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कहानी- अग्नि स्नान 5 (Story Series- Agni Snan 5…)

 

“मतलब… मतलब… तुम्हारे और मेरे बीच जो भी आएगा ईश्वर उसको दंड देंगे.. और क्या?” विशाल हडबड़ा गया था. सुरभि का मुंह आश्चर्य से खुला रह गया उसने पूछा, “कहीं तुमने ही तो एसिड..?” “अरे, मैंने एक बात कही.. मैं तुमसे प्यार करता हूं… मेरा चिढ़ना वाज़िब है.. पर इसका मतलब यह तो नहीं कि मैंने..?” विशाल ने बार-बार सुरभि को समझाना चाहा, पर फिर भी मन में एक गांठ लेकर वो वापस आ गई.

          “वहां शादी टूट गई, तो इसका यह मतलब बिल्कुल मत निकालना कि मेरे पापा इस विजातीय विवाह की अनुमति देंगे. तुम यह क्यों नहीं मानते कि हम दोनों एक अच्छे दोस्त हैं. मैं शुरू से तुम्हें कहती आ रही हूं कि हमारे बीच दोस्ती के सिवा कुछ नहीं हो सकता. इसलिए मैं अपना दोस्त समझकर तुमसे अपना दुख बांट रही हूं… मेरे माता-पिता मेरे लिए एक दूसरे लड़के से बात चला रहे हैं… पर मेरा मन मुझे समीर की ओर ही खींचता है… एक दोस्त होने के नाते तुम मुझे सलाह दो मैं क्या करूं? मां-पापा की बात ना मानकर समीर से शादी कर लूं… या उस दूसरे लड़के से..?” सुरभि ने पूछा, तो वह क्रोध से तन कर बोला, “अजीब लड़की हो तुम… अपनी मनमानी से बाज नहीं आओगी… उसका भी वही हश्र होगा जो समीर का..!” “मतलब!” सुरभि ने चौंककर कहा.   यह भी पढ़ें: प्यार में क्या चाहते हैं स्री-पुरुष? (Love Life: What Men Desire, What Women Desire)       “मतलब… मतलब… तुम्हारे और मेरे बीच जो भी आएगा ईश्वर उसको दंड देंगे.. और क्या?” विशाल हडबड़ा गया था. सुरभि का मुंह आश्चर्य से खुला रह गया उसने पूछा, “कहीं तुमने ही तो एसिड..?” “अरे, मैंने एक बात कही.. मैं तुमसे प्यार करता हूं… मेरा चिढ़ना वाज़िब है.. पर इसका मतलब यह तो नहीं कि मैंने..?” विशाल ने बार-बार सुरभि को समझाना चाहा, पर फिर भी मन में एक गांठ लेकर वो वापस आ गई. जैसे-जैसे दिन गुज़रते जा रहे थे सुरभि का मन उसे चैन नहीं लेने दे रहा था. उसकी अंतरात्मा कह रही थी की विशाल जैसा एकतरफ़ा प्यार करनेवाला प्रेमी इस तरह की घटना को ज़रूर अंज़ाम दे सकता है. और पुलिस को भी तो अब तक कोई सुराग नहीं मिला था कि किसने समीर के साथ इतना घृणित कार्य किया था. एक दिन सुरभि ने अपने माता-पिता को खुलकर सारी बात बताते हुए कहा , “पापा, क्या मानवता के नाते नहीं लगता कि हमें एक बार पुलिस को यह जानकारी देनी चाहिए कि यह विशाल भी हो सकता है.“ “और अगर नहीं हुआ तो?” “नहीं हुआ तो ठीक है, लेकिन अगर हुआ तो? इसलिए पुलिस को बता देना ही ठीक होगा. दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा.“ सुरभि अपने विचार पर दृढ़ थी. उसके पिता ने कहा, “ठीक है बेटी, मैं तेरा हर परिस्थिति में साथ दूंगा.“ पुलिस की पूछताछ जारी थी. ऐसे में एक दिन सुरभि ने अपने मन का शक पुलिस के सामने ज़ाहिर कर दिया. पुलिस अपनी कार्यवाही में लग गई और सुरभि ने फिर से समीर के जीवन में प्रवेश कर लिया. अब दोनों परिवार हर्षित थे. विवाह की तैयारियां चल रही थी. डॉक्टर ने कह दिया था कि छह महीने के बाद समीर की स्थिति में काफ़ी सुधार हो जाएगा, तो आप यह विवाह कर सकते हैं. कई महत्वपूर्ण सर्जरी के बाद समीर का चेहरा अब काफ़ी हद तक सुधर गया था.   यह भी पढ़ें: एकतरफ़ा प्यार के साइड इफेक्ट्स… (How One Sided Love Can Affect Your Mental Health?..)     सुरभि का मन हमेशा एक अनजाने भय से धड़कता रहता. अगर विशाल ही दोषी निकला, तो समाचार पत्रों और मीडिया के माध्यम से यह ख़बर सब जगह फैल जाएगी… कि विशाल ने सुरभि के कारण समीर पर एसिड अटैक किया. ऐसे में सुरभि अपनी बेगुनाही का सबूत कैसे दे पाएगी समीर को कि उसके और विशाल के बीच कुछ नहीं था? क्योंकि यह समाचार पत्र और मीडियावाले इन दोनों के बीच अदृश्य तथ्य को ढूंढ़-ढूंढ़कर झूठ-सच मिलाकर संसार के सामने लाएंगे…

अगला भाग कल इसी समय यानी ३ बजे पढ़ें...

              डॉ. निरुपमा राय अधिक कहानियां/शॉर्ट स्टोरीज़ के लिए यहां क्लिक करें – SHORT STORIES

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