इस खुलासे से मैं सिर से लेकर पांव तक कांप उठी थी. तो यह वजह थी पराग के एकदम से ग़ायब हो जाने की. यह वजह है पूर्वी से शादी करके उसे परेशान करने की. इसी सोच में डूबी मैं बदहवासी में चिल्ला उठी थी. “यह आपने अच्छा नहीं किया अनुज. अब वह हमारी पूर्वी से बदला ले रहा है.” अनुज के चेहरे पर नासमझी के भाव देख मुझे अपनी ग़लती का एहसास हुआ.
तब किसने सोचा था कि यही पराग एक दिन पूर्वी पर बेबात शक़ कर उसे इतना परेशान करेगा कि वह घर छोड़ने पर मजबूर हो जाएगी. और यह भी किसने सोचा था कि पत्नी पर अकारण शक़ करनेवाला इंसान अपनी बहन के पक्ष में ऐसे सीना तानकर खड़ा हो जाएगा. मैं हैरान रह गई थी, जब अगले ही दिन अनुज पूर्वी को लेकर पराग के पास रवाना हो गए थे. पूरे तीन दिन उनके संग गुज़ारकर, सब समझौता आदि करवाकर पूरी तसल्ली के बाद ही वे लौटे थे.
अनुज के लौटने के बाद से ही मैं उनमें आश्चर्यजनक परिवर्तन महसूस कर रही थी. शाम को एक-दो घंटे क्लीनिक जाकर वे लगभग पूरी शाम ही मेरे संग गुज़ारने लगे थे. हर व़क़्त मेरे पास बने रहते. मुझे ख़ुश रखने का प्रयास करते नज़र आते. शायद मैं प्रेग्नेंट हूं, इसलिए वे मेरा इतना ध्यान रख रहे हैं, यही सोचकर मैं आश्वस्त हो गई थी.
अक्सर मैंने उनकी आंखों में पश्चाताप के भाव देखे थे और जिस दिन लेडी डॉक्टर ने यह बता दिया कि बच्चे की पोज़ीशन में फ़र्क़ आ जाने के कारण केस थोड़ा जटिल हो गया है, कभी भी ऑपरेशन करना पड़ सकता है, तब से अनुज हर पल मेरे पास बने रहने लगे. कॉलेज से उन्होंने अवकाश ले लिया था. अक्सर मेरी तीमारदारी करते वे भावनाओं में बह जाते थे. ऐसे ही एक नाज़ुक पल में वे एक नाज़ुक से रहस्य का खुलासा कर बैठे थे. “याद है सरू, तुम किसी लड़के के साथ बैडमिंटन खेलने जाती थी. फिर एक दिन वो तुम्हें बाइक पर छोड़ने घर आ गया था...” मैं चौंक उठी थी, अनुज उस बात को अब तक ज़ेहन से नहीं निकाल पाए हैं.
“उस व़क़्त पज़ेसिवनेस के कारण मैं अपना आपा खो चुका था. जिन लोगों ने मुझे भड़काया था, मैंने उन्हीं से कहकर गुंडों के माध्यम से उस लड़के को धमकाया था कि घर तो दूर, वह अगर कभी इस कॉलेज परिसर में भी नज़र आया, तो उसका ऐसा बुरा हाल करेंगे कि ज़िंदगीभर अपने पैरों पर खड़ा तक नहीं हो पाएगा. आज सोचता हूं, जिससे कभी प्रत्यक्ष मिला नहीं, जिसका नाम-पता तक कभी पूछा नहीं, उससे क्यों व्यर्थ ही लोगों के बहकावे में आकर दुश्मनी मोल ले बैठा?”
इस खुलासे से मैं सिर से लेकर पांव तक कांप उठी थी. तो यह वजह थी पराग के एकदम से ग़ायब हो जाने की. यह वजह है पूर्वी से शादी करके उसे परेशान करने की. इसी सोच में डूबी मैं बदहवासी में चिल्ला उठी थी. “यह आपने अच्छा नहीं किया अनुज. अब वह हमारी पूर्वी से बदला ले रहा है.” अनुज के चेहरे पर नासमझी के भाव देख मुझे अपनी ग़लती का एहसास हुआ.
“पराग ही वह लड़का है, जिसे आपने गुंडों के माध्यम से धमकाया था. अब वह हमारी पूर्वी को नहीं छोड़ेगा... आप पूर्वी को फोन लगाइए. वह ठीक तो है न?”
“अभी रात में? ठीक है, लगाता हूं.” उन्होंने तुरंत पूर्वी को फोन लगाकर उसकी कुशलता पूछी.
“मैं बिल्कुल ठीक हूं भैया. पराग बिल्कुल सुधर गए हैं. आप बस भाभी का ध्यान रखिएगा.” पूर्वी की निश्छल हंसी और बीच-बीच में पराग से होती चुहल ने हमें आश्वस्त कर दिया था.
पर हमारी सोच की दिशा भी बदल दी थी.
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अचानक कुछ याद आने पर मैं चौंकी, “जिस समय पूर्वी यहां थी, मैंने उसे रात को फोन पर दबी आवाज़ में किसी से बात करते और हंसते देखा था. तब मुझे शक़ हुआ था कि कहीं वाक़ई इसका किसी से चक्कर तो नहीं है, जैसा कि पराग कह रहा है. पर फिर तुरंत मैंने ख़ुद को समझाया कि अगर मैं ही उस पर भरोसा नहीं करूंगी, तो दूसरा कौन करेगा? अब लगता है, वो पराग से बातें कर रही थी और यह तुम्हें सुधारने का उनका मिला-जुला नाटक था.”
“मैं भी यही सोच रहा था, क्योंकि तीन दिन मैं वहां रहा और मुझे उनका झगड़ा बनावटी लगा. मैं उन्हें समझाता, तो वे हामी भरकर वही बात मुझे समझाने लग जाते थे. लगता था, आपसी विश्वास की ज़रूरत उन्हें नहीं हमें है. तभी तो मैंआने के बाद से इतना बदल गया हूं.”
“अभी दूध का दूध और पानी का पानी हुए जाता है.” कहते हुए मैंने पूर्वी को फोन लगाया और डरते-डरते ‘हेलो’ कहा.
“हां भाभी, क्या हुआ? अभी तो भैया से बात हुई थी.”
“अच्छा! मुझे नहीं पता. मैं तो दूसरे कमरे में सोती हूं. तुम्हारे श़क्क़ी भैया हर व़क़्त मेरी जासूसी करते हैं.”
“क्या, अब भी? हमारे इतने नाटक के बावजूद भी भैया नहीं सुधरे?”
“नाटक?”
और पूर्वी ने सारा सच उगल डाला था. इस बार तीर निशाने पर लगा था. “हम जल्दी से जल्दी आने का प्रयास करेंगे भाभी. तब तक आप अपना ख़्याल रखिएगा.”
“बेचारी! हम सता रहे हैं उन्हें.” मैंने फोन रखते हुए कहा.
“उन्होंने भी हमें बहुत सताया है. फ़िलहाल तो तुम्हें सताने का मन हो रहा है.” कहते हुए अनुज ने मुझे बांहों में भर लिया था.
शैली माथुर