"मान न मान मैं तेरा मेहमान. अभी तक मैने आपका नाम तक नहीं पूछा और आप हैं कि तुम पर तो उतर ही आएं, साथ ही प्यार की पेंगे भी उड़ाने लगें.’’
‘‘अरे, मैडम प्यार का नाम से क्या लेना-देना.’’ ‘‘चुपचाप अपना मास्क हटाइए, देखू तो आप हमारे हैं कौन?’’ माधवी भी तुकबंदी बैठाते हुए बोली.
... एक-दो बार अधीर को लड़कियों के साथ संदिग्ध अवस्था में देखकर भी माधवी ने अनदेखा कर दिया, पर धीरे-धीरे उसकी बेशर्मी ज़्यादा बढ़ने लगी, तो एक दिन वह अपना ज़रूरी सामान समेट हमेशा के लिए उस घर को छोड़ दी थी. ऐसा स्वार्थी, निकृष्ट और आत्मकेन्द्रित व्यक्ति के साथ जीना, नरक भोगने के समान था. एक बार माधवी मायके लौट आई, तो अधीर के अनुरोध करने पर भी वापस नहीं लौटी. तीन साल का वैवाहिक जीवन तलाक़ में बदल गया. माधवी के पास मैनेजमेंट की डिग्री थी ही कुछ दिनों बाद बेंगलुरु के एक कंपनी में उसे काम मिल गया. यहां आकर उसने किसी से भी अपनी दोस्ती नहीं बढ़ाई. अधीर की कुटिल और स्वार्थी चालों ने उसके निष्कपट चित को इतना शंकालु बना दिया था कि अपने एक-एक कदम सहमकर रखती थी. उसे लगता नियती ने उसके जीवन में सच्चा प्रेम लिखा ही नहीं था. प्रेम में हमेशा प्रवंचना ही लिखा था. यह भी पढ़ें: एब्यूसिव रिलेशनशिप में क्यों रहती हैं महिलाएं? (Why Women Stay In Abusive Relationship?) अब इस लड़के की बातों ने उसे परेशान कर रखा था. ज़रूर यह किसी न किसी तरह उसे जानता-पहचानता है, इसलिए अपने मास्क में अपनी पहचान छुपाए उसे परेशान कर रहा है. दूसरे दिन शाम को सामने बालकनी में नजरें घुमाई, तो वही लड़का मास्क लगाए, पौधों को पानी दे रहा था. वह अपने फ्लैट से निकलकर अपने नियत स्थान पर आ बैठी. थोड़ी देर बाद ही उसके पीछे से आवाज आई, ‘‘क्या बात है, किस सोच में डूबी हो. आज तो शाम ढलने के पहले ही आ गई. ओह... लगता है मेरी याद सता रही थी. कोई बात नहीं? तुमने याद किया और मैं भागा चला आया. इसे कहते हैं, दिल का दिल से रिश्ता.’’ "मान न मान मैं तेरा मेहमान. अभी तक मैने आपका नाम तक नहीं पूछा और आप हैं कि तुम पर तो उतर ही आएं, साथ ही प्यार की पेंगे भी उड़ाने लगें.’’ ‘‘अरे, मैडम प्यार का नाम से क्या लेना-देना.’’ ‘‘चुपचाप अपना मास्क हटाइए, देखू तो आप हमारे हैं कौन?’’ माधवी भी तुकबंदी बैठाते हुए बोली. कुछ देर तक वह आंखें झपकाते खड़ा रहा, फिर हंसते हुए बोला, "कोरोना काल में ऐसे मास्क हटाने की बात ना कहें मैडमजी... पुलिस पकड़ लेगी.’’ फिर जाने क्या सोचकर अपना मास्क हटा दिया. अब एक जाना-पहचाना, क़रीबी चेहरा उसके सामने था. ‘‘हेमंत... तुम हेमंत हो न.’’आश्चर्य और ख़ुशी से वह बच्चों-सी किलक उठी. "खैरियत है कि तुम्हे अब तक मेरा नाम याद है.’’ ‘‘तुम्हारा नाम कैसे भूल सकती हूं, तुम वही हो, जो कभी आने का वादा कर मुकर गए..." अगला भाग कल इसी समय यानी ३ बजे पढ़ें... रीता कुमारी अधिक शॉर्ट स्टोरीज के लिए यहाँ क्लिक करें – SHORT STORIES
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