“लड़ाई तब होती है पापा, जब दोनों साइड अपनी-अपनी बात पर डटे रहें. एक जो चाहे दूसरा उसे बिना सोचे-समझे मानता जाए, तो लड़ाई कैसे होगी? मम्मी ने तो आपको कभी लड़ने का मौक़ा ही नहीं दिया.” आहना ने मेरी बात काटी.
“यानी हमारे घर की शांति में मेरा कोई काॅन्ट्रिब्यूशन नहीं दिखता तुम्हें. वाह, बड़ी आई मम्मी की चमची...” मैंने आहना के सिर पर एक चपत लगा दी.
... “मैं... दिमाग़ ख़राब हो गया क्या तुम्हारा?” मेरे पल्ले कुछ नहीं पड़ा. “देखो पापा सारी प्रॉब्लम यह है कि नमन के रोल मॉडल आप हैं. अपनी रिलेशनशिप में वह आपको फॉलो करता था.“ “यह तो मैं जानता हूं, लेकिन इससे उसके ब्रेकअप का क्या रिश्ता है.” मैं कुछ ऐसा सुनने को बेसब्र था, जो मैं नहीं जानता था. “बहुत गहरा रिश्ता है पापा, दरअसल आपको फॉलो करते-करते वह आप जैसा बन बैठा और चाहता था रिया मम्मी जैसी बन जाए...” आहना थोड़ा हिचकिचाते हुए बोली. “देखो फिर तुम मुझे जलेबी की तरह घुमा रही हो. मेरी तरह बनना प्राॅब्लम कैसे हो सकती है और तुम्हारी मम्मी जैसी परफेक्ट पार्टनर कौन नहीं चाहेगा. मैंने तुम्हारी मम्मी को हमेशा भरपूर प्यार और सम्मान दिया और उसने मुझे. पूरी रिश्तेदारी में हम दोनों ‘मेड फॉर ईच अदर’ के नाम से मशहूर हैं. हमारी लड़ने की आवाज़ सुनी हैं कभी...” “लड़ाई तब होती है पापा, जब दोनों साइड अपनी-अपनी बात पर डटे रहें. एक जो चाहे दूसरा उसे बिना सोचे-समझे मानता जाए, तो लड़ाई कैसे होगी? मम्मी ने तो आपको कभी लड़ने का मौक़ा ही नहीं दिया.” आहना ने मेरी बात काटी. यह भी पढ़ें: रिश्तों को पाने के लिए कहीं ख़ुद को तो नहीं खो रहे आप? (Warning Signs & Signals That You’re Losing Yourself In A Relationship) “यानी हमारे घर की शांति में मेरा कोई काॅन्ट्रिब्यूशन नहीं दिखता तुम्हें. वाह, बड़ी आई मम्मी की चमची...” मैंने आहना के सिर पर एक चपत लगा दी. वो काफ़ी देर तक सोचती रही, फिर अचानक से बोली, "अच्छा पापा ज़रा बताओ तो मम्मी का फेवरेट कलर कौन-सा है.” “फेवरेट कलर... हम्म...” मैंने दिमाग़ पर ज़ोर ड़ाला. “जब से हमारी शादी हुई है मैंने तुम्हारी मम्मी को हमेशा आसमानी, धानी, हल्के हरे रंगों के कपड़े पसंद करते देखा है… ये ही उसके फेवरेट कलर हैं और जानती हो मेरे भी.” “नहीं पापा, मम्मी के फेवरेट कलर सब रेडिश टोन के हैं- रेड, ऑरेंज, गाजरी...” आहना बोली, तो मैं चौंक गया. “क्या, लेकिन मैंने तो कभी मालती को इस रंग के कपड़े पहनते या ख़रीदते नहीं देखा...” “हां, क्योंकि आपको ये कलर पसंद नहीं थे. आपके साथ शादी होते ही मम्मी ने आपकी पसंद को अपनी पसंद बना ली. चलिए कलर की बात छोड़िए, ये बताइए मम्मी को चाय कैसी पसंद है.” आहना ने एक और सवाल उठाया. “ज़्यादा दूध और बगैर चीनी की, फीकी चाय... बिल्कुल मेरे टेस्टवाली.” मैं काॅन्फिड़ेंट था. “फिर ग़लत, मम्मी को तेज चीनी और तेज पत्ती की मसाला चाय पसंद है, जैसी बाहर टपरी पर मिलती है...” आहना ने एक बार फिर मेरी बात काट दी. “तुम ना, कुछ भी बोल रही हो, पहले शायद वैसी पसंद हो, मगर पिछले दस साल से मैं तुम्हारी मम्मी को ऐसी ही चाय पीती देख रहा हूं जैसा मैंने बताया है...” अगला भाग कल इसी समय यानी ३ बजे पढ़ें... दीप्ति मित्तल अधिक शॉर्ट स्टोरीज के लिए यहाँ क्लिक करें – SHORT STORIES
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