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कहानी- शब्दकोश (Short Story- Shabdkosh)

पढ़ाई में अच्छे नंबर आने की वजह से विद्यालय में सभी अध्यापक उसे कुशाग्र बुद्धि का लड़का समझते थे, पर अपने बारे में जानकर वो मानसिक अवसाद में जीने लगा था. समाज स्त्री या पुरुष की श्रेणी में स्वीकार्य करने की परंपरा उसे अकेलापन होने का एहसास कराती है, उसके माता-पिता भी अब यह समझने लगे थे. इसलिए वे कहीं ना कहीं व्यस्त करने के लिए उसे नई-नई चीज़ें सीखने के लिए प्रेरित करते रहते थे.

विहान पढ़ने में तेज विद्यार्थी था. उसे नई-नई चीज़ों के बारे में जानना पसंद था. उसके माता-पिता उसका खूब साथ और सहयोग देते. आठवीं तक पहुंचते, उसके माता-पिता के सिवा और किसी को यह पता नहीं था कि वह ना लड़का है, ना लड़की. भगवान ने जिस रूप में उसे जन्म दिया उसका आकलन करने और समझने में विहान अब थोड़ा-बहुत समझने लगा था कि उसके अंदर कुछ दूसरों से विशेष है.

पढ़ाई में अच्छे नंबर आने की वजह से विद्यालय में सभी अध्यापक उसे कुशाग्र बुद्धि का लड़का समझते थे, पर अपने बारे में जानकर वो मानसिक अवसाद में जीने लगा था. समाज स्त्री या पुरुष की श्रेणी में स्वीकार्य करने की परंपरा उसे अकेलापन होने का एहसास कराती है, उसके माता-पिता भी अब यह समझने लगे थे. इसलिए वह उसे कहीं ना कहीं व्यस्त करने के लिए उसे नई-नई चीज़ें सीखने के लिए प्रेरित करते रहते थे.
स्कूल की वाद-विवाद प्रतियोगिता में विहान इस बार पहली बार हिस्सा ले रहा था और विषय देश की प्रगति में महिलाओं का योगदान, उसके पक्ष पर उसको अपने विचार व्यक्त करने थे. अपनी माता की मदद से अपना भाषण तैयार कर अच्छी तरह से याद कर लिया था. पर मंच पर प्रस्तुति देते समय उसका अंतर्मन कहीं ना कहीं अपने आपको उन शब्दों से जुड़ने में असमर्थ पा रहा था. वह कई बार अटका और जैसा उससे अपेक्षा थी वैसा भाषण नहीं दे पाया. स्थान प्राप्त ना करने की असफलता से वह और रूआंसा हो गया.

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घर पर उसके पिता ने उसे समझाया कि ईश्वर ने हमें जिस स्थिति में जीने के लिए इस धरती पर भेजा है, हमें उसका सम्मान करते हुए ज़्यादा से ज़्यादा दूसरों के लिए उपयोगी बनने और ख़ुश रह कर जीने का प्रयास करना चाहिए. वे उसके लिए एक शब्दकोश तोहफ़े में लाए थे और उसको देते हुए कहा, "तुमने आज अच्छा कार्य किया है. पहली बार मंच पर खड़े होकर तुमने भाषण देने की कोशिश की है इसके फलस्वरूप तुम्हें डिक्शनरी भेंट करता हूं. इसके अध्ययन से तुम किसी से भी वार्ता करते समय या कुछ लिखते समय अपने आप को सक्षम पाओगे. धरती का हर जीव अपने तरीक़े से अपने साथ के जीवों को अपनी बात प्रेषित करने हेतू एक भाषा का इस्तेमाल करता है. जिसकी भाषा जितनी समृद्ध होती है, वह उतनी ही मज़बूती से अपनी बात कह पाने में सक्षम होता है. दुनिया में सैकड़ों भाषाएं मानव जाति अपने विचार आदान-प्रदान करने के लिए करती है. पर उसको मज़बूती प्रदान करने के लिए शब्दों का सही इस्तेमाल सीखना बेहद ज़रूरी है और शब्दों को जानने के लिए डिक्शनरी एक बेहद आवश्यक चीज़ है."

विहान को अपने पिता की बात से काफ़ी सूकून मिला. उसने शब्दों को मज़बूत करना अंग्रेज़ी और हिंदी दोनों भाषाओं को वह जितना हो सके पढ़ता और कठिन शब्दों को डिक्शनरी में ढूंढ़कर उन्हें बार-बार याद करने का प्रयास करता. एक वर्ष के भीतर विहान अब अच्छा लिखने और बोलने लग गया था. हिंदी के साथ अंग्रेज़ी वाद-विवाद प्रतियोगिता के अगले प्रतियोगिता में उसे प्रथम स्थान प्राप्त हुआ.

बारहवी की पढ़ाई पूरी होते-होते जब ज़्यादातर लोग इस बात को समझ गए विहान स्त्री है ना पुरुष, तब उसके दोस्तों की संख्या एकदम कम रह गई. उसने किताबों को अपना दोस्त बना लिया था और पढ़ते रहना उसे बहुत भाता था. अपने मन की बात को कविता और कहानियों के माध्यम से वह लिखकर पत्र-पत्रिकाओं में छपने के लिए भेजता और जब वो छपती, तो उसे असीम आनंद की प्राप्ति होती.

अब उसने रूसी भाषा भी सीखना शुरू कर दिया था और कॉलेज की पढ़ाई पूरी करते-करते अच्छी रूसी बोलने और लिखने लग गया था. उसके पिता ने उसे द्विभाषीय की नौकरी करने के लिए प्रेरित किया, तो उसे भी यह काम अपने मनमाफिक लगा. एक वर्ष की मेहनत और प्रयास से उसे दिल्ली के एक संस्था ने रूसी भाषा में काम करने की अनुमति दे दी और छह महीने में ही उसका कार्य देखकर उसको पदोन्नत कर रूस भेजने की तैयारी कर ली. रूस में रहते हुए उसने अपने भाषा ज्ञान को और बढ़ाने मे कोई कसर नहीं छोड़ी. साथ ही वह अपने जैसे लोगों के अधिकार और सम्मान के लिए पूरी लगन के साथ कार्य भी कर रहा था.

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उसकी मेहनत का नतीजा यह हुआ की भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय द्वारा उसे कार्य करने का अवसर प्रदान हुआ. उसकी ख़ुशी का ठिकाना ना रहा. अब विहान भारत सरकार में रक्षा मंत्री के साथ द्विभाषीय का कार्य करता है और साथ-साथ चीनी भाषा भी सीखना शुरू कर दिया है. उसने अपने जीवन का लक्ष्य कम से कम दस विदेशी भाषा सीखने का बना रखा है. साथ ही किन्नर समाज के लिए एक ऐसी मज़बूत कार्यकारी संस्थान बनाने की कोशिश है, जो उनको समाज में आत्मसम्मान से जीने का अवसर प्रदान करें. इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए वह यह जान चुका है कि भाषा और भावनाओं को संप्रेषण के लिए शब्द बेहद अहम हिस्सा है और इस शब्द को मज़बूत करने के लिए शब्दकोश अपने पास होना और उसको पढ़ना हर किसी को पूरी लगन से सीखना ही चाहिए. वह अपने पास तरह-तरह के शब्दकोश हमेशा तैयार रखता. अब वो किसी भी ज़रूरतमंद को उपहार में एक शब्दकोश देना और उसे पढ़ने के लिए प्रेरित करना अपने कार्य का एक ज़रूरी हिस्सा मानता है.

- संदीप पांडे

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