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Exclusive! स्मिता बंसल: मेरी बेटियां मेरी बेस्ट फ्रेंड्स हैं (Exclusive! Smita Bansal: My Daughters Are My Best Friends)
दो प्यारी-प्यारी बेटियों की मां स्मिता बंसल के लिए उनकी बेटियां उनकी ज़िंदगी हैं. उनकी बड़ी बेटी स्टाशा तो अब उनकी बेस्ट फ्रेंड बन गई है. डेली सोप में काम करते हुए घर और बच्चों की देखभाल आसान काम नहीं. कैसे मैनेज करती हैं स्मिता अपनी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ? आइए, उन्हीं से जानते हैं.
बालिका वधू फेम सुमित्रा यानी स्मिता बंसल इस बात को नहीं मानतीं कि मदरहुड करियर के आड़े आता है. दो बेटियों की मां स्मिता घर और करियर दोनों की ज़िम्मेदारियां बख़ूबी निभा रही हैं. उनसे जब मुलाक़ात हुई, तो उनकी ज़िंदगी के कई अनछुए पहलू जानने को मिले:
डेली सोप में काम करते हुए घर और करियर दोनों को संभालना कितना चैलेंजिंग होता है?
हां, मुश्किल काम तो है, लेकिन इस मामले में मैं लकी हूं, क्योंकि मैं जॉइंट फैमिली में रहती हूं और मुझे मेरी सासूमां का बहुत सपोर्ट है. वो घर में सब कुछ इतनी अच्छी तरह मैनेज कर लेती हैं कि मुझे कोई दिक्कत नहीं होती. मैं फिलहाल जाना ना दिल से दूर सीरियल में काम कर रही हूं और शूटिंग के दौरान इस बात का ध्यान रखती हूं कि संडे का दिन अपने परिवार के साथ बिता सकूं. वर्किंग वुमन के लिए परिवार का सपोर्ट होना बहुत ज़रूरी होता है, वरना काम के साथ-साथ बच्चों की परवरिश आसान नहीं है.
क्या वर्किंग वुमन के मन में बच्चों को कम समय दे पाने का अपराधबोध रहता है?
मैं ऐसा नहीं मानती, मेरे ख़्याल से बच्चों को क्वांटिटी टाइम की बजाय क्वालिटी टाइम देना ज़्यादा ज़रूरी है. चाहे वर्किंग वुमन हो या होममेकर, बच्चों की परवरिश पर दोनों को बहुत ध्यान देना पड़ता है. आजकल एक्सपोज़र इतना ज़्यादा हो गया है कि बच्चों को अच्छी-बुरी दोनों जानकारियां मिल रही हैं. वर्किंग वुमन को बाहर की दुनिया की जानकारी रहती है इसलिए वो अपने बच्चों को अच्छी तरह गाइड कर पाती है. मैं अपने बच्चों को बहुत टाइम नहीं दे पाती, लेकिन शाम को जब मैं काम से घर लौटती हूं, तो उसके बाद सारा टाइम अपनी बेटियों के साथ रहती हूं. उस समय हमारे बीच कोई नहीं होता, फोन, टीवी, गेम्स कुछ भी नहीं. उस समय मैं उनकी दिनभर की बातें सुनती हूं, उनसे उनकी पढ़ाई, फ्रेंड्स और अन्य एक्टिविटीज़ के बारे में जानती हूं और उन्हें भी ये सब अच्छा लगता है.
क्या आपको दोनों बेटियों के बीच सिबलिंग राइवलरी की समस्या देखने को मिलती है?
मेरी दोनों बेटियों के बीच नौ साल का फर्क है इसलिए उनके बीच सिबलिंग राइवलरी जैसी कोई समस्या देखने को नहीं मिलती, उल्टे मेरी बड़ी बेटी अपनी छोटी बहन का बहुत ध्यान रखती है. दोनों के व्यवहार में भी बहुत फर्क है. मेरी बड़ी बेटी जितनी शांत है, छोटी उतनी ही शरारती है, उसे हर व़क्त अटेंशन चाहिए होता है और इसके लिए वो अलग-अलग तरह की शरारतें करती रहती है.
अपनी बड़ी बेटी के साथ आपका रिश्ता कैसा है?
सच कहूं तो मेरी बड़ी बेटी स्टाशा अब मेरी बेस्ट फ्रेंड हो गई है. मैं जब भी स्टाशा के साथ होती हूं तो मुझे किसी फ्रेंड की ज़रूरत महसूस नहीं होती. हम दोनों साथ मिलकर शॉपिंग, फिल्म, रेस्टॉरेंट वगैरह जाते हैं और मुझे उसका साथ बहुत अच्छा लगता है. वो एक फ्रेंड की तरह मेरे मन की बात पढ़ लेती है. जब कभी मेरा मूड ठीक नहीं रहता, तो वो अपनी छोटी बहन को कमरे से बाहर लेकर चली जाती है. वो समझती है कि मम्मा थकी हुई हैं और उन्हें इस समय आराम करना चाहिए. उसे भी जब मुझसे कुछ कहना होता है, तो मैं उसकी बॉडी लैंग्वैज से समझ जाती हूं कि वो मुझसे कुछ कहना चाहती है. स्टाशा मुझसे अपनी हर बात शेयर करती है.
क्या आपका अपनी मां से भी ऐसा ही रिश्ता है जैसा आपकी बेटी का आपसे है?
हां, मैं भी अपनी मां के बहुत क्लोज़ हूं और मैंने उनसे कभी कोई बात नहीं छुपाई. मां भी मुझसे हर बात शेयर करती हैं. टीनएज में प्युबर्टी पीरियड शुरू होने से पहले ही मां ने मुझे समझा दिया था कि अब तुम्हारे शरीर में ये बदलाव आएंगे और मुझे भी मां के मुंह से ऐसी बातें सुनने में कोई हिचक महसूस नहीं हुई. जब मैं अपने करियर के सिलसिले में मुंबई आई, तो दूर रहते हुए भी मैं अपनी हर बात मां से शेयर करती थी. अंकुश से मेरे अ़फेयर की बात भी मैंने सबसे पहले अपनी मां को ही बताई थी. जिस तरह मैं अपनी मां से हर बात शेयर करती हूं, स्टाशा भी उसी तरह मुझे अपनी हर बात बताती है. शायद हर मां-बेटी की बॉन्डिंग ऐसी ही होती है.
मां बनने के बाद औरत की ज़िंदगी में क्या बदलाव आते हैं?
मां बनकर मुझे जो ख़ुशी मिली, वो किसी और चीज़ से कभी नहीं मिल सकती. मां बनने का एहसास औरत को कंप्लीट बनाता है. उसे लगता है कि उसकी ज़िंदगी के कुछ मायने हैं. मां बनने के बाद औरत डिप्रेस्ड नहीं रहती, हर चीज़ को पॉज़िटिव तरी़के से देखने लगती है. एक औरत अपने बच्चे के लिए जो करती है, वो शायद किसी और के लिए न कर पाए. उसके सारे सपने, सारी ख़ुशियां उसके बच्चों तक ही सिमट जाती हैं. उसे हर वो काम करना अच्छा लगता है, जो उसके बच्चे को ख़ुशी दे, जिसमें उसके बच्चे की भलाई छिपी हो.
स्मिता ने कहा, "वो मेरे फुटवेयर पहन लेती है"
मेरी बेटी स्टाशा जब भी कहीं बाहर जाने के लिए तैयार होती है, तो अपने छोड़कर मेरे फुटवेयर पहन लेती है. मैं चाहे उसे कितने भी फुटवेयर दिला दूं, फिर भी उसकी नज़र मेरे फुटवेयर्स पर ही रहती है. सच कहूं, तो बेटी के साथ अपनी चीज़ें शेयर करना अच्छा लगता है. मेरी ही तरह अपने बढ़ते बच्चों के साथ अपनी चीज़ें शेयर करना शायद सभी पैरेंट्स को अच्छा लगता होगा.
स्मिता ने कहा, "गोरी है ना?"
मेरी सिज़ेरियन डिलीवरी हुई थी (जयपुर में यानी स्मिता के मायके में) और जब मुझे होश आया तो मैंने डॉक्टर से पूछा कि मुझे बेटा हुआ है या बेटी, जब डॉक्टर ने बेटी कहा, तो मैंने तुरंत पूछा, ङ्गङ्घगोरी है ना?फफ मेरे सवाल पर डॉक्टर और मेरी मां मुझे हैरानी से देखने लगे. इतना पूछकर मैं फिर बेहोश हो गई थी, लेकिन मेरे घर वाले आज तक मुझे इस बात के लिए चिढ़ाते हैं. कहते हैं, लोग पूछते हैं कि बच्चा हेल्दी है या नहीं, लेकिन तुम पूछ रही हो, बच्ची गोरी है या नहीं.
स्मिता ने बताया, "अब रोल सोच-समझकर सिलेक्ट करती हूं"
मां बनने के बाद मैं रोल सिलेक्ट करते समय भी अपने बच्चों के बारे में सोचती हूं. मैं इस बात का ध्यान रखती हूं कि मैं ऐसा कोई रोल न करूं, जिससे मेरे बच्चों को ये लगे कि अरे, मम्मा ये क्या कर रही हैं?
स्मिता के सीक्रेट्स
* मेरा ब्यूटी सीक्रेट: चेहरे पर हमेशा प्यारी-सी मुस्कान ज़रूरी है. आपकी मुस्कान आपको दुनिया की सबसे ख़ूबसूरत औरत बना देती है.
* मेरा फैशन मंत्र: मैं इंडियन और वेस्टर्न दोनों आउटफिट पहनना पसंद करती हूं. ओकेज़न के हिसाब से मैं आउटफिट सिलेक्ट करती हूं.
* मेरा फेवरेट फूड: मुझे प्योर देसी खाना पसंद है और मैं पूरी ज़िंदगी इंडियन फूड ही खाना चाहूंगी.
* मेरा फेवरेट डेस्टिनेशन: पेरिस मेरा फेवरेट डेस्टिनेशन है.
* मेरे शॉपिंग ट्रिक्स: मुझे शॉपिंग करना पसंद है, लेकिन मैं अपनी लिमिट अच्छी तरह जानती हूं. ऐसा नहीं है कि मैं शॉपिंग के बिना रह ही नहीं सकती.
स्मिता के अचीवमेंट्स
* स्मिता बंसल को बालिका वधू सीरियल में सुमित्रा का किरदार निभाकर एक नई पहचान मिली.
* स्मिता ने कोरा काग़ज़, अमानत, आशीर्वाद, सरहदें, नच बलिए -5 आदि शोज़ में काम किया है. फिलहाल वो जाना ना दिल से दूर सीरियल में काम कर रही हैं.
* स्मिता को बालिका बधू सीरियल के लिए बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का अवॉर्ड मिला है.
- कमला बडोनी