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कहानी- एहसास तुम्हारे प्यार का… 3 (Story Series- Ehsas Tumhare Pyar Ka 3)

कभी-कभी किसी के जीवन में कोई संबंध अचानक इतना आत्मीय हो जाता है कि उसे खो देने का भय बर्दाश्त करना भी मुश्किल हो जाता है. उसने घड़ी की तरफ़ देखा. रात के दो बज रहे थे. कोई बात नहीं अगर गौतम उसे प्यार करता है, तो समझेगा भी. उसने गौतम का नंबर मिलाया. उधर से गौतम की नींद से भरी आवाज़ सुनाई दी, “हैलो... मैडम, इतनी रात को मैं कैसे याद आ गया?” “गौतम, आई लव यू.” वह जल्दी से एक सांस में ही बोल गई. थोड़ी देर की ख़ामोशी के बाद एक ज़ोरदार ठहाका गूंज उठा और नेहा पूरी तरह नर्वस हो पसीने-पसीने हो गई. अपने फ्लैट में आकर कपड़े बदलकर सोने की कोशिश करने लगी, पर नींद आंखों से कोसों दूर थी. गौतम की छुअन में जाने ऐसा क्या था कि वह देर तक प्यार से अपनी बांह सहलाती रही, जैसे सारे जहां की ख़ुशियां उसके दामन में भर गई हों. तभी अचानक उसकी सारी सोच पर जैसे लगाम लग गया, जब उसे याद आया कि उसकी मम्मी इस रिश्ते के लिए कभी इजाज़त नहीं देंगी. उन्होंने अब तक उसके दिमाग़ में भी यही डाला था कि उसके पापा की अच्छी नौकरी के कारण वह एक ग़लत परिवार में फंस गई, जिसका समाज में कोई स्टेटस ही नहीं था. वह गौतम के लिए भी वैसा ही सोचेंगी, पर नेहा क्या करे? उसका मन ख़ुद-ब-ख़ुद एक अनजाने, अनकहे प्यार की डोर में बंधता चला जा रहा था. एक दिन ऑफिस स्टाफ नमन की शादी में ऑफिस के सभी लोग आमंत्रित थे. नेहा वहां पहुंची, तो कोई परिचित चेहरा नज़र नहीं आ रहा था, तभी उसकी नज़र गौतम पर पड़ी. वह झट से उसके पास पहुंचकर बोली, “बहुत देर कर दी आने में.” “क्यों, मुझे मिस कर रही थी? वैसे आज साड़ी में बहुत सुंदर लग रही हो.” गौतम के शरारतभरे जवाब ने उसे शर्मसार कर दिया. वह इधर-उधर देखती हुई अपने मन की बात छुपाने के लिए बोली, “ऑफिस के और लोग दिख नहीं रहे हैं...” तभी आसपास जमा भीड़ में से किसी ने उसे ज़ोर का धक्का दिया और वह सीधे गौतम की बांहों में जा गिरी. दोनों की नज़रें मिलीं और उसी पल जैसे दोनों के दिल जुड़ गए. वह चाहकर भी उसके आलिंगन से अपने को मुक्त नहीं कर पा रही थी. दिल चाह रहा था कि समय रुक जाए और वह यूं ही उसकी बांहों में पड़ी रहे. न अपना होश था, न आसपास की भीड़ का. जीवन में पहली बार वो किसी के लिए ऐसा महसूस कर रही थी. पर लोगों की बेधती नज़रें और व्यंग्यात्मक मुस्कानों ने जल्द ही उसे होश में ला दिया और वह ख़ुद को संभालती हुई गौतम से अलग जा खड़ी हुई. देखते-देखते ऑफिस के और लोग भी आ गए. फिर तो हंसी-मज़ाक, खाने और बातों का सिलसिला शुरू हो गया. अंत में जब सब घर चलने को तैयार हो गए, तो वह गौतम से बोली कि उसे घर तक छोड़ दे. तभी नैना को जैसे कुछ याद आ गया. वह अपने बैग से एक लिफ़ाफ़ा निकालकर गौतम को देते हुए बोली, “गौतम, तुम्हारी शादी के लिए आंटी ने जिस लड़की की फोटो और कुंडली मंगवाई थी, इस लिफ़ा़फे में है, उन्हें दे देना और तुम भी देख लेना. एक बात और,  इन लोगों को जल्दी जवाब भी चाहिए, तो एक-दो दिन में अपना जवाब मुझे बता देना.” यह भी पढ़ेकुछ डर, जो कहते हैं शादी न कर (Some Fears That Deprive You Of Marriage) नैना तो चली गई, पर उसे गहरा झटका दे गई. अब तक जो वह सोच-समझ और महसूस कर रही थी, क्या वह सब झूठ था?  क्या गौतम उसके विषय में गंभीर नहीं है? तभी गौतम ने उसे चलने के लिए कहा, तो वह यंत्रचालित-सी उसके बगल में जा बैठी. रास्तेभर दोनों चुप ही रहे. घर आकर कपड़े बदलकर बिस्तर पर लेटी, तो उसके मन में बवंडर-सा मचा था. कभी  मम्मी के आग्नेय नेत्रों का आतंक, तो कभी गौतम का आकर्षण, उसका प्यारभरा चेहरा. फैसला तो उसे लेना ही पड़ेगा. उसकी मम्मी ने अपना जीवन हमेशा अपने हिसाब से जिया. न पापा की ख़ुुशियों का ध्यान रखा, न ही दादी के सम्मान का. उन्होंने हमेशा उसे यही समझाया कि अपनी ख़ुशी ही आदमी के लिए सर्वोपरि होती है. रिश्तों में त्याग की बातें आडंबर के अलावा कुछ नहीं हैं, फिर मम्मी की ख़ुशी के लिए वह क्यों त्याग करे? मन के आक्रोश से अब कालिमा छंटने लगी थी. ऐसा न हो कि यही सब सोचने-समझने में गौतम को ही खो दे. कभी-कभी किसी के जीवन में कोई संबंध अचानक इतना आत्मीय हो जाता है कि उसे खो देने का भय बर्दाश्त करना भी मुश्किल हो जाता है. उसने घड़ी की तरफ़ देखा. रात के दो बज रहे थे. कोई बात नहीं अगर गौतम उसे प्यार करता है, तो समझेगा भी. उसने गौतम का नंबर मिलाया. उधर से गौतम की नींद से भरी आवाज़ सुनाई दी, “हैलो... मैडम, इतनी रात को मैं कैसे याद आ गया?” “गौतम, आई लव यू.” वह जल्दी से एक सांस में ही बोल गई. थोड़ी देर की ख़ामोशी के बाद एक ज़ोरदार ठहाका गूंज उठा और नेहा पूरी तरह नर्वस हो पसीने-पसीने हो गई. गौतम जैसे बिना देखे ही उसकी स्थिति समझ गया. “घबराओ मत. मैं भी तो इसी दिन का इंतज़ार कर रहा था, जब तुम अपने दिल की बात मुझसे कहो. अब सो जाओ. कल मिलते हैं.” “ज़रूर...” नेहा ने इत्मीनान की एक लंबी सांस ली. ज़िंदगी में शायद पहली बार उसने सही समय पर अपने लिए सही स्टैंड लिया था. Rita kumari         रीता कुमारी

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