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कहानी- अपना अपना सहारा 2 (Story Series- Apna Apna Sahara 2)

डिनर से लौटते व़क़्त जब वह मुझे घर छोड़ने आया तो उसने कहा, “प्रियंका, एक बात कहूं.” मैंने कहा, “आज सब माफ़ है.” अचानक मेरा हाथ पकड़कर कहने लगा, “मैं तुमसे प्यार करता हूं. तुमसे शादी करना चाहता हूं. तुम मुझे सोच-समझकर जवाब देना.” और वो चला गया. मैंने उसकी बात को मज़ाक में लिया. फिर अगले पांच दिन तक वो हॉस्पिटल भी नहीं आया. फिर अचानक रविवार को सुबह मेरे घर आ गया और सीधे पूछने लगा, “और क्या सोचा मेरे बारे में?” मैंने आश्‍चर्य से उसे देखते हुए कहा, “मुझे लगा तुम मज़ाक कर रहे हो.” आख़िर एक दिन मयंक ने कहा, “शायद अमेरिका वापस चली गई हो. अच्छा याद है ना कल 15 नवंबर यानी तुषार का जन्मदिन है, मन्दिर जाना है सुबह.” “हां, कल वो पूरे 32 साल का हो जाएगा.” दूसरे दिन जब मयंक-मन्दिरा मन्दिर से लौटे, तो दरवाज़े पर प्रियंका की खड़ा देखकर मन्दिरा बहुत ख़ुश हो गई. फिर उसका ध्यान उस छ:-सात महीने के बच्चे पर गया, जो प्रियंका की गोद में था. दरवाज़ा खोलकर जब अन्दर आये तो प्रियंका ने कहा, “आप लोग मन्दिर गए थे ना, आज तुषार का जन्मदिन है इसलिए.” “मगर तुम्हें कैसे पता?” “वही बताने आयी हूं.” मयंक ने मन्दिरा की तरफ़ देखा और सो़फे पर बैठ गए. दोनों के दिमाग़ में एक ही ख़याल आने लगा कि कहीं ये वो लड़की तो नहीं, जिसके बारे में तुषार ने बताया था. प्रियंका ने सब कुछ सिलसिलेवार बताना शुरू किया, “आज से चार साल पहले मुझे याद है अच्छी तरह उस दिन भी 15 नवंबर था. तुषार और मैं दोनों ही तीन साल के स्पेशलाइजेशन कोर्स के लिए भारत से आए थे. क़रीब एक साल हो गया था अमेरिका आए. उस दिन जब उसने मुझसे डिनर पर चलने को कहा, तब पता चला कि उसका जन्मदिन है तो मैंने हां कर दी. डिनर से लौटते व़क़्त जब वह मुझे घर छोड़ने आया तो उसने कहा, “प्रियंका, एक बात कहूं.” मैंने कहा, “आज सब माफ़ है.” यह भी पढ़े: समझदारी की सेल्फी से सुधारें बिगड़े रिश्तों की तस्वीर अचानक मेरा हाथ पकड़कर कहने लगा, “मैं तुमसे प्यार करता हूं. तुमसे शादी करना चाहता हूं. तुम मुझे सोच-समझकर जवाब देना.” और वो चला गया. मैंने उसकी बात को मज़ाक में लिया. फिर अगले पांच दिन तक वो हॉस्पिटल भी नहीं आया. फिर अचानक रविवार को सुबह मेरे घर आ गया और सीधे पूछने लगा, “और क्या सोचा मेरे बारे में?” मैंने आश्‍चर्य से उसे देखते हुए कहा, “मुझे लगा तुम मज़ाक कर रहे हो.” “नहीं मैडम, मैं आपसे प्यार करता हूं. हां, अगर तुम्हारी ज़िन्दगी में पहले से कोई है तो मैं अपना हाथ पीछे खींचता हूं और नहीं तो प्लीज़ मुझसे प्यार न करने का कारण बताओ.” उसके किसी भी सवाल के लिए मैं तैयार नहीं थी. उस दिन किसी तरह मैं उसे टाल गई. पिछले एक साल से हम दोनों कार्डिक डिपार्टमेंट में साथ थे, मगर कभी लगा नहीं कि तुषार मुझे चाहता भी है. धीरे-धीरे उसके प्यार में मैं भी रंग ही गई. अब हम दोनों रोज़ एक बार ज़रूर मिलते, भविष्य के लिए तरह-तरह की योजनाएं बनाते. इस तरह एक साल बीत गया. हम लोगों के कोर्स को अब एक ही साल रह गया था, इसलिए हम लोगों ने फैसला किया कि जब कोर्स ख़त्म हो जाएगा तब अपने घरवालों को बताएंगे और उनके आशीर्वाद से शादी कर लेंगे. कोर्स का टाइम जैसे-जैसे ख़त्म हो रहा था, वैसे-वैसे हम लोगों पर पढ़ाई का बोझ बढ़ रहा था. रात-रात भर हॉस्पिटल में ही रहना पड़ता. सब कुछ अच्छा चल रहा था, तभी अचानक...

- नीतू

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