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महिलाओं का पहनावा है ज़िम्मेदार… आख़िर कब तक देते रहेेंगे इस तरह के बयान? (Stop now ! women’s clothing is not the reason for such kind of incidents)

molestation साल चाहे पुराना हो या नया, हमारे देश में कुछ नहीं बदलता. अब बात उन छिछोरों की ही ले लीजिए, जो राह चलते अपनी करतूतों से बाज़ नहीं आते और लड़कियों को छेड़ते रहते हैं. उनके लिए जैसे ये लड़कियां कोई वस्तु हैं, जो किसी तरह का विरोध नहीं करेंगी. इन्हें ऐसा लगता है जैसे ज़माना इनका है और इस समाज में रहनेवाली हर लड़की, महिला पर इनका कॉपी राइट है. किसी को कुछ भी कह देंगे और कोई कुछ नहीं बोलेगा. साल के शुरुआत में ही हुईं कई घटनाएं हम पिछले साल की बात नहीं कर रहे हैं. बात तो इसी साल की है. अभी नया-नया साल शुरू ही हुआ था कि लड़कियों को फिर से यह एहसास हो गया कि दुनिया भले ही चांद-तारों पर पहुंच जाए, लेकिन उनके लिए परिवेश कमोबेश वही रहने वाला है. कमियां हर बार उन्हीं में निकाली जाएंगी. दोषारोपण उन पर ही होगा. अंकुश उन्हीं पर लगाया जाएगा. फिर भले ही ग़लती मनचलों की क्यों न हो. आपको अभी हम बैंगलुरू की उस घटना के बारे में बताते हैं, जहां नए साल के जश्‍न में डूबे कुछ असामाजिक तत्व महिलाओं से छेड़छाड़ करने पर उतर आए. हालांकि उस जगह पुलिस की पूरी व्यवस्था थी, लेकिन लोगों का कहना था कि पुलिस उस समय वहां नहीं दिखी. एक अख़बार की ख़बर के अनुसार, पुलिस की मौजूदगी में एमजी रोड और ब्रिगेड रोड पर हज़ारों पुरुषों की भीड़ ने महिलाओं के साथ छेड़छाड़ और अश्‍लील हरक़तें की. ये था हमारे भारत में नए साल का जश्न. बैंगलोर में ही 31 दिसंबर की रात एक और घटना हुई, जिसकी सीसीटीवी फुटेज सामने आई. इसमें रात के अंधेरे में दो बाइक सवार सामने से आ रही एक लड़की के साथ अश्‍लील हरक़तें करते हुए नज़र आ रहे हैं. इस वीडियो में साफ़ दिख रहा है कि लड़की ने किसी तरह के भड़काऊ कपड़े नहीं पहने हैं और न ही वो उन लड़कों को अपनी ओर आने के लिए आकर्षित करती है. शर्म आती है ऐसे हाई-प्रोफाइल लोगों पर... जैसा हमने पहले ही कहा कि ग़लती चाहे जिसकी हो, कसूरवार तो लड़कियां ही हैं. अनपढ़-गंवार जब इस तरह के मामलों में बयानबाज़ी करते हैं, तो बात समझ में भी आती है, लेकिन उन लोगों का क्या, जो देश के मंत्री हैं या किसी न किसी तरह से देश के रसूख और हाई-प्रोफाइल लोगों में आते हैं. बैंगलुरू की इस घटना के बाद राज्य के गृहमंत्री जी परमेश्‍वर ने इस पूरे घटनाक्रम के लिए युवाओं के रहन-सहन के पश्‍चिमी तौर-तरीक़ों को ज़िम्मेदार बताकर और नया विवाद खड़ा कर दिया. मंत्री साहब तो यहां लड़कों को नहीं, बल्कि पहनावे पर ही कमेंट करने लगे उनके कहने का अगर सरल मतलब निकालें, तो वो यही होगा कि लड़कियां ऐसा पहनावा पहनती हैं, तो लड़के इस तरह की हरक़त करते हैं. इस तरह के बयान देने में अबू आज़मी भी पीछे नहीं रहे बैंगलुरू में महिलाओं से हुई अभद्रता मामले पर सपा नेता अबू आज़मी ने आपत्तिजनक बयान दिया. आज़मी ने कहा कि नववर्ष की पूर्व संध्या पर महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्‍चित करना पुलिस का कर्तव्य है, लेकिन महिलाओं को भी भूलना नहीं चाहिए कि सुरक्षा घर से शुरू होती है. देर रात पार्टी करना भारतीय संस्कृति का हिस्सा नहीं है. आज़मी साहब यहीं नहीं रुके, आगे उन्होंने अपने तर्कों को सही साबित करने के लिए काफ़ी हल्के उदाहरण भी दे डाले कि जहां चीनी होगी, चींटियां अपने आप आएंगी ही, गुड़ होगा, तो मक्खियां भी आएंगी... यह तो स्वाभाविक है... कुल मिलाजुलाकर बात यहीं आकर टिकती है कि समाज में खुले सांड की तरह लड़के घूम सकते हैं, जिस लड़की को चाहे छेड़ सकते हैं, जिस पर चाहे कमेंट पास कर सकते हैं, लेकिन लड़कियों को कोई अधिकार नहीं कि वो अपनी पसंद का कपड़ा पहनें, कहीं बाहर घूमने जाएं, किसी से हंसकर बात करें आदि. ये कैसे समाज की नींव पड़ती जा रही है देश में. आख़िर पुरुषों की मानसिकता इतनी गंदी कैसे होती जा रही है. क्या इस तरह के पुरुषों की परवरिश में कोई कमी है... उनके घरों में उन्हें किस कुत्सित मानसिकता से पाला-पोसा जाता है?

श्वेता सिंह 

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