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कहानी- अंबर की नीलिमा 1 (Story Series- Ambar Ki Neelima 1)

कुफरी की हसीन वादियों में एक दुर्गम घाटी के समीप खड़ी नीलिमा प्रकृति के अनुपम सौंदर्य को अपलक निहारे जा रही थी. अपने स्नो गॉगल को उसने हाथ में ले रखा था. इससे आसमान से गिर रहे ब़र्फ के फाहे सीधे उसके रक्तिम रुख़सारों का स्पर्श कर रहे थे. इससे उसकी मादकता में कुछ और वृद्धि हो रही थी. “बेइंतहा हसीन हैं ये नज़ारे.” तभी एक मदहोश आवाज़ आई. “बेइंतहा हसीन.” नीलिमा के होंठ अनायास ही बुदबुदा उठे. “लेकिन आपसे ज़्यादा हसीन नहीं.” इस बार आवाज़ में शरारत की खनक थी. नीलिमा चौंक पड़ी. दूर-दूर जहां तक दृष्टि जा सकती थी ब़र्फ की श्‍वेत चादर बिछी हुई थी. हिमाच्छादित देवदार के वृक्ष शांति दूतों की तरह निशब्द खड़े थे. मेघदूतों की सेना को चीर सूर्य की किरणें जब हिम से ढके पर्वत शिखरों से टकरातीं, तो वे स्वर्ण कलशों की भांति जगमगा उठते थे. मंद-मंद बह रहे पवन के झोंके जब मादक स्पर्श दे समीप से गुज़रते, तो अंतर्मन में एक सिहरन-सी दौड़ जाती थी. पूरे वातावरण में एक सुकून भरी शांति छाई हुई थी. कुफरी की हसीन वादियों में एक दुर्गम घाटी के समीप खड़ी नीलिमा प्रकृति के अनुपम सौंदर्य को अपलक निहारे जा रही थी. अपने स्नो गॉगल को उसने हाथ में ले रखा था. इससे आसमान से गिर रहे ब़र्फ के फाहे सीधे उसके रक्तिम रुख़सारों का स्पर्श कर रहे थे. इससे उसकी मादकता में कुछ और वृद्धि हो रही थी. “बेइंतहा हसीन हैं ये नज़ारे.” तभी एक मदहोश आवाज़ आई. “बेइंतहा हसीन.” नीलिमा के होंठ अनायास ही बुदबुदा उठे. “लेकिन आपसे ज़्यादा हसीन नहीं.” इस बार आवाज़ में शरारत की खनक थी. नीलिमा चौंक पड़ी. उसने पीछे पलटकर देखा. सामने उसकी ही तरह स्कीइंग सूट पहने एक व्यक्ति खड़ा था. उसने सिर पर हेलमेट और चेहरे पर बड़ा-सा स्नो गॉगल लगा रखा था, किंतु उसकी आंखों में शरारत के चिह्न साफ़ नज़र आ रहे थे. “शटअप.” अप्रत्याशित छींटाकशी से नीलिमा ग़ुस्से से चीख उठी. “ग़ुस्से में तुम्हारा रूप कुछ और निखर आया है. इस ग़ुस्से को कभी अपने से दूर मत करना.” उस व्यक्ति ने कहा और स्की पोल को ब़र्फ पर टकराते हुए तेज़ी से भाग लिया. स्कीइंग-बूट्स के सहारे वह ब़र्फ पर तेज़ी से फिसलता चला जा रहा था. नीलिमा की आंखें क्रोध से चमक उठीं. उसने अपने स्की पोल को संभाला और स्कीइंग करते हुए तेज़ी से उस व्यक्ति के पीछे लपकी. जल्दबाज़ी में उसके स्नो गॉगल और हेलमेट वहीं गिर गए, इसकी उसने परवाह भी नहीं की. वह कुफरी-स्कीइंग स्पोर्ट्स की दो बार चैंपियन रह चुकी थी. उसे विश्‍वास था कि वह जल्द ही उस गुस्ताख़ को पकड़ लेगी. किंतु नीलिमा का अंदाज़ा ग़लत निकला. उसने बहुत कोशिश की, लेकिन उस मनचले के क़रीब नहीं पहुंच सकी. किंतु वह हार नहीं मानना चाहती थी, इसलिए पूरी शक्ति से आगे बढ़ रही थी. अगले मोड़ पर छोटा-सा पत्थर ब़र्फ से बाहर निकला हुआ था, नीलिमा उसे देख नहीं पाई. स्कीइंग-बूट्स के पत्थर से टकराते ही उसके मुंह से तेज़ चीख निकल गई. इससे पहले कि हवा में लहराता हुआ उसका शरीर किसी गहरी खाई में जा गिरता, उसी मोड़ से स्कीइंग करते हुए आ रहे एक व्यक्ति ने उसे अपनी बांहों में संभाल लिया. किंतु वह ख़ुद को संभाल न सका और नीलिमा को बांहों में लिए हुए ब़र्फ पर लुढ़कने लगा. नीलिमा उसकी बांहों में बुरी तरह कसमसा रही थी. “अपने आप को संभालना सीखो, क्योंकि हर जगह तुम्हें संभालने के लिए मैं मौजूद नहीं रहूंगा.” उस व्यक्ति के होंठों से फुसफुसाहट भरी आवाज़ निकली. “कौन हो तुम?” नीलिमा चिहुंक उठी. यह भी पढ़े: गरीबों का मसीहा- मेडिसिन बाबा (The Incredible Story Of ‘Medicine Baba’) उस व्यक्ति ने उत्तर देने की बजाय ब़र्फ की एक चट्टान पर पैर अड़ाते हुए ख़ुद को संभाला. इससे पहले कि बौखलाई नीलिमा खड़ी हो पाती, वह स्की पोल को ब़र्फ पर तेज़ी से घ्ाुमाते हुए वहां से चला गया. हतप्रभ नीलिमा उसे दूर जाते देखती रही. कौन था वो? देवदूत-सा प्रकट हुआ और अचानक ही चला गया. नीलिमा उसका चेहरा नहीं देख पाई थी, किंतु न जाने क्यों उसकी आवाज़ कुछ पहचानी-सी लगी. ऐसी आवाज़, जो पहले भी उसके कानों में गूंज चुकी थी, किंतु नीलिमा किसी निर्णय पर नहीं पहुंच पा रही थी. आज सुबह ही नीलिमा स्कीइंग चैंपियनशिप में भाग लेने शिमला आई थी.  ऑर्गनाइज़िंग कमेटी की अध्यक्षा रीतिका सिन्हा ने उसका स्वागत करते हुए कहा, “वेलकम मिस नीलिमा, मुझे विश्‍वास है कि इस बार का मुक़ाबला पिछली बार से कहीं ज़्यादा रोमांचक होगा और आप जीत की हैट्रिक पूरी करेंगी.” “थैंक्स.” नीलिमा ने सिर को हल्का-सा झुकाकर आभार प्रकट किया, फिर बोली, “हैट्रिक पूरी होने में कोई शक है आपको?” “शक हो या न हो, पर दुआ ज़रूर करूंगी.” रीतिका सिन्हा मुस्कुराईं. “इस मेहरबानी की कोई ख़ास वजह?” नीलिमा खिलखिलाते हुए हंस पड़ी. “दो वजहें हैं. पहली वजह तो है मेरा स्वार्थ. अगर आप फिर जीतीं, तो वुमन एम्पावरमेंट का हमारा झंडा कुछ और बुलंद होगा. दूसरी वजह यह है कि हैट्रिक बनते ही आप इंटरनेशनल फिगर बन जाएंगी, क्योंकि आपको यह जीत इंटरनेशनल स्टार ए. आर. पलिया को हराकर हासिल होगी.” रीतिका सिन्हा ने रहस्य से पर्दा उठाया. “क्या? ए. आर. पलिया इस चैंपियनशिप में भाग ले रहे हैं ?” “जी हां. वे किसी काम से परसों ही यूरोप से कोलकाता आए थे. हमारे प्रेसिडेंट को पता चला, तो उन्होंने उनसे ‘कुफरी स्कीइंग चैंपियनशिप’ में भाग लेने का अनुरोध किया. वे समय की कमी का हवाला दे रहे थे, लेकिन प्रेसिडेंट साहब ने जब कहा कि वे इंडिया के यूथ आईकॉन बन गए हैं, उनके चैंपियनशिप में भाग लेने से हिमाचल में टूरिज़्म के साथ-साथ स्पोर्ट्स को भी बढ़ावा मिलेगा, तो वे मान गए.” “वे कहां रुके हैं?” नीलिमा ने उत्साह से पूछा. “रुके तो इसी होटल में हैं, लेकिन इस समय प्रैक्टिस के लिए कुफरी गए हैं.” “तो मैं भी कुफरी निकल रही हूं. चैंपियनशिप से पहले उनसे एक बार ज़रूर मिलना चाहूंगी.” थोड़ी ही देर में वह तरोताज़ा होकर बाहर निकली. रीतिका सिन्हा ने उसके लिए कार का इंतज़ाम कर दिया था. नीलिमा कुफरी की ओर चल दी. स्कीइंग की दुनिया में ए. आर. पलिया का नाम अचानक ही धूमकेतु की तरह उभरा था, जब पिछले सप्ताह उन्होंने स्विटज़रलैंड में आयोजित यूरोपियन स्कीइंग चैंपियनशिप में जीत हासिल की थी. संजीव जायसवाल ‘संजय’

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