Close

कहानी- खुलासा 1 (Story Series- Khulasa 1)

मेरा दिल डूबने लगा. मर्दों की तो फ़ितरत ही है बेवजह शक़ करना. ख़ुद अनुज ही कौन-से अपवाद हैं? तभी तो मैं अनुज को आज तक यह बताने का साहस नहीं कर पाई हूं कि पराग वही लड़का है... वही... मेरी आंखों के सामने बैडमिंटन खेलते पराग का चेहरा उभर आया था. ज़्यादा व़क़्त कहां हुआ है उस बात को? पूर्वी को अचानक आया देख हम दोनों के चेहरे प्रसन्नता से खिल उठे थे, पर उसका उतरा चेहरा और भारी सूटकेस तो कुछ और ही कहानी बयां कर रहे थे. इससे पहले कि हम दोनों में से कोई उससे कुछ पूछने का साहस कर पाता, वह अपने भैया यानी अनुज के सीने से लग सिसक पड़ी. अनुज ने हमेशा अपनी छोटी बहन को बेटी जैसा स्नेह दिया है. पूर्वी ने जो खुलासा किया, उसे सुनकर तो हम दोनों हैरान ही रह गए. पर फिर ठंडे दिमाग़ से सोचा, तो लगा समस्या इतनी भी गंभीर नहीं है. थोड़ा ही व़क़्त तो हुआ है उसकी शादी को और फिर शादी कोई परिपक्वता आ जाने की गारंटी तो है नहीं. पूर्वी ने सिसकियों के बीच बताया कि उसके पति पराग उस पर बात-बात पर शक़ करते हैं. अभी कुछ दिनों पहले ही वह वॉक से लौट रही थी, तो उसका दुपट्टा एक कंटीली झाड़ी में उलझ गया था. वहां से गुज़रते एक अनजान युवक ने उसे निकालने में मदद की. उसी का शुक्रिया अदा करने में थोड़ी देर हो गई, तभी पराग वहां आ धमके और उसे बिना दुपट्टे के एक अजनबी युवक से हंसते-बोलते देख तैश में आ गए. पूर्वी के लाख सफ़ाई देने पर भी उनके दिमाग़ से शक़ का कीड़ा नहीं निकला और व़क़्त-बेव़क़्त वे पूर्वी को ताने मारते ही रहते हैं. मेरा दिल डूबने लगा. मर्दों की तो फ़ितरत ही है बेवजह शक़ करना. ख़ुद अनुज ही कौन-से अपवाद हैं? तभी तो मैं अनुज को आज तक यह बताने का साहस नहीं कर पाई हूं कि पराग वही लड़का है... वही... मेरी आंखों के सामने बैडमिंटन खेलते पराग का चेहरा उभर आया था. ज़्यादा व़क़्त कहां हुआ है उस बात को? शादी के बाद मैं अनुज के संग यहां मेडिकल कॉलेज परिसर स्थित आवास में रहने आई थी. जल्दी ही आस-पास की महिलाओं से मेरी दोस्ती हो गई और मैं भी उनके संग शाम को घूमने जाने लगी. अनुज की तरह ही परिसर के ज़्यादातर डॉक्टर्स शाम को कॉलेज से फ्री होकर क्लीनिक में प्रैक्टिस के लिए चले जाते थे और देर रात घर लौटते थे. एक शाम हमारा ग्रुप जिम्नेज़ियम की ओर निकल गया. वहां बैडमिंटन खेलते लड़के-लड़कियों को देखकर मेरा मन भी खेलने को मचल उठा. कारण, मैं बैडमिंटन  की राज्य स्तर की खिलाड़ी रह चुकी थी. बमुश्किल एक साथी महिला साथ खेलने को तैयार हुई. पर चूंकि वह मेरे स्तर की नहीं थी, इसलिए मुझे खेल में मज़ा नहीं आ रहा था. वहां मौजूद एक लड़के को शायद मेरी प्रतिभा और उकताहट का अंदाज़ा हो गया था. उसने साथी महिला से आग्रह कर रैकेट हथिया लिया. उसके बाद जो खेल का समा बंधा, तो आस-पासवाले भी अपना खेल रोककर हमें निहारने लगे. पूरे तीन सेट खेलने के बाद ही मैं घर लौट सकी थी. यह भी पढ़ेकैसे निपटें इन 5 मॉडर्न रिलेशनशिप चैलेंजेस से? (How To Manage These 5 Modern Relationship Challenges?) दिल में बेपनाह उत्साह और ख़ुशी थी, जो चेहरे से छलक रही थी, पर अनुज इतने व्यस्त रहते थे कि उनके पास मेरे चेहरे को पढ़ने का व़क़्त ही नहीं था. यह सब देखकर मन बुझ-सा जाता था, पर एक डॉक्टर की पत्नी का कर्तव्य याद कर मैं उनसे कोई शिकायत न करती थी. मैंने अपनी ख़ुशियां अपनी हॉबी में तलाश ली थी. मैं बेसब्री से शाम का इंतज़ार करती और महिलाओं के झुंड के संग निकल पड़ती. पर खेलते-खेलते इतनी देर हो जाती कि लौटती अक्सर अकेली ही थी. जिस तरह शराबी को शराब की और जुआरी को जुए की लत पड़ जाती है, उसी तरह मुझे भी रोज़ शाम को खेलने की लत पड़ गई थी. यदि कभी किसी वजह से ऐसा नहीं हो पाता, तो मैं अंदर ही अंदर बहुत छटपटाहट महसूस करती. हमें साथ खेलते इतने दिन हो गए थे, पर अब भी मैं अपने साथी खिलाड़ी के बारे में मात्र इतना जानती थी कि उसका नाम पराग है और वह मेडिकल फाइनल ईयर का स्टूडेंट है.उस दिन मेरी तबीयत ठीक नहीं थी. दिनभर लेटी रही, पर शाम होते ही घर काटने को दौड़ने लगा. मैंने सोचा, चलो आज खेलूंगी नहीं, सबके साथ घूमकर ही लौट आऊंगी. जिम के आगे से हम निकल ही रहे थे कि पराग की नित्य की पुकार ‘खेलें मैम?’ सुनाई पड़ी. मेरे हाथ रैकेट थामने को मचलने लगे. पर मैंने अपने मचलते अरमानों को क़ाबू किया, “नहीं, आज नहीं. तबीयत थोड़ी नासाज़ है.” “एक सेट मैम, प्लीज़!” पराग का निवेदन करता चेहरा देखकर, मैं मना नहीं कर सकी. एक सेट हारने, दूसरा जीतने के बाद मैं लत से मजबूर तीसरा सेट खेलने को कोर्ट में कूद पड़ी. खेल लगभग समाप्त होने को था कि मुझे लगा मेरे अंदर की सारी ऊर्जा ख़त्म हो गई है. मुझे चक्कर आया और मैं वहीं ढेर हो गई. होश आया, तो मेरा सिर पराग की बांहों पर टिका था और वह मुझे ज़बरदस्ती पानी पिलाने का प्रयास कर रहा था. मुझे होश में आया देख उसने राहत की सांस ली. shailee mathur शैली माथुर

अधिक शॉर्ट स्टोरीज के लिए यहाँ क्लिक करें – SHORT STORiES

Share this article