी एलीना को बधाई दी. एलीना मां से जाकर लिपट गई, "थैंक यू सो मच मां."
आस-पड़ोस के लोग और सभी रिश्तेदार एवं पड़ोसी, जो उस संध्या भोज में आए हुए थे इस दृश्य को देखकर तालियां बजाने लगे. एलीना और युग बहुत ख़ुश थे.
एलीना को युग का परिवार अपने परिवार जैसा प्यार देने लगे. जैसा कि जाह्नवी ने मन में ठाना था कि मैं दोनों को बहुत प्यार दूंगी, ठीक उसी तरह जाह्नवी एलीना को बहुत प्यार देने लगी. एलीना को मां का प्यार मिला और जाह्नवी को तो जैसे एक प्यारी-सी बेटी मिल गई. इस अनोखे रिश्ते को आस-पड़ोस वाले भी सम्मान एवं प्यारभरी नज़रों से देखने लगे.

अर्चना भारती नागेंद्र

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Photo Courtesy: Freepik

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