"ठीक है मां, मैं अभी हेडक्वार्टर में बात करता हूं. तुम चिंता मत करो." परम ने आश्वस्त किया. किन्तु भीतर से वह टूट सा गया. मां की आवाज़ से लग रहा था बात कुछ ज़्यादा ही गंभीर है. होनेवाले बच्चे के लिए मन व्याकुल हो गया. कितने सपने, कितने धागे बंधे हैं मोह के उस नन्ही जान से. वह बेचैन हो गया.
"बेटा कैसे भी करके छुट्टी ले और परसों तक यहां पहुंच जा. कुछ जटिलताएं हो गई है. डॉक्टर ने कहा है परसों ही ऑपरेशन करके बच्चे का जन्म करवाना ज़रूरी है." फोन पर मां बहुत चिंतित लग रही थीं.
"लेकिन अचानक ही क्या हो गया मां, अभी तो पन्द्रह दिन हैं बच्चे के जन्म में." मेजर परम का दिल बैठ गया.
"अभी डॉक्टर से चेकअप करवाने बहू को ले गई थी. बच्चे की धड़कन बहुत धीमी है, एमनियोटिक फ्लूइड भी कम हो गया. अब ऑपरेशन करवाना ही ठीक रहेगा दोनों की जान बचाने के लिए. तू जल्दी आ जा, तेरे रहते बहू को भी तसल्ली रहेगी और हमें भी." मां ने मिन्नत भरे स्वर में कहा.
"ठीक है मां, मैं अभी हेडक्वार्टर में बात करता हूं. तुम चिंता मत करो." परम ने आश्वस्त किया. किन्तु भीतर से वह टूट सा गया. मां की आवाज़ से लग रहा था बात कुछ ज़्यादा ही गंभीर है. होनेवाले बच्चे के लिए मन व्याकुल हो गया. कितने सपने, कितने धागे बंधे हैं मोह के उस नन्ही जान से. वह बेचैन हो गया.
तभी हेडक्वार्टर से ऑर्डर आया आधे घंटे के भीतर राजौरी सेक्टर की तरफ़ कूच करने का. भारी संख्या में घुसपैठियों के सीमा पार करके देश में प्रवेश करने की ख़बर के साथ ही और भी घुसपैठियों के आने का अंदेशा सीमा पार से, देश के लिए एक बड़ा ख़तरा.
पैरा कमांडो परम ने तुरंत अपनी टीम को कूच की तैयारी का ऑर्डर दिया.
"लेकिन सर अभी तो आपकी माताजी का फोन आया था. आपको तो इस समय घर जाना चाहिए." सिपाही ने कहा.
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"आनेवाली जान के लिए परिवारवाले हैं और आगे ईश्वर की इच्छा. अभी तो सिर्फ़ देश से किए हर क़ीमत पर उसकी सुरक्षा के वादे को निभाने का समय है." कहते हुए परम कूच की तैयारी करने लगा.
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