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कहानी- आम्रपाली 5 (Story Series- Aamrapali 5)

शक की सुई न चाहते हुए भी रचिता व सरस की तरफ़ घूम रही थी. अभय बाजपेयीजी एक तरफ़ खड़े सामने चल रही सारी गतिविधियों को चुपचाप देख रहे थे व सबकी भाव-भंगिमाओं को भांप रहे थे. समर बराबर रचिता व सरस का फोन मिलाता चला जा रहा था. "आप लोगों को किसी पर शक है.” पुलिस इंस्पेक्टर देव ने प्रश्नवाचक दृष्टी शंकर पर डाली.   ... चोट इतनी बड़ी नहीं थी, पर मज़बूत हाथ का वार शिवप्रसादजी सहन न कर पाए और वहीं लुढ़क गए. उन्हें लुढ़कते देख और उनकी आंखें तनते देख, रंजीत घबरा गया. वह उल्टे पैर बाहर निकल गया. किचन के पिछले दरवाज़े से बाहर निकल कर उसका इरादा पेड़ों के पीछे जाकर चुपचाप दीवार फांद कर भाग जाने का था कि तभी जगजीवन हाथ में डंडा लिए न जाने किधर से सामने आ गया. "मैं तुझे ऐसे नहीं जाने दूंगा नमक हराम... क्या करके आया है अंदर से.” वह डंडा उस पर मारने को हुआ, पर जवान उम्र के रंजीत पर उसका बस न चला. रंजीत अंदर की घटना से इतना घबराया हुआ था कि उसने सोचा कि यदि इसको छोड़ दिया, तो वह पकड़़ा जाएगा... उसने हड़बड़ाहट में जगजीवन के हाथ से डंडा छीन कर उसके सिर पर तीन-चार वार किए और उसे लहुलुहान हालत में छोड़कर पीछे की दीवार से कूद कर भाग खड़ा हुआ, आम्रपाली में दो-दो मर्डर हो गए और घर में रहनेवाले नंदन और दरबान को ख़बर तक नहीं हुई. देव सामने पड़ी जगजीवन की क्षत-विक्षत लाश को देखकर बोल रहा था. ”सही कहा सर... लगता है इसमें इन दोनों का भी हाथ है.” देव का अस्सिटेंट पुरूराज गंभीर स्वर में बोला. ”तुम ठीक कहते हो, लेकिन पोस्टमार्टम की रिपोर्ट और फोरेंसिक डिपार्टमेंट की रिपोर्ट आने तक हमें रुकना पड़ेगा पुरूराज. तुम दोनों बाॅडी की प्रथम दृष्टया जांच और उपस्थित लोगों के बयान की सब व्यवस्था करो.” "जी सर...” पुरूराज बोला और साथ ही अपने साथ आई पुलिस टीम को निर्देश देने लगा. "आप कह रहे थे कि कोई रचिता और सरस भी आप लोगों के साथ आम्रपाली में रह रहे थे. वे लोग कहां हैं अभी तक नज़र नहीं आए...” सबके बयान लेने के बाद पुरूराज शंकर से बोला. अब सबका ध्यान इस तरफ़ गया. सबके मुंह से एक साथ निकला, "रचिता और सरस कहां गए?..” "लगभग तीन घंटे होनेवाले हैं हमें होटल से आए और अभी तक वे दोनों घर नहीं पहुंचे.” शंकर आश्चर्य से बोला. "मैं फोन लगाता हूं.” कहकर समर फोन मिलाने लगा. लेकिन दोनों फोन नहीं उठा रहे थे. रचिता के फोन पर रिंग जा रही थी, पर सरस का फोन स्विच ऑफ आ रहा था. आख़िर कहां जा सकते हैं दोनों. घर में दो अजनबी लोग ठहरे हुए थे. दो-दो मर्डर हो गए और वे दोनों गायब हैं. सबसे बड़ी बात कि उन दोनों को घर में होनेवाली हर छोटी-बड़ी गतिविधियों का पता था व लगभग सबके बीच होनेवाली बातचीत का वे हिस्सा बन जाते थे. शक की सुई न चाहते हुए भी रचिता व सरस की तरफ़ घूम रही थी. अभय बाजपेयीजी एक तरफ़ खड़े सामने चल रही सारी गतिविधियों को चुपचाप देख रहे थे व सबकी भाव-भंगिमाओं को भांप रहे थे. समर बराबर रचिता व सरस का फोन मिलाता चला जा रहा था. "आप लोगों को किसी पर शक है.” पुलिस इंस्पेक्टर देव ने प्रश्नवाचक दृष्टी शंकर पर डाली. यह भी पढ़ें: आंखों की रोशनी इम्प्रूव करने के लिए 10 ईज़ी आई एक्सरसाइज़ (10 Easy Eye Exercises That Can Improve Your Vision) "शक है भी और नहीं भी.” शंकर दुविधा में बोला, "पिछले दिनों कुछ बातें ऐसी हुई हैं कि रचिता और सरस पर शक जाता है, लेकिन उनका व्यवहार देखकर नहीं लगता कि वे इतनी बुरी तरह से दो-दो मर्डर कर सकते हैं.” शंकर बेचारगी से बोला. "मर्डर करनेवाले सफ़ेदपोश ख़ुद मर्डर नहीं करते. वे किसी के द्वारा भी यह काम करवा सकते हैं.” पुरूराज बोला. ”लेकिन यह समझ में नहीं आता कि उन्हें एक माली व पिताजी के मर्डर से फ़ायदा क्या होनेवाला था, लेकिन कुछ बातें हैं सरस के बारे में जो मैं बता देना चाहता हूं." कहकर शंकर ने वे घटनाएं जिनके कारण उसे सरस पर शक पैदा हो रहा था, बता दिया. ”ये तो काफ़ी पुख़्ता सबूत हैं... सरस आपके परिवार का सदस्य नहीं है, तो वह आधी रात को आपके पिताजी के कमरे में जाकर उनसे क्या बात करने की कोशिश कर रहा था. आपके पिताजी का व्हील चेयर से बिना किसी कारण गिर जाना, डोरी का खुल जाना... जो भी आपने बताया...” देव चौंकते हुए बोला, "पुरूराज शंकरजी के ये सब बयान नोट कर लो.” "जी सर.” यह सब देख-सुनकर अभय बाजपेयीजी अपनी जगह पर खड़े लगातार बेचैन हो रहे थे. समर बार-बार फोन कर रहा था, लेकिन सरस व रचिता से बात नहीं हो पा रही थी. अभी वह कुछ कहने ही जा रहा था कि गेट से सरस की कार अंदर आती दिखाई दी. सब चौंक कर बाहर की तरफ़ देखने लगे. कार पीछे पार्किंग में खड़ी कर सरस और रचिता अंदर आ गए और बदहवास से बोले, "क्या हुआ? बाहर पुलिस की गाड़ी और हस्पताल की वैन खड़ी देखी.” सरस बोला. तभी उसकी नज़र देव व पुरूराज पर पड़ी. साथ ही अंदर कमरे से हस्पताल के कर्मचारी शिवप्रसादजी की डेड बाॅडी को बाहर निकाल रहे थे. "अरे, अंकल को क्या हुआ?” वह तेजी से शिवप्रसादजी की तरफ़ लपका. लेकिन एक पुलिसवाले ने उसे पकड़ लिया. सरस अपने को ज़बर्दस्ती छुड़ाता हुआ बाहर जाती शिवप्रसादजी की बाॅडी की तरफ़ जाने की कोशिश करने लगा. लेकिन पुलिसवालों ने उसे वहां तक पहुंचने नहीं दिया. "लेकिन हुआ क्या है उनको?” वह अचंभिंत व रुआंसा सा था. "उनका मर्डर हुआ है” इंस्पेक्टर देव ठंडे स्वर में उसे घूरता हुआ बोला. "मर्डर हुआ है, पर क्यों? किसने किया? किसलिए किया?” सरस ऐसे बोल रहा था जैसे समझ न पा रहा हो कि आख़िर हुआ क्या है. "वो भी पता चल जाएगा... पहले तुम यह बताओ कि तुम दोनों अब तक कहां थे? तुम्हारे फोन क्यों नहीं मिल रहे थे.” देव ने पूछा. तभी एक पुलिसवाला देव के पास आकर बोला, "सर, जगजीवन मरा नहीं है, उसकी नब्ज़ चल रही है अभी...” "यह तो बहुत अच्छी ख़बर है.” देव बोला "जगजीवन को होश आ जाए, तो हत्यारा पकड़ में आ जाएगा सर.” कहते हुए पुरूराज सरस और रचिता के चेहरे के भावों को पढ़ने की कोशिश करने लगा. "हां, तो तुमने बताया नहीं कि तुम दोनो कहां थे अब तक. जब होटल से मर्डर की ख़बर सुनकर सब लोग घर पहुंचे, तो तुम क्यों नहीं आए... और तुम कह रहे हो कि तुम्हें घटना के बारे में मालूम तक नहीं.” देव शब्दों को चबाता हुआ बोला. "मैं सच कह रहा हूं इंस्पेक्टर. मुझे कुछ भी मालूम नहीं... दुल्हन की विदाई के तुरंत बाद हम दोनों होटल के मैनेजर के कमरे में चले गए थे. रचिता की तबीयत नींद पूरी न होने व इतने दिनों से हैवी खाना खाने के कारण ख़राब हो रही थी. वह उल्टी आने की शिकायत कर रही थी. एक बार सोचा कि जल्दी से आम्रपाली आकर उसे कोई दवा देकर सुला दूं. लेकिन उसकी ज़्यादा तबीयत ख़राब हो रही थी. मैंने मैनेजर से आसपास कोई दवाई की दुकान या किसी तरह की भी कोई मेडिकल हेल्प मिलने की बाबत पूछा, तो उसने पास में ही रहनेवाले अपने एक रिश्तेदार डाॅक्टर के बारे में बताया और उन डाॅक्टर को फोन करके हमारी मदद करने के लिए भी कह दिया. यह भी पढ़ें: हरिद्वार महाकुंभ पर दिखा कोरोना का असर, किसको मिलेगी एंट्री, किसको है मनाही- जानें ज़रूरी गाइडलाइंस व रेजिस्ट्रेशन संबंधी नियम! (Haridwar Maha Kumbh 2021: Registration, COVID-19 Guidelines & More you Need To Know) हम जब बाहर आए, तो हमें कोई दिखाई नहीं दिया. रचिता की तबीयत बहुत ख़राब हो रही थी, इसलिए बिना देरी किए मैं उसे डाॅक्टर के पास ले गया. उन्होंने इसे ऊपरी तौर पर चेक किया, तुरंत राहत देने के लिए दवाई दी फिर किसी लेडी डाॅक्टर को दिखाने के लिए कहा, क्योंकि रचिता से बात करके उन्हें लगा कि वह गर्भवती है. सरस हल्का-सा मुस्कुरा गया. इतनी सुबह हम लेडी डाॅक्टर को कहां ढूंढ़ते, इसलिए केमिस्ट से प्रेग्नेंसी टेस्ट किट लेने चले गए. वहां से होटल चले गये. होटल में जो कमरे लिए थे वे 12 बजे तक थे, इसलिए वहीं पर थोड़ा आराम कर लिया. फिर होटल का पूरा हिसाब-किताब करके सीधे घर ही आ रहे हैं.” सरस पूरी बात बताता हुआ बोला. "लेकिन तुम्हारे फोन क्यों नहीं मिल रहे थे.” देव गुर्राया. "मालूम नहीं, रचिता का फोन शायद साइलेंट पर था, इसलिए सुनाई नहीं दिया और मेरा...” वह अपना फोन निकालता हुआ वह बोला, "लगता है डिस्चार्ज हो गया.” अगला भाग कल इसी समय यानी ३ बजे पढ़ें... Sudha Jugran सुधा जुगरान     अधिक शॉर्ट स्टोरीज के लिए यहाँ क्लिक करें – SHORT STORIES

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