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रीढ़ की हड्डी को नुकसान पहुंचाती हैं ये 10+ आदतें (Stop These 10+ Habits That Harm Your Spine)
इन दिनों पीठदर्द (Backaches) की समस्या बहुत सामान्य हो गई है. असक्रिय जीवनशैली और गैजेट्स का ज़रूरत से ज़्यादा इस्तेमाल इसके कुछ प्रमुख कारण हैं. जानिए आपकी कौन-सी आदतें आपकी पीठ व रीढ़ की हड्डी (Spinal Cord) के लिए सही नहीं हैं.
धूम्रपान
वैसे तो धूम्रपान अपनेआप में हानिकारक आदत है, लेकिन इससे पीठदर्द की समस्या भी हो सकती है, क्योंकि सिगरेट में मौजूद निकोटिन रीढ़ की हड्डी के आस-पास के रक्तप्रवाह को बाधित कर देता है, जिससे दर्द उभर सकता है.
खड़े होकर काम करना
हम सभी अक्सर सुनते रहते हैं कि ज़्यादा देर तक बैठना सेहत के लिए हानिकारक होता है, लेकिन हम आपको बता दें कि ज़्यादा समय तक खड़े रहना भी सेहत के लिए अच्छा नहीं होता. इससे गर्दन, रीढ़ की हड्डी और कंधों पर बुरा प्रभाव पड़ता है. ग़लत ढंग से ज़्यादा देर तक खड़े रहने से रीढ़ की हड्डी में भयंकर दर्द हो सकता है.
ग़लत पोश्चर
हमारी मांसपेशियों और ज्वॉइंट्स को स्वस्थ रखने के लिए उन्हें लचीला बनाए रखना बहुत ज़रूरी है. ग़लत पोश्चर में बैठने या खड़े होने पर उन पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है. अगर ज़्यादा समय तक आपका सिर व कंधा ग़लत पोजिशन में रहता है तो इसका अर्थ हुआ कि आप अपने शरीर का ऊपरी हिस्सा सही तरी़के से नियंत्रित नहीं कर रहे हैं. ऐसा करने से रीढ़ की हड्डी टेढ़ी होने लगती है. ग़लत पोश्चर से बचने के लिए आपको सही तरी़के से बैठना, उठना और सोना होगा ताकि रीढ़ की हड्डी को सर्पोट करने वाली मांसपेशियों व स्नायुतंत्र पर ज़्यादा दबाव न पड़े.
ग़लत साइज़ के जूते पहनना
तकलीफ़देह और ग़लत साइज़ के जूते पहनने से भी पीठदर्द की समस्या होती है. अपने पैरों पर कम दबाव डालने के लिए अच्छी क्वॉलिटी के जूते पहनें. अगर आपको ठंड के मौसम में स्नीकर्स या बूट पहनना पसंद है तो पैरों को रगड़ से बचाने के लिए मोजे पहनें.
आराम न करना
आमतौर पर लोग छोटे-मोटे दर्द को नज़रअंदाज़ कर देते हैं, लेकिन पीठ में थोड़ा भी तकलीफ़ या दर्द महसूस होने पर आराम करना बहुत ज़रूरी है. हालांकि हर बार आराम करना थोड़ा मुश्किल है, लेकिन जैसे ही समय मिले आराम करें, भले ही आपका दर्द कम हो गया हो. मांसपेशियों पर दबाव कम करने के लिए पैरों को थोड़ा ऊपर करके लेट जाएं.
ऐसा काम करना जो आपको पसंद न हो
ऑस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं के अनुसार, जो लोग अपनी नौकरी से ख़ुश नहीं रहते, उन्हें पीठदर्द की समस्या आम लोगों की तुलना में ज़्यादा होती है. शोधकर्ताओं के अनुसार, ऐसा शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक कारणों से होता है.
अत्यधिक मानसिक कार्य
कभी-कभार ज़्यादा समय तक दिमाग़ी काम करने से भी पीठदर्द की समस्या हो सकती है. इसलिए दिमाग़ पर अत्यधिक जोर न डालें. समय मिलने पर काम और दूसरी समस्याओं के अलावा भी कुछ सोचें. आप तनाव घटाने के लिए अपना पसंदीदा स्पोर्ट्स खेल सकते हैं या कोई मूवी देख सकते हैं. अलग चीज़ों के बारे में सोचने से पीठदर्द कम हो सकता है.
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मोबाइल फोन
हाल ही में हुए अध्ययन के अनुसार, एक सामान्य टेक्स मैसेज करने या पढ़ने पर रीढ़ की हड्डी पर दबाव पड़ता है. रोज़ाना मोबाइल का इस्तेमाल करने से कर्विकल स्पाइन का नैचुरल कर्व बिगड़ सकता है, जिससे उस हिस्से पर अत्यधिक दबाव पड़ता है. एक अध्ययन के अनुसार, लोग औसतन 2 से 3 घंटे मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं. इसका अर्थ यह हुआ कि हमारी गर्दन सालभर में 700 से 14,00 घंटे झुकी हुई रहती है. इससे रीढ़ की हड्डी से जुड़ी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं. यह बात भी सही है कि हम मोबाइल का इस्तेमाल करना छोड़ नहीं सकते, लेकिन मोबाइल इस्तेमाल करते समय शरीर का पोजिशन और पोश्चर सही रखिए.
सामान उठाते समय रीढ़ की हड्डी ट्विस्ट कर लेना
बहुत से लोग ऐसी ग़लती करते हैं. लोग सामान उठाते समय अपने पैरों को मोड़ने की बजाय पीठ को मोड़ लेते हैं. अक्सर ऐसा करने से रीढ़ की हड्डी पर बुरा प्रभाव पड़ता है. अतः सामान उठाते समय घुटनों को मोड़कर आगे झुकें और सामान उठाएं. सामान को शरीर के पास रखें और सामान रखते समय भी घुटने मोड़ें, न की पीठ.
मोटापा
आजकल ज़्यादातर लोग असक्रिय जीवनशैली जीते हैं. जिसका नकारात्मक असर रीढ़ की हड्डी पर पड़ता है. बहुत से शोधों से यह सिद्ध हुआ है कि जो लोग नियमित रूप से एक्सरसाइज़ नहीं करते या जिनका वज़न ज़्यादा होता है, उन्हें पीठ दर्द की समस्या होने का ख़तरा ज़्यादा होता है. इससे बचने के लिए नियमित रूप से एक्सरसाइज़ करें. ऐसा करने से न स़िर्फ आपकी रीढ़ की हड्डी स्वस्थ रहेगी, बल्कि आपको मोटापे से मुक्ति भी मिल जाएगी.
एक्सरसाइज़ का तरीक़ा
इसमें कोई दोराय नहीं है कि एक्सरसाइज़ के कई फ़ायदे हैं. हम आपको बताना चाहेंगे कि वेट लिफ्टिंग करने से रीढ़ की हड्डी की डेंसिटी बढ़ती है और रीढ़ की हड्डी मज़बूत होती है, लेकिन कुछ ख़ास किस्म के एक्सरसाइज़, जैसे जिम में साइकिलिंग करने से पीठ व गर्दन पर बुरा प्रभाव पड़ता है, क्योंकि अक्सर जिम में साइकिलिंग के दौरान हमें पीठ को आगे की ओर झुकाए रखना पड़ता है. ऐसा लगातार कई दिनों तक करना रीढ़ की हड्डी को नुक़सान पहुंचा सकता है. अतः ऐसा करने से बचें.
कैफीन की आदत
कॉफी और सोडा में मौजूद कैफीन शरीर की कैल्शियम एब्जॉर्ब करने की क्षमता को कम कर देता है, जिससे बोन डेंसिटी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. अतः खाने में पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम ग्रहण करें या कैफीन का सेवन संतुलित मात्रा में करें.
दवाएं
कुछ दवाएं, ख़ासतौर पर स्टेरॉइड हड्डियों को कमज़ोर बना देती है. आप जितना अधिक स्टेरॉइड का सेवन करेंगे, आपकी हड्डियों व स्पाइन पर उतना ही नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. इसलिए अगर आपकी दवाओं का बोन डेंसिटी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है तो डॉक्टर से इस बारे में बात करके पूछें कि दवा का कोई अन्य विकल्प मौजूद है या नहीं.
बैगपैक
बैगपैक का पीठ की दर्द से डायरेक्ट कनेक्शन है, लेकिन हम आपको बताना चाहेंगे कि पीठ दर्द बैगपैक के कारण नहीं, बल्कि उसके लेने के तरी़के के कारण होता है. इसलिए बैगपैक को हमेशा दोनों कंधों पर टांगें और बैग में अनावश्यक चीज़ें न रखें.
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