विवाह के बाद सोमदेव ने अपनी पत्नी को ‘सोना पानेवाली अपनी सनक’ के बारे में बता दिया. पत्नी सरला ने कहा, “यदि आप पांच वर्ष तक पूर्णतः मेरे कहे अनुसार चलेंगे, तो मैं आपके मन की मुराद पूरी कर दूंगी. परन्तु इसके लिए आपको इन पांच वर्ष मेरे पिता के गांव चल कर रहना होगा. यदि मैं आपकी आकांक्षा पूरी न कर पाई, तो आप मुझे बेहिचक त्याग सकते हैं.”
बात बहुत पुरानी है. सोमदेव नाम का एक युवक बहुत सुस्त व कामचोर था, परन्तु उसे धनी बनने की अदम्य लालसा भी थी, ताकि वह आराम से ज़िन्दगी बसर कर सके. परन्तु काम करने की बजाय वह बैठा-बैठा सपने देखा करता कि उसे कहीं से ढेर सारा सोना मिल गया है. कुछ लोग सोमदेव के इस फ़ितूर का लाभ उठा उससे कहते कि हमारे पास धातु को सोना बनाने का मंत्र है, पर हम तुम्हें वह मंत्र तभी देंगे यदि तुम हमारे शिष्य बन जाओगे.
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वह सोमदेव को कुछ वर्ष अपने पास रखते, उससे ख़ूब काम करवाते और फिर उसे सोना बनाने का गुर सिखाए बिना ही घर से भगा देते, क्योंकि उनके पास धातु से सोना बनाने का गुर तो था ही नहीं.
ऐसा दो-तीन बार हुआ.
माता-पिता परेशान रहते. उसका विवाह कैसे होगा जब वह कुछ कमाता ही नहीं. एक महानुभाव ने सोमदेव पिता के आगे एक प्रस्ताव रखा, "मेरी बेटी एक आंख से कानी है, पर है चतुर और सतानी. तुम अपने बेटे का विवाह उससे कर दो. बाक़ी वह सब संभाल लेगी."
विवाह के बाद सोमदेव ने अपनी पत्नी को ‘सोना पानेवाली अपनी सनक’ के बारे में बता दिया. पत्नी सरला ने कहा, “यदि आप पांच वर्ष तक पूर्णतः मेरे कहे अनुसार चलेंगे, तो मैं आपके मन की मुराद पूरी कर दूंगी. परन्तु इसके लिए आपको इन पांच वर्ष मेरे पिता के गांव चल कर रहना होगा. यदि मैं आपकी आकांक्षा पूरी न कर पाई, तो आप मुझे बेहिचक त्याग सकते हैं.”
सोमदेव ने सहर्ष यह शर्त मान ली.
सरला के माता-पिता के खेत का एक टुकड़ा ऐसे स्थान पर था, जहां भरपूर पानी मिलता था और पानी के निकास की व्यवस्था भी थी. केले के पेड़ को पानी भी ख़ूब चाहिए और पानी की निकासी भी अच्छी होनी चाहिए. अतः सरला ने उस जगह केले के पेड़ लगाना तय किया.
वह भोर में ही पति को जगा कर अपने संग ले जाती. सूरज उगने से पहले यह दोनों १० -१० गड्ढे खोद कर केले के पौधे रोप देते. इस तरह महीनेभर में केले के पेड़ों का बड़ा सा खेत तैयार हो गया.
पानी अच्छा मिलने से पेड़ जल्दी बड़े हो रहे थे. केले का सिर्फ़ फल नहीं, पत्तों की भी बाज़ार में मांग रहती है. अत: सरला ने पत्तों के बड़ा होते ही उन्हें हाट ले जाकर बेचना शुरू कर दिया. उसके बाद पहले कच्चे और फिर पके केले बेचे.
सरला बहुत समझदारी से अपना ख़र्च निकाल कर, बचे हुए धन से सोना ख़रीद लेती और पांच वर्ष में तो काफ़ी सोना जमा कर दिखाया. उसने जब यह सोना पति को दिखाया, तो वह बोला, “परन्तु अभी हमने वह मंत्र तो सीखा ही नहीं, जिससे धातु से सोना बनाया जा सकता है.”
सरला ने पूरी बात बता कर कहा, “धन मेहनत से कमाया जा सकता है, किसी मन्त्र से नहीं. मेहनत ही वह मन्त्र है, जिससे धन जोड़ा जाए."
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फिर भी यदि मैं आपकी अपेक्षा पर पूरी नहीं उतरती तो आप मुझे त्याग सकते हैं.”
इस पर सोमदेव ने कहा, “अभी तक मैं सपना ही देखा करता था, अब जाना कि सोना जादू-टोने से नहीं, कड़ी मेहनत से पैदा किया जाता है. धन कमाने का असली मन्त्र यही है.
- उषा वधवा
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