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कहानी- बदचलन 2 (Story Series- Badchalan 2)

“वह बहुत बदमाश लड़की है. एक बार मैंने ख़ुद आधी रात को नल के पास एक लड़के के साथ उसे आपत्तिजनक अवस्था में पकड़ा था. उसका चाल-चलन कुछ ठीक नहीं.” उनकी बात सुनकर मैं सकते में आ गया, क्योंकि वह मोहल्ले में बेहद सम्मानित व्यक्ति थे. उनकी देखी घटना झूठ तो हो ही नहीं सकती. लिहाज़ा, उसके बारे में मेरे ख़्यालात बदलने लगे. मुझे लगा, ज़रूर उसके चरित्र में कोई गड़बड़ है. अगर वह सही होती, तो आवारा लड़कों का विरोध तो करती. बहरहाल, ऑपरेशन के बाद वह चार-पांच दिन में ठीक भी हो गई. दो महीने में वह एकदम भली-चंगी हो गई और उसकी मौसी वापस चली गई. बीमारी के बाद उसका रूप और भी निखर आया. तक़रीबन तीस साल की उम्र में कह लीजिए कि उसकी कशिश ग़ज़ब की थी. सुंदर तो इतनी थी कि देखनेवाला पहली नज़र में ही मंत्रमुग्ध हो जाए, स्वभाव से भी बहुत चंचल थी. हर किसी से बिंदास बातचीत करती और बिना किसी प्रसंग के हंस भी देती. छोटी-मोटी बातों का कभी बुरा नहीं मानती थी. एक बार जब मैं घर में अकेला था, तभी वह आ गई और मेरे बहुत क़रीब आकर धीरे से ‘थैंक्स’ बोली. शायद ख़ून देने के लिए मेरा शुक्रिया अदा किया. इस बीच एक कंपनी में मुझे नौकरी मिल गई. कंपनी बहुत दूर थी. मेरी दिनचर्या घर और कंपनी के बीच सिमटकर रह गई. मैं सुबह घर से निकलता और रात को ही लौट पाता. इस दौरान मेरे मोहल्ले में क्या कुछ होता रहा, मुझे पता ही न चला... लेकिन शाम को आवारा लड़के धीरे-धीरे हमारे पड़ोस में जमा होने लगे. वह घर में होती, तो दरवाज़े के सामने ही खड़े रहते. बाहर निकलती, तो छींटाकशी करते, फब्तियां कसते. हां, जिस दिन वह घर पर न होती, तो वहां पूरी शांति रहती. यह चर्चा आम हो गई कि दरवाज़े के सामने खड़े होनेवाले आवारा लड़कों के साथ उसका चक्कर है. एक बार मेरे अवकाशवाले दिन पड़ोस के मास्टर घर आ गए. बात-बात में उन्होंने कहा, “वह बहुत बदमाश लड़की है. एक बार मैंने ख़ुद आधी रात को नल के पास एक लड़के के साथ उसे आपत्तिजनक अवस्था में पकड़ा था. उसका चाल-चलन कुछ ठीक नहीं.” उनकी बात सुनकर मैं सकते में आ गया, क्योंकि वह मोहल्ले में बेहद सम्मानित व्यक्ति थे. उनकी देखी घटना झूठ तो हो ही नहीं सकती. लिहाज़ा, उसके बारे में मेरे ख़्यालात बदलने लगे. मुझे लगा, ज़रूर उसके चरित्र में कोई गड़बड़ है. अगर वह सही होती, तो आवारा लड़कों का विरोध तो करती. ऐसी ही बातें बाद में मोहल्ले के कई और लोगों ने मुझे बताईं. अब मेरे मन में यह बात घर कर गई कि वह सचमुच चरित्रहीन है, उसका नैतिक पतन हो चुका है. हालांकि मैंने कभी उसे किसी लड़के से बात करते नहीं देखा था. हरिगोविंद विश्‍वकर्मा
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