Close

कहानी- सॉरी मां (Short Story- Sorry Maa)

"मेरी बात ध्यान से सुन! तेरे ऊपर इस समय ऑफिस और घर के कामों का बहुत भार है, इसलिए तो इस समय ज़्यादा परेशान है तू! सारा दोष किशु के सिर मत मढ़, धीरे-धीरे उसे समझ और हो सके तो अपने काम से थोड़ा और वक़्त उसके लिए निकाल. तेरी बचपन से आदत है, तू थोड़ी सी बात पर चिड़चिड़ी हो जाती है. तू अगर अपना स्वभाव नहीं बदलेगी, तो किशु को कैसे बदलेगी."

किशु कुछ दिनों से बेहद चिड़चिड़ा सा हो रहा था. उसे अपनी मां की लगभग हर बात बुरी लग रही थी. मां का बात-बात पर रोकना-टोकना उसे चुभता. उसे कभी-कभी अपनी ही मां दुश्मन की तरह लगा करती. किशु की मां प्रिया किशु के इस तरह के बर्ताव से परेशान रहती. उसकी समझ में ही नहीं आ रहा था कि आख़िरकार वह किशु को कैसे समझाए कि वह यह सब उसी के भले के लिए किया करती है. पूरे दिन निरुद्देश्य खेलते रहना, वक़्त पर न नहाना, स्कूल के लिए रोज़ लेट होना, पढ़ाई में मन न लगाना यह सब ठीक है क्या?
किशु से परेशान प्रिया सिर पर हाथ रखे बैठी किशु के बारे में सोच ही रही थी कि उसका फोन घनघनाया, "हेलो! हां मां कहिए." प्रिया ने अनमने मन से फोन उठाते हुए कहा.


यह भी पढ़ें: बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए पैरेंट्स अपनाएं ये टिप्स (Tips For Boosting Confidence In Children)

"क्या हुआ? कुछ परेशान सी लग रही हो?" उसकी मां ने पूछा.
"हा मां! आजकल किशु बहुत तंग करता है. न तो ठीक से पढ़ता है, न ही अच्छा बर्ताव करता है." प्रिया ने किशु के लंबी शिकायती लिस्ट मां को थमा दी, तो वहां से मां ज़ोर से हंस पड़ी.
"मैं! यहां आपसे अपनी परेशानी साझा कर रही हूं और आप हंस रही हैं." प्रिया ने तल्ख़ आवाज़ में कहा, तो प्रिया की मां बोली, "बेटा! वो अभी छोटा है. अभी वह कहां समझ पाएगा कि क्या सही है और क्या ग़लत है."
"दस साल का बच्चा कोई छोटा नहीं होता मां." प्रिया की आवाज़ और तल्ख़ हो गई.
"मेरी बात ध्यान से सुन! तेरे ऊपर इस समय ऑफिस और घर के कामों का बहुत भार है, इसलिए तो इस समय ज़्यादा परेशान है तू! सारा दोष किशु के सिर मत मढ़, धीरे-धीरे उसे समझ और हो सके तो अपने काम से थोड़ा और वक़्त उसके लिए निकाल. तेरी बचपन से आदत है, तू थोड़ी सी बात पर चिड़चिड़ी हो जाती है. तू अगर अपना स्वभाव नहीं बदलेगी, तो किशु को कैसे बदलेगी."
"मां! आप कहना क्या चाहती हैं... यही कि मैं अपने कामों को बैलेंस नहीं कर पाती. छोटी-छोटी बातों से परेशान हो जाती हूं, आपको तो हमेशा मुझमें ही दोष दिखता है. नहीं करनी आपसे कोई भी बात शेयर बाय!" यह कहते हुए प्रिया ने मां का फोन काट दिया.
इत्तेफ़ाक से प्रिया के पास खड़ा किशु यह सब सुन रहा था. तभी वह प्रिया से कहने लगा, "यही... बिल्कुल यही बात मुझे आपसे कहनी है आप क्या सोचती हैं कि मुझे खेलकूद और पढ़ाई में बैलेंस करना नहीं आता? आपको भी हमेशा मुझमें ही दोष नज़र आता है. अब मैं भी आपसे अपनी कोई भी बात शेयर नहीं करूंगा."

यह भी पढ़े: टीनएज बेटी ही नहीं, बेटे पर भी रखें नज़र, शेयर करें ये ज़रूरी बातें (Raise Your Son As You Raise Your Daughter- Share These Important Points)


किशु ने वही किया, जो प्रिया ने कुछ पल पहले अपनी मां के साथ किया था. प्रिया किशु की बात सुनकर पल भर को ठहर गई. बच्चों की इस तरह कि बातें मां के मन में कितनी गहरी चोट करती हैं.
तभी प्रिया कुछ सोचती हुई उठी और उसने किशु को गले लगा कर कहा, "सॉरी बेटा! अब मैं आपको आपके हिस्से का पूरा वक़्त दूंगी और बात-बात पर चिड़चिड़ भी नहीं करूंगी."
यहां मां-बेटे में सुलह हो गई, तो प्रिया को अपनी मां की याद आई और उसने उन्हें तुरंत कॉल करके कहा, "सॉरी मां."
और यहां किशु भी प्रिया के गले झूलकर बोल उठा, "सॉरी मां."

writer poorti vaibhav khare
पूर्ति वैभव खरे




अधिक कहानियां/शॉर्ट स्टोरीज़ के लिए यहां क्लिक करें – SHORT STORIES


अभी सबस्क्राइब करें मेरी सहेली का एक साल का डिजिटल एडिशन सिर्फ़ ₹599 और पाएं ₹1000 का कलरएसेंस कॉस्मेटिक्स का गिफ्ट वाउचर.

Share this article