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कहानी- खुलासा 2 (Story Series- Khulasa 2)

‘अनुज समझते क्या हैं अपने आपको? मुझसे ज़िम्मेदार और समझदार पत्नी होने की उम्मीद रखते हैं, पर ख़ुद उन्होंने पति होने की कौन-सी ज़िम्मेदारी निभाई है? सुबह तैयार होकर घर से निकलते हैं, तो देर रात तक घर की तरफ़ झांकते तक नहीं हैं. नई-नवेली पत्नी किस तरह अकेले पूरा दिन गुज़ारती है, कभी ख़्याल भी आया है इन्हें? रोज़ वही नीरस और उबाऊ रूटीन. कभी अनुज ने जानने की कोशिश भी की कि मेरी क्या हॉबी है? उन्हें तो शायद पता भी नहीं होगा कि मैं राज्य स्तर पर खेली हुई बैडमिंटन खिलाड़ी हूं. मेरी संतुष्टि, मेरी ख़ुशी उनके लिए कोई मायने नहीं रखती.’ “सॉरी मैम! मुझे खेलने के लिए आप पर ज़्यादा ज़ोर नहीं डालना चाहिए था.” “कोई बात नहीं. मेरा अपना भी तो मन था. तुम्हारी ग़लती नहीं है.” “फिर भी मैम, मुझे माफ़ कर दीजिए. मैं वाक़ई बहुत शर्मिंदा हूं. चलिए, मैं आपको बाइक पर घर छोड़ देता हूं.” “अरे नहीं, मैं चली जाऊंगी. दस मिनट का तो रास्ता है. अब मैं ठीक हूं.” “नहीं मैम, आप बाइक तक चलिए. और अगर आप कहें, तो मैं आपको उठाकर ले चलता हूं.” मुझे उठाने के लिए उसने जैसे ही हाथ बढ़ाए, तो मैं संकोच से भर उठी. “नहीं, नहीं, मैं चली जाऊंगी.” मैंने ग्लास का पूरा पानी ख़त्म किया. दिमाग़ कुछ ठंडा हुआ, तो मुझे लगा पराग का प्रस्ताव मान लेने में ही समझदारी है. पैदल चलने जैसी मेरी स्थिति नहीं थी. अनुज को इतनी दूर क्लीनिक से गाड़ी लेकर बुलाना बेव़कूफ़ी थी और किसी और को बुलवाना बेकार ही तिल का ताड़ बनाने जैसा था. मैं पराग की बाइक पर बैठ घर लौट आई थी. उस व़क़्त मुझे अनुमान नहीं था कि यह छोटी-सी बात इतना तूल पकड़ लेगी. किसी ने नमक-मिर्च लगाकर पूरा वाक़या अनुज को बता दिया था. अगले दिन ही अनुज ने मुझसे इस बारे में पूछ लिया. उनके स्वर में नाराज़गी साफ़ झलक रही थी और उन्होंने इसे छुपाने की भी कोई कोशिश नहीं की. “मुझे नहीं मालूम था कि अपनी बीवी के बारे में मुझे दूसरों से पता चलेगा.” “आप बेकार में परेशान हो जाते, इसलिए मैंने तुरंत आपको नहीं बताया. सोचा किसी दिन आराम से बैठकर बातें होंगी, तब बता दूंगी.” अनुज एक पल मौन रहे फिर बोले, “तुम्हें मेरे और अपने स्टेटस का ख़्याल रखना चाहिए. आगे तुम ख़ुद समझदार हो. अपनी ज़िम्मेदारी समझ सकती हो.” इतना बोलकर बिना मेरे जवाब का इंतज़ार किए अनुज ने गाड़ी की चाबी उठाई और चलते बने. मैं बौखला उठी थी. मुझे मुजरिम की तरह कठघरे में खड़ा कर, बिना सफ़ाई पेश करने का मौक़ा दिए ये अपना एकतरफ़ा फैसला सुनाकर चल दिए थे. आज सोचती हूं, तो लगता है अगर उस व़क़्त अनुज ने शांति से बात की होती, तो शायद मैं अपनी लापरवाही मान भी लेती, पर उनके ग़ैरज़िम्मेदारानापूर्ण आक्षेप से मेरा आक्रोश उबल पड़ा था. ‘अनुज समझते क्या हैं अपने आपको? मुझसे ज़िम्मेदार और समझदार पत्नी होने की उम्मीद रखते हैं, पर ख़ुद उन्होंने पति होने की कौन-सी ज़िम्मेदारी निभाई है? सुबह तैयार होकर घर से निकलते हैं, तो देर रात तक घर की तरफ़ झांकते तक नहीं हैं. नई-नवेली पत्नी किस तरह अकेले पूरा दिन गुज़ारती है, कभी ख़्याल भी आया है इन्हें? रोज़ वही नीरस और उबाऊ रूटीन. कभी अनुज ने जानने की कोशिश भी की कि मेरी क्या हॉबी है? उन्हें तो शायद पता भी नहीं होगा कि मैं राज्य स्तर पर खेली हुई बैडमिंटन खिलाड़ी हूं. मेरी संतुष्टि, मेरी ख़ुशी उनके लिए कोई मायने नहीं रखती.’ अगले दो दिन तक तो मैं ख़ुद ही तबीयत ठीक न होने के कारण बाहर नहीं निकली. तब तक आक्रोश का उफ़ान भी बुलबुलों में तब्दील हो गया था. उसके बाद जब गई, तो पराग नदारद था. जब काफ़ी दिनों तक वह नज़र नहीं आया, तो मैंने एक दिन चौकीदार से पूछा था. “परीक्षाएं नज़दीक हैं न मैडम, तो आजकल बच्चे कम ही आते हैं.” फिर मैंने उधर जाना ही छोड़ दिया था. व़क़्त के साथ स्मृतियां भी धुंधलाती चली गई थीं. यह भी पढ़ेब्रेकअप का पुरुषों पर क्या होता है असर? (How Men Deal With Breakups) पेट में नन्हें शिशु के आने की हलचल मिली, तो घूमने जाना भी कम हो गया. उसी समय पूर्वी का रिश्ता तय हो जाने की सूचना आई थी. मैं उल्टियों से बेहाल थी, इसलिए अनुज अकेले ही घर गए थे और शगुन का दस्तूर हो गया था. “लड़का बहुत अच्छा है. अपनी ही यूनिवर्सिटी से डॉक्टर है.” अनुज ने बताया था. “फिर तो आप जानते होंगे?” “अरे नहीं. हर साल हज़ारों लड़के निकलते हैं, कहां ध्यान रहता है? फिर वह तो दूसरी ब्रांच से है. हां, वह मुझे पहचानता है.” “हूं..! प्रधानमंत्री को सब जानते हैं, पर वे किसी को नहीं जानते.” मैंने चुहल की थी. दो महीने बाद ही शादी थी. पूर्वी के दूल्हे के रूप में पराग को देख मैं चौंकी थी. मन हुआ अनुज को बताऊं. पर फिर लगा जब वैसी कोई बात ही नहीं है, तो ऐसे में उस अप्रिय प्रसंग को कुरेदने से क्या मतलब? बेकार में ही पूर्वी की ज़िंदगी में कोई बवंडर न आ जाए. पराग ने भी कहीं ऐसा ज़ाहिर नहीं होने दिया कि वह मुझसे पूर्व परिचित है. shaile mathur   शैली माथुर

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